Bahuvrihi Samas in Sanskrit – बहुव्रीहिसमासः – परिभाषा, उदाहरण, भेद, सूत्र, अर्थ – संस्कृत

बहुव्रीहिसमासः – Bahuvrihi Samas in Sanskrit

जिस समास में जब अन्य पदार्थ की प्रधानता होती है तब वह बहुव्रीहि समास कहा जाता है। अर्थात् इस समास में न तो पूर्व पदार्थ की प्रधानता होती है और न ही उत्तर पदार्थ की, अपितु दोनों पदार्थ मिलकर अन्य पदार्थ का बोध कराते हैं। समस्त पद का प्रयोग अन्य पदार्थ के विशेषण के रूप में होता है। जैसे–

  • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (विष्णु)।
  • पीला है वस्त्र जिसका वह = पीताम्बर, अर्थात् विष्णु।

यहाँ ‘पीतम्’ तथा ‘अम्बरम्’ इन दोनों पदों के अर्थ की प्रधानता नहीं है, अर्थात् ‘पीला वस्त्र’ इस अर्थ का ग्रहण नहीं होता है अपितु दोनों पदार्थ मिलकर अन्य पदार्थ अर्थात् ‘विष्णु’ इस अर्थ का बोध कराते हैं अर्थात् ‘पीताम्बरः’ इस समस्त पद का अर्थ ‘विष्णुः’ है, इसलिए यहाँ बहुव्रीहि समास है।

इसके अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं। जैसे–

बहुव्रीहिसमासः समास के उदाहरण – (Bahuvrihi Samas Sanskrit Examples)

(i) समानाधिकरण – बहुव्रीहि – जब समास के पूर्व उत्तर पद में समान विभक्ति (प्रथमा विभक्ति) होती है, तब वह समानाधिकरण बहुव्रीहि समास होता है। यथा–

  • प्राप्तम् उदकं येन सः = प्राप्तोदकः (ग्रामः)
  • हताः शत्रवः येन सः = हतशत्रुः (राजा)
  • दत्तं भोजनं यस्मै सः = दत्तभोजनः (भिक्षुकः)
  • पतितं पर्णं यस्मात् सः = पतितपर्णः (वृक्षः)
  • दश आननानि यस्य सः = दशाननः (रावणः)
  • वीराः पुरुषाः यस्मिन् (ग्रामे) सः = वीरपुरुषः (ग्राम:)
  • चत्वारि मुखानि यस्य सः = चतुर्मुखः (ब्रह्मा)

(ii) व्यधिकरणबहुव्रीहिः – जब समास के पूर्व और उत्तर पदों में भिन्न विभक्ति होती है तब वह व्यधिकरण बहुव्रीहि समास होता है। यथा–

  • चक्रं पाणौ यस्य सः = चक्रपाणिः (विष्णुः)
  • शूलं पाणौ यस्य सः = शूलपाणिः (शिवः)
  • धनुः पाणौ यस्य सः = धनुष्पाणि : (रामः)
  • चन्द्रः शेखरे यस्य सः = चन्द्रशेखरः (शिवः)
  • रघुकुले जन्म यस्य सः = रघुकुलजन्मा (रामचन्द्रः)

(iii) तुल्ययोगेबहुव्रीहि – यहाँ ‘सह’ शब्द का तृतीयान्त पद के साथ समास होता है। यथा–

  • पुत्रेण सहितः = सपुत्रः
  • बान्धवैः सहितः = सबान्धवः
  • विनयेन सह विद्यमानम् = सविनयम्
  • आदरेण सह विद्यमानम् = सादरम्
  • पत्न्या सह वर्तमानः = सपत्नीकः (वशिष्ठः)

(iv) उपमानवाचकबहुव्रीहिः

  • चन्द्रः इव मुखं यस्याः साः = चन्द्रमुखी
  • पाषाणवत् हृदयं यस्य सः = पाषाणहृदयः

Bahuvrihi Samas in Sanskrit

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