ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – सूखी डाली

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – सूखी डाली

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
उपर्युक्त अवतरण का वक्ता कौन है और इस समय वह किससे और क्यों बहस कर रहा है?

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण का वक्ता परेश है जो कि तहसीलदार है। इस समय वह अपनी पत्नी बेला से फ़र्नीचर के बाबत बहस कर रहा है।
बेला पढ़ी-लिखी और आधुनिक विचारधारा को मानने वाली स्त्री है। वह घर के पुराने फ़र्नीचर को बदलना चाहती है और इसलिए वह इस बात पर अपने पति परेश से बहस करती है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
श्रोता बेला के मायके और ससुराल में क्या अंतर है?

उत्तर :
बेला जो की घर की छोटी बहू है, बड़े घर से ताल्लुक रखती है। घर की इकलौती लड़की होने के कारण उसे अपने घर में बहुत अधिक लाड़-प्यार, मान सम्मान और स्वच्छंद वातावरण मिला था। उसके विपरीत उसका ससुराल एक संयुक्त परिवार था जो घर के दादाजी की छत्रछाया में जीता था। यहाँ के लोग सभी पुराने संस्कारों में ढले हैं।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
बेला की फ़र्नीचर के बारे क्या राय थी?

उत्तर:
बेला बड़ी घर की एकलौती बेटी होने के कारण अपने मायके में लाड़-प्यार से पली-बढ़ी थी। यहाँ ससुराल में सभी पुराने संस्कारों को मानने वाले थे अत:घर की कोई भी चीज को बदलना नहीं चाहते थे। बेला की राय में कमरे का फ़र्नीचर सड़ा-गला और टूटा-फूटा है और वह इस प्रकार के फ़र्नीचर को अपने कमरे में रखने की बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थी।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।
घर के फ़र्नीचर के बारे में वक्ता की राय क्या थी और वह उसे क्यों नहीं बदलना चाहता था?

उत्तर:
वक्ता परेश पढ़ा-लिखा और तहसीलदार पद को प्राप्त किया युवक है परंतु संयुक्त परिवार में रहने के कारण उसे घर के माहौल के साथ ताल-मेल बिठाकर कार्य करना होता है। उसकी पत्नी बेला को कमरे का फ़र्नीचर टूटा-पुराना और सड़ा-गला लगता है तो इस पर वक्ता कहता है कि यह वही फ़र्नीचर है जिस पर उसके दादा, पिता और चाचा बैठा करते थे। उन्होंने तो कभी फ़र्नीचर की ऐसी शिकायत नहीं की और यदि इस फ़र्नीचर को वह कमरे में न रखे तो उसके परिवार इसे ठीक नहीं समझेंगे। अत:वक्ता अपने कमरे का फ़र्नीचर बदलना नहीं चाहता था।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता का परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता घर के सबसे मुख्य सदस्य मूलराज परिवार के मुखिया हैं। वे संयुक्त परिवार के ताने-बाने में विश्वास रखते हैं। वे 72 वर्षीय हैं। परिवार के सभी लोग उनका सम्मान करते हैं। उन्होंने अपनी सूझ-बुझ और दूरदर्शिता से अपने परिवार को एक वट वृक्ष की भांति बाँध रखा है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय है कि जैसे ही कोई समस्या खड़ी होती है तुरंत उस समस्या का समाधान कर देना चाहिए अन्यथा बाद समस्या बड़ी गंभीर हो जाती है और फिर वह समस्या हल नहीं होती। यहाँ पर वक्ता का संकेत परेश की पत्नी बेला की समस्या की ओर है। वक्ता का मानना है कि छोटी बहू बेला की यदि कोई शिकायत है तो जल्द ही उसका निदान कर देना चाहिए।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
घर की छोटी बहू की समस्या क्या है?

उत्तर:
घर की छोटी बहू संपन्न कुल की सुशिक्षित लड़की है। उसके घर और यहाँ के वातावरण में काफी अंतर होने के कारण वह घर के पारिवारिक सदस्यों के साथ ताल-मेल बैठाने में दिक्कत महसूस कर रही है। वहीँ घर के सदस्य उसे गर्वीली और अभिमानी समझते हैं और उसकी निंदा और उपहास करते रहते हैं। इसी कारण घर में अलगाव की नौबत आ चुकी है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है, फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।
वक्ता ने समस्या का क्या समाधान सुझाया?

उत्तर:
घर को अलगाव से बचाने के लिए वक्ता ने घर के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाया कि उन सभी को किस प्रकार से छोटी बहू के साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने सभी को समझाया कि घर के सभी सदस्यों को छोटी बहू से ज्ञानार्जन करना चाहिए न कि उसकी बातों का मज़ाक उड़ाना चाहिए। इस प्रकार दादाजी की बातों का घर के सभी सदस्यों पर असर पड़ा और धीरे-धीरे छोटी बहू को भी बात समझ आ गई और वह मिलजुलकर घर के सदस्यों के साथ रहने लगी।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
उपर्युक्त अवतरण की वक्ता का परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण की वक्ता मूलराज परिवार की छोटी बहू बेला है। वह एक संपन्न घराने की सुशिक्षित लड़की है। ससुराल के पुराने संस्कार और पारिवारिक सदस्यों से पहले वह सामंजस्य नहीं बैठा पाती है परंतु अंत में वह परिवार के सदस्यों के साथ मिलजुलकर रहने लगती है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
घर के सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल कैसे जाता है?

उत्तर:
छोटी बहू हर समय अपने मायके की ही तारीफ़ करती रहती है। इस कारण घर के सभी सदस्य उसे अभिमानी समझते हैं और उसकी बातों पर हँसते रहते हैं परंतु जब घर के दादाजी द्वारा उन्हें समझाया जाता है तब घर के सभी सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल जाता है।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है?

उत्तर:
उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय उसे अधिक दिए जाने वाले मान-सम्मान से हैं। दादाजी के समझाने पर परिवार के सदस्यों का व्यवहार इस हद तक बदल गया कि वे उसे जरूरत से ज्यादा सम्मान देने लगे जिसके कारण वह अपने आप को घर में उपेक्षित समझने लगी। पर इसके साथ ही उसे अपनी भूल का अहसास भी होने लगता है कि ऐसे व्यवहार के लिए वह खुद भी दोषी है।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…
वक्ता की मन:स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
बेला एक सुशिक्षित लड़की है। उसे अपने प्रति परिवार का बदला व्यवहार अच्छा नहीं लगता पर जब उसे पता चलता है कि घर का हर-एक सदस्य परिवार को अलगाव से बचाने के लिए दादाजी की आज्ञा का पालन कर रहा है तो उसे अपनी भूल समझ आती है कि वह भी इस परिवार का ही एक अंग है। क्यों न वह भी पहल करे और परिवार के साथ मिलजुलकर रहें और उपर्युक्त कथन वक्ता की इसी पारिवारिक जुड़ाव और मन की व्यथा का वर्णन करता है।

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – महाभारत की एक साँझ

ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – महाभारत की एक साँझ

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता कौन है? उनका परिचय दें।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता धृतराष्ट्र हैं। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे। वे कौरवों के पिता हैं। दुर्योधन उनका जेष्ठ पुत्र हैं। इस समय वे अपने मंत्री संजय के सामने अपनी व्यथा को प्रकट कर रहे हैं।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
यहाँ पर श्रोता कौन है? वह वक्ता को क्या सलाह देता है और क्यों?

उत्तर :
यहाँ पर श्रोता धृतराष्ट्र का मंत्री है। उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी। अपनी दिव्य दृष्टि की सहायता से वे धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का वर्णन बताते रहते हैं। इस समय वे धृतराष्ट्र को शांत रहने की सलाह देते हैं। संजय के अनुसार जो हो चुका है उस पर शोक करना व्यर्थ है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
यहाँ पर भीषण विष फल किस ओर संकेत करता है स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यहाँ पर धृतराष्ट्र के अति पुत्र-मोह से उपजे महाभारत के युद्ध की ओर संकेत किया गया है। पुत्र-स्नेह के कारण दुर्योधन की हर अनुचित माँगों और हरकतों को धृतराष्ट्र ने उचित माना। धृतराष्ट्र ने पुत्र-मोह में बड़ों की सलाह, राजनैतिक कर्तव्य आदि सबको नकारते हुए अपने पुत्र को सबसे अहम् स्थान दिया और जिसकी परिणिति महाभारत के भीषण युद्ध में हुई।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…
पुत्र-मोह से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
पुत्र-मोह से यहाँ तात्पर्य अंधे प्रेम से है। धृतराष्ट्र अपने जेष्ठ पुत्र दुर्योधन से अंधा प्रेम करते थे इसलिए वे उसकी जायज नाजायज सभी माँगों को पूरा करते थे। इसी कारणवश दुर्योधन बचपन से दंभी और अहंकारी होता गया।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
दुर्योधन अपनी प्राण रक्षा के लिए क्या करता है?

उत्तर:
महाभारत के युद्ध में सभी मारे जाते हैं केवल एक अकेला दुर्योधन बचता है। युद्ध तब तक समाप्त नहीं माना जा सकता था जब तक कि दुर्योधन मारा नहीं जाता। इस समय दुर्योधन घायल अवस्था में है और अपने प्राण बचाने के लिए द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
उपर्युक्त कथन किसका का है? कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

उत्तर:
उपर्युक्त कथन भीम का है। प्रस्तुत कथन का संदर्भ दुर्योधन को सरोवर से बाहर निकालने का है। दुर्योधन
महाभारत के युद्ध में घायल हो जाता है और भागकर द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता है। वह उसमें से बाहर नहीं निकलता है। तब उसे सरोवर से बाहर निकालने के लिए भीम उसे उपर्युक्त कथन कहकर ललकारता है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने युधिष्ठिर को क्या उत्तर दिया?

उत्तर:
उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने उत्तर दिया कि वह सभी बातों को भली-भाँति जानता है लेकिन वह थककर चूर हो चुका है। उसकी सेना भी तितर-बितर हो गई है, उसका कवच फट गया है और उसके सारे शस्त्रास्त्र चूक गए हैं। उसे समय चाहिए और उसने भी पांडवों को तेरह वर्ष का समय दिया था।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए! उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।
‘घृत देकर उभारा है’ से क्या तात्पर्य है स्पष्ट करें।

उत्तर:
घृत उभारा है से तात्पर्य दुर्योधन की ईर्ष्या से है। भीम दुर्योधन से कहता है कि वर्षों से तुमने इस ईर्ष्या का बीज बोया है तो अब फसल तो तुम्हें ही काटनी होगी। कितनों को उसने इस ईर्ष्या रूपी अग्नि में जलाया है लेकिन आज स्वयं उन आग की लपटों से बचना चाहता है।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता तथा श्रोता के बारे में बताइए।

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण के वक्ता युधिष्ठिर और श्रोता दुर्योधन है। इस समय वक्ता युधिष्ठिर मरणासन्न श्रोता दुर्योधन को शांति प्रदान करने के उद्देश्य से आए हैं। इस समय दोनों के मध्य उचित अनुचित विचारों पर वार्तालाप चल रहा है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
उपर्युक्त अवतरण में किस अधिकार की बात की जा रही है?

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण में राज्य के वास्तविक उत्तराधिकारी के संदर्भ में बात की जा रही है। यहाँ पर युधिष्ठिर का कहना है कि राज्य पर उनका वास्तविक अधिकार था यह जानते हुए भी दुर्योधन यह मानने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ और इस कारण परिवार में ईर्ष्या और और झगड़े बढ़कर अंत में महाभारत के युद्ध में तब्दील हो गए।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य लिखिए।

उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी का उद्देश्य यह है कि आप चाहे कितने भी कूटनीतिज्ञ, बलवान और बुद्धिमान क्यों न हो परंतु यदि आप का रास्ता धर्म का नहीं है तो आपका अंत होना निश्चित है। साथ यह एकांकी मनुष्य को त्याग और सहनशीलता का पाठ भी पढ़ाती है। यही वे दो मुख्य कारण थे जिसके अभाव में महाभारत का युद्ध लड़ा गया। इसके अतिरिक्त इस एकांकी का एक और उद्देश्य यह भी दिखाना था कि इस युद्ध के लिए कौरव और पांडव दोनों ही पक्ष बराबर जिम्मेदार थे।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?
महाभारत के युद्ध से हमें कौन-सी सीख मिलती है?

उत्तर:
महाभारत का युद्ध तो शुरू से लेकर अंत तक सीखों से ही भरा पड़ा हैं परंतु मुख्य रूप से यह युद्ध हमें यह सीख देता है कि कभी भी पारिवारिक धन-संपत्ति के लिए अपने ही भाईयों से ईर्ष्या और वैमनस्य नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के लड़ाई-झगड़े में जीत कर भी हार ही होती है।