Yamak Alankar In Sanskrit – यमक अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण – (संस्कृत व्याकरण)

यमक अलंकार – Yamak Alankar In Sanskrit

यमक अलंकार की परिभाषा – Yamak Alankar Ki Paribhasha

यमक अलंकार: जब काव्य में कोई शब्द एक से अधिक बार आए और उनके अर्थ अलग-अलग हों तो उसे यमक अलंकार होता है; जैसे- तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है। उपर्युक्त पंक्ति में बेर शब्द दो बार आया परंतु इनके अर्थ हैं- समय, एक प्रकार का फल। इस तरह यहाँ यमक अलंकार है।

यमक अलंकार अन्य उदाहरण-

  • कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
    या खाए बौराए नर, वा पाए बौराय।।
    यहाँ कनक शब्द के अर्थ हैं-सोना और धतूरा। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
  • काली घटा का घमंड घटा, नभ तारक मंडलवृंद खिले।
    यहाँ एक घटा का अर्थ है काली घटाएँ और दूसरी घटा का अर्थ है-कम होना। है कवि बेनी, बेनी व्याल की चुराई लीन्ही
    यहाँ एक बेनी का आशय-कवि का नाम और दूसरे बेनी का अर्थ बाला की चोटी है। अतः यमक अलंकार है।
  • रती-रती सोभा सब रति के शरीर की।
    यहाँ रती का अर्थ है-तनिक-तनिक अर्थात् सारी और रति का अर्थ कामदेव की पत्नी है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
  • नगन जड़ाती थी वे नगन जड़ाती है।
    यहाँ नगन का अर्थ है- वस्त्रों के बिना, नग्न और दूसरे का अर्थ है हीरा-मोती आदि रत्न।

Leave a Comment