यण संधि की परिभाषा और उदाहरण Yan Sandhi Ki Paribhasha evam Udaharan

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Yan Sandhi – यण् संधि

जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं, इस परिवर्तन को यण सन्धि कहते हैं;

यण् संधि के चार नियम होते हैं!

जैसे-

  • इ, ई + भिन्न स्वर = व
  • उ, ऊ + भिन्न स्वर = व
  • ऋ + भिन्न स्वर = र

सन्धि – उदाहरण

  • इ + अ = य् – अति + अल्प = अत्यल्प
  • ई + अ = य् – देवी + अर्पण = देव्यर्पण
  • उ + अ = व् – सु + आगत = स्वागत
  • ऊ + आ = व – वधू + आगमन = वध्वागमन
  • ऋ + अ = र् – पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा

(v) अयादि सन्धि जब ए, ऐ, ओ और औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो ‘ए’ का अय, ‘ऐ’ का आय् , ‘ओ’ का अव् और ‘औ’ का आव् हो जाता है;

जैसे-

  • ए + भिन्न स्वर = अय्
  • ऐ + भिन्न स्वर = आय्
  • ओ + भिन्न स्वर = अव्
  • औ + भिन्न स्वर = आव्

सन्धि – उदाहरण

  • ए + अ = अय् – ने + अयन = नयन
  • ऐ + अ = आय् – नै + अक = नायक
  • ओ + अ = अव् – पो + अन = पवन
  • औ + अ = आव् – पौ + अक = पावक

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