ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – नेता जी का चश्मा

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है,बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
हालदार साहब कब और कहाँ-से क्यों गुजरते थे?

उत्तर:
हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी थी।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
कस्बे का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही मकान और जिसे बाज़ार कहा जा सके वैसा एक ही बाज़ार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका थी।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
नगरपालिका के कार्यों के बारे में बताइए।

उत्तर:
उस कस्बे नगरपालिका थी तो कुछ-न कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मलेन करवा दिया।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
शहर के मुख्य बाज़ार में प्रतिमा किसने लगवाईं थी और उस प्रतिमा की क्या विशेषता थी?

उत्तर:
शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी थी।
उस मूर्ति की विशेषता यह थी कि मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची और सुंदर थी। नेताजी फौजी वर्दी में सुंदर लगते थे। मूर्ति को देखते ही ‘दिल्ली चलो’ और तुम मुझे खून दो… आदि याद आने लगते थे। केवल एक चीज की कसर थी जो देखते ही खटकती थी नेताजी की आँख पर संगमरमर चश्मा नहीं था बल्कि उसके स्थान पर सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
प्रस्तुत कथन के वक्ता का परिचय दें।

उत्तर:
प्रस्तुत कथन के वक्ता हालदार साहब हैं। वे अत्यंत भावुक और संवेदनशील होने के साथ एक देशभक्त भी हैं। उन्हें देशभक्तों का मज़ाक उड़ाया जाना पसंद नहीं है। वे कैप्टन की देशभावना के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखते हैं।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
प्रस्तुत कथन के श्रोता का परिचय दें।

उत्तर:
प्रस्तुत कथन का श्रोता पानवाला है। पानवाला पूरी की पूरी पान की दुकान है, सड़क के चौराहे के किनारे उसकी पान की दुकान है। वह काला तथा मोटा है, उसकी तोंद भी निकली हुई है, उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे हैं। वह एक तरफ़ ग्राहक के लिए पान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर उसका मुँह पान से भरा है। पान खाने के कारण उसके होंठ लाल तथा कहीं-कहीं काले पड़ गए हैं। स्वभाव से वह मजाकिया है। वह बातें बनाने में माहिर है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को क्या आदत पड़ गई थी?

उत्तर:
कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को उस कस्बे के मुख्य बाज़ार के चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखने की आदत पड़ गई थी।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
मूर्ति का चश्मा हर-बार कौन और क्यों बदल देता था?

उत्तर:
मूर्ति का चश्मा हर-बार कैप्टन बदल देता था। कैप्टन असलियत में एक गरीब चश्मेवाला था। उसकी कोई दुकान नहीं थी। फेरी लगाकर वह अपने चश्मे बेचता था। जब उसका कोई ग्राहक नेताजी की मूर्ति पर लगे फ्रेम की माँग करता तो कैप्टन मूर्ति पर अन्य फ्रेम लगाकर वह फ्रेम अपने ग्राहक को बेच देता। इसी कारणवश मूर्ति पर कोई स्थाई फ्रेम नहीं रहता था।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:
प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से तात्पर्य नेताजी के बार-बार बदलने वाले फ्रेम से है। मूर्तिकार ने नेताजी की मूर्ति बनाते समय चश्मा नहीं बनाया था। नेताजी बिना चश्मे के यह बात एक गरीब देशभक्त चश्मेवाले कैप्टन को पसंद नहीं आती थी इसलिए वह नेताजी की मूर्ति पर उसके पास उपलब्ध फ्रेमों से एक फ्रेम लगा देता था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
मूर्तिकार कौन था और उसने मूर्ति का चश्मा क्यों नहीं बनाया था?

उत्तर:
मूर्तिकार उसी कस्बे के स्थानीय विद्यालय का मास्टर मोतीलाल था। मूर्ति बनाने के बाद शायद वह यह तय नहीं कर पाया होगा कि पत्थर से पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाये या फिर उसने पारदर्शी चश्मा बनाने की कोशिश की होगी मगर उसमें असफल रहा होगा।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर:
पानवाले ने कैप्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है। जो कि अति गैर जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य है। कैप्टन में एक सच्चे देशभक्त के वे सभी गुण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी वर्ग में नहीं है। वह भले ही लँगड़ा है पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी नेताजी को बग़ैर चश्मे के नहीं रहने देता है। अत: कैप्टन पानवाले से अधिक सक्रिय तथा विवेकशील तथा देशभक्त है।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया?”
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

उत्तर:
चश्मेवाला कभी सेनानी नहीं रहा परन्तु चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था। वह अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे।

प्रश्न घ-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर रुकने के लिए मना क्यों किया?

उत्तर:
करीब दो सालों तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और नेताजी की मूर्ति में बदलते चश्मे को देखते रहे फिर एक बार ऐसा हुआ कि नेताजी के चेहरे पर कोई चश्मा नहीं था। पता लगाने पर हालदार साहब को पता चला कि मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर गया और अब ऐसा उस कस्बे में कोई नहीं था जो नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाता इसलिए हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश दिया।

प्रश्न घ-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

उत्तर:
कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कैप्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य देश प्रेमी बचा न था जो नेताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे।

प्रश्न घ-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

उत्तर:
मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना है। भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है। अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और साधनों के बिना भी देश के लिए कार्य करते रहेंगे।

प्रश्न घ-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर:
उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया। यह बात उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी देश में देश-भक्ति जीवित है भले ही बड़े लोगों के मन में देशभक्ति का अभाव हो परंतु वही देशभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए।

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – वह जन्मभूमि मेरी [कविता]

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुना त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्ण भूमि मेरी।
कवि किस भूमि की बात कर रहा है?

उत्तर:
कवि अपनी जन्मभूमि भारतमाता की बात कर रहा है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुना त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्ण भूमि मेरी।
कवि ने हिमालय के बारे में क्या कहा है?

उत्तर :
कवि कहते है कि हिमालय इतना ऊँचा है मानो आसमान को चूम रहा है। वह हमारे भारत की रक्षा करता है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुना त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्ण भूमि मेरी।
त्रिवेणी नदियों के नाम लिखिए।

उत्तर:
गंगा, यमुना और सरस्वती त्रिवेणी नदियाँ है।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुना त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्ण भूमि मेरी।
शब्दार्थ लिखिए :
मातृभूमि, सिंधु, नित, पुण्य भूमि

उत्तर:

शब्दअर्थ
मातृभूमिजन्म भूमि
सिंधुसमुद्र
नितप्रतिदिन
पुण्य भूमिपवित्र भूमि

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़िया चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है, तन मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
कवि ने भारत के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है?

उत्तर:
पकवि ने भारत के लिए जन्मभूमि, मातृभूमि, धर्मभूमि तथा कर्मभूमि विशेषणों का प्रयोग किया है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़िया चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है, तन मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
झरने कहाँ झरते हैं?

उत्तर:
पझरने भारत माता की पवित्र पहाड़ियों पर झरते हैं।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़िया चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है, तन मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
भारत की हवा कैसी है? उसका हम पर क्या प्रभाव होता है?

उत्तर:
भारत में बहने वाली हवा सुगंधित है। यह हमारे तन-मन को सँवारती है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
झरने अनेक झरते जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़िया चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है, तन मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
शब्दार्थ लिखिए :
अमराइयाँ, मलय, पवन

उत्तर:

शब्दअर्थ
अमराइयाँआम के पेड़ों के बाग
मलयपर्वत का नाम
पवनहवा

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।
जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।
कवि भारत की भूमि को पावन क्यों मानते हैं?

उत्तर:
पकवि भारत की भूमि को पावन मानते हैं क्योंकि यहाँ राम, सीता, श्रीकृष्ण तथा गौतम जैसे महान अवतार अवतरित हुए थे।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।
जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।
गौतम कौन थे? उन्होंने क्या उपदेश दिया था?

उत्तर:
गौतम बौद्ध धर्म चलाने वाले महापुरुष थे। उन्होंने जीवों पर दया रखने का उपदेश दिया।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।
जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।
‘श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि यह वहीं पवन भारत भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। गोकुल और मथुरा की गोपियों को अपनी मुरली की धुन से मोहित कर दिया था तथा कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।
जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।
शब्दार्थ लिखिए :
रघुपति, वंशी, पुनीत, जंग

उत्तर:

शब्दअर्थ
रघुपतिभगवान श्री राम
वंशीबांसुरी
पुनीतपवित्र
जंगसंसार

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – अपना – अपना भाग्य

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैंने कहा – “होगा कोई”
लेखक किसके साथ कहाँ बैठा था?

उत्तर:
लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देश्य घूमने के बाद एक बेंच पर बैठे थे?

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैंने कहा – “होगा कोई”
बादलों का लेखक ने कैसा वर्णन किया है?

उत्तर :
लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देश्य घूमने के बाद एक बेंच पर बैठे थे। उस समय संध्या धीरे-धीरे उतर रही थी। रुई के रेशे की तरह बादल लेखक के सिर को छूते हुए निकल रहे थे। हल्के प्रकाश और अँधियारी से रंग कर कभी बादल नीले दिखते, तो कभी सफ़ेद और फिर कभी जरा लाल रंग में बदल जाते।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैंने कहा – “होगा कोई”
लेखक ने नैनीताल की उस संध्या में कुहरे की सफेदी में क्या देखा?

उत्तर:
लेखक ने उस शाम एक दस-बारह वर्षीय बच्चे को देखा जो नंगे पैर, नंगे सिर और एक मैली कमीज लटकाए चला आ रहा था। उसकी चाल से कुछ भी समझ पाना लेखक को असंभव सा लग रहा था क्योंकि उसके पैर सीधे नहीं पड़ रहे थे। उस बालक का रंग गोरा था परंतु मैल खाने से काला पड़ गया था, ऑंखें अच्छी, बड़ी पर सूनी थी माथा ऐसा था जैसे अभी से झुरियों आ गईं हो।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही थी। मैंने कहा – “होगा कोई”
लेखक और मित्र ने उस बालक के विषय में कौन-सी बातें जानी?

उत्तर:
नैनीताल की संध्या के समय लेखक और उसके मित्र जब एक बेंच पर बैठे थे तो उनकी मुलाकात एक दस-बारह वर्षीय बालक से होती है। दोनों को आश्चर्य होता है कि इतनी ठंड में यह बालक बाहर क्या कर रहा है। वे उससे तरह-तरह के प्रश्न करते हैं। उससे उन्हें पता चलता है कि वो कोई पास की दुकान पर काम करता था और उसे काम के बदले में एक रूपया और जूठा खाना मिलता था।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में अवगुण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा लाए कहीं से-लो जी यह नौकर लो।”
उपर्युक्त अवतरण में किस की बात की जा रही है?

उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण में एक दस-बारह वर्षीय पहाड़ी बालक की बात की जा रही है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में अवगुण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा लाए कहीं से-लो जी यह नौकर लो।”
प्रस्तुत कथन के वक्ता का परिचय दें।

उत्तर:
प्रस्तुत कथन के वक्ता लेखक के वकील मित्र हैं और साथ ही होटल के मालिक भी हैं।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में अवगुण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा लाए कहीं से-लो जी यह नौकर लो।”
लेखक उस बच्चे को वकील साहब के पास क्यों ले गए?

उत्तर:
लेखक को रास्ते में एक दस-बारह वर्षीय बालक मिला जिसके पास कोई काम और रहने की जगह नहीं थी। लेखक के एक वकील मित्र थे जिन्हें अपने होटल के लिए एक नौकर की आवश्यकता थी इसलिए लेखक उस बच्चे को वकील साहब के पास ले गए।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“अजी ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में अवगुण छिपे रहते हैं – आप भी क्या अजीब हैं उठा लाए कहीं से-लो जी यह नौकर लो।”
वकील साहब उस बच्चे को नौकर क्यों नहीं रखना चाहते थे?

उत्तर:
वकील उस बच्चे को नौकर इसलिए नहीं रखना चाहते थे क्योंकि वे और लेखक दोनों ही उस बच्चे के बारे में कुछ जानते नहीं थे। साथ ही वकील साहब को यह लगता था कि पहाड़ी बच्चे बड़े शैतान और अवगुणों से भरे होते हैं। यदि उन्होंने ने किसी ऐरे गैरे को नौकर रख लिया और वह अगले दिन वह चीजों को लेकर चंपत हो गया तो। इस तरह भविष्य में चोरी की आशंका के कारण वकील साहब ने उस बच्चे को नौकरी पर नहीं रखा।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ की हल्की-सी चादर चिपक गई थी, मानो दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे कफ़न का प्रबंध कर दिया था।
यहाँ पर गरीब किसे और क्यों संबोधित किया गया है?

उत्तर:
यहाँ पर गरीब उस पहाड़ी बालक को संबोधित किया गया, जो कल रात ठंड के कारण मर गया था। उस बालक के कई भाई-बहन थे। पिता के पास कोई काम न था घर में हमेशा भूख पसरी रहती थी इसलिए वह बालक घर से भाग आया था यहाँ आकर भी दिनभर काम के बाद जूठा खाना और एक रूपया ही नसीब होता था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ की हल्की-सी चादर चिपक गई थी, मानो दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे कफ़न का प्रबंध कर दिया था।
लड़के की मृत्यु का क्या कारण था?

उत्तर:
लड़का अपनी घर की गरीबी से तंग आकर काम की तलाश में नैनीताल भाग कर आया था। यहाँ पर आकर उसे एक दुकान में काम मिल गया था परंतु किसी कारणवश उसका काम छूट जाता है और उसके पास रहने की कोई जगह नहीं रहती है। उस दिन बहुत अधिक ठंड थी और उसके पास कपड़ों के नाम पर एक फटी कमीज थी इसी कारण उसे रात सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे बितानी पड़ी और अत्यधिक ठंड होने के कारण उस लड़के की मृत्यु हो गई।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ की हल्की-सी चादर चिपक गई थी, मानो दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे कफ़न का प्रबंध कर दिया था।
‘दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे कफ़न का प्रबंध कर दिया था’- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय सामान्य जनमानस की संवेदन-शून्यता और स्वार्थ भावना से है। एक पहाड़ी बालक गरीबी के कारण ठंड से ठिठुरकर मर जाता है। परंतु प्रकृति ने उसके तन पर बर्फ की हल्की चादर बिछाकर मानो उसके लिए कफ़न का इंतजाम कर दिया। जिसे देखकर ऐसा लगता था मानो प्रकृति मनुष्य की बेहयाई को ढँक रही हो।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ की हल्की-सी चादर चिपक गई थी, मानो दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे कफ़न का प्रबंध कर दिया था।
‘अपना अपना भाग्य’ कहानी के उद्देश्य पर विचार कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य आज के समाज में व्याप्त स्वार्थपरता, संवेदनशून्यता और आर्थिक विषमता को उजागर करना है। आज के समाज में परोपकारिता का अभाव हो गया है। निर्धन की सहायता करने की अपेक्षा सब उसे अपना-अपना भाग्य कहकर मुक्ति पा लेते हैं। हर कोई अपनी सामजिक जिम्मेदारी से बचना चाहता है। किसी को अन्य के दुःख से कुछ लेना-देना नहीं होता।

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – मेघ आए [कविता]

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर:
मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर:
कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
शब्दार्थ लिखिए – बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना

उत्तर:

शब्दअर्थ
बन ठन केसज-धज के
बाँकी चितवनतिरछी नजर
पाहुनअतिथि
ठिठकनासहम जाना

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
‘क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी, क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने लगती है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

उत्तर:
लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट में से देखा क्योंकि एक तो वह बादल को देखने के लिए व्याकुल हो रही थी और दूसरी ओर वह बादलों के देरी से आने के कारण रूठी हुई भी थी।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
कवि ने पीपल के पेड़ के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है और क्यों?

उत्तर:
कवि ने पीपल के पेड़ के लिए ‘बूढ़े’ शब्द का प्रयोग किया है क्योंकि पीपल का पेड़ दीर्घजीवी होता है। जिस प्रकार गाँव में मेहमान आने पर बड़े-बूढ़े आगे बढ़कर उसका अभिवादन करते हैं वैसे ही मेघ रूपी दामाद के आने पर गाँव के बुजुर्ग पीपल का पेड़ आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हैं।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
शब्दार्थ लिखिए – बरस, सुधि, अकुलाई, ढरके

उत्तर:

शब्दअर्थ
बरसवर्ष
सुधिसुध
अकुलाईव्याकुल
ढरकेढलकना

ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – सूर के पद [कविता]

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै॥
कौन किसको सुलाने का प्रयास कर रहा है?

उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने माता यशोदा का कृष्ण के प्रति प्यार को प्रदर्शित किया है। यहाँ पर माता यशोदा कृष्ण को सुलाने का प्रयास कर रही है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै॥
यशोदा बालक कृष्ण को सुलाने के लिए क्या-क्या यत्न कर रही है?

उत्तर :
यशोदा जी बालक कृष्ण को सुलाने के लिए पलने में झुला रही हैं। कभी प्यार करके पुचकारती हैं और लोरी गाती रहती है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै॥
कृष्ण को सोता हुआ जानकर यशोदा क्या करती हैं?

उत्तर:
कृष्ण को सोते समझकर यशोदा माता चुप हो जाती हैं और दूसरी गोपियों को भी संकेत करके समझाती हैं कि वे सब भी चुप रहे।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै॥
सूरदास के अनुसार यशोदा कौन-सा सुख पा रही हैं?

उत्तर:
सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं तथा मुनियों के लिये भी दुर्लभ है, वही श्याम को बालरूप में पाकर लालन-पालन तथा प्यार करने का सुख यशोदा प्राप्त कर रही हैं।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
खीजत जात माखन खात।
अरुन लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जँभात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँचत, नैन जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
इस दोहे में सूरदास जी ने क्या वर्णन किया है?

उत्तर:
इस दोहे में सूरदास जी ने श्रीकृष्ण के अनुपम बाल सौन्दर्य का वर्णन किया है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
खीजत जात माखन खात।
अरुन लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जँभात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँचत, नैन जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
बाल कृष्ण कैसे चलते हैं?

उत्तर:
बाल कृष्ण घुटनों के बल चलते हैं। उनके पैरों में घुंघरुओं की आवाज़ आती है।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
खीजत जात माखन खात।
अरुन लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जँभात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँचत, नैन जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
बाल कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
बाल कृष्ण बहुत सुंदर हैं। उनके नेत्र सुंदर हैं, भौंहें टेढ़ी हैं तथा वे बार-बार जम्हाई ले रहे हैं। उनका शरीर धूल में सना है।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
खीजत जात माखन खात।
अरुन लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जँभात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँचत, नैन जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥
बाल कृष्ण कैसी जबान में बोलते हैं?

उत्तर:
बाल कृष्ण तोतली जबान में बोलते हैं।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं।
जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥
सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं।
ह्वै हौं पूत नंद बाबा को, तेरौ सुत न कहैहौं॥
आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं।
हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं॥
तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥
उपर्युक्त पद का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त पद महाकवि सूरदास द्वारा रचित है। इस पद में बाल कृष्ण अपनी यशोदा माता से चंद्रमा रूपी खिलौना लेने की हठ कर रहे हैं उसका वर्णन किया गया है।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं।
जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥
सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं।
ह्वै हौं पूत नंद बाबा को, तेरौ सुत न कहैहौं॥
आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं।
हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं॥
तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥
अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को क्या-क्या कह रहे हैं?

उत्तर:
अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को कहते हैं कि जब तक उन्हें चाँद रूपी खिलौना नहीं मिल जाता तब तक वह न तो भोजन ग्रहण करेंगे, न चोटी गुँथवाएगे, न मोतियों की माला पहनेंगे, न उनकी गोद में आएँगे, न ही नंद बाबा और यशोदा माता के बेटे कहलाएँगे।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं।
जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥
सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं।
ह्वै हौं पूत नंद बाबा को, तेरौ सुत न कहैहौं॥
आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं।
हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं॥
तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥
यशोदा माता श्रीकृष्ण को मनाने के लिए क्या कहती है?

उत्तर:
यशोदा माता श्रीकृष्ण को मनाने के लिए उनके कान में कहती है, तुम ध्यान से सुनो। कहीं बलराम न सुन ले। तुम तो मेरे चंदा हो और में तुम्हारे लिए सुंदर दुल्हन लाऊँगी।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं।
जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥
सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं।
ह्वै हौं पूत नंद बाबा को, तेरौ सुत न कहैहौं॥
आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं।
हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं॥
तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥
माँ यशोदा की बात सुनकर श्रीकृष्ण की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर:
माँ यशोदा की बात सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं माता तुझको मेरी सौगन्ध। तुम मुझे अभी ब्याहने चलो।