Anyokti Alankar – अन्योक्ति अलंकार परिभाषा उदाहरण अर्थ हिन्दी एवं संस्कृत

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अन्योक्ति अलंकार

अन्योक्ति अलंकार परिभाषा

जहाँ उपमान के वर्णन के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार में कोई बात सीधे-सादे रूप में न कहकर . किसी के माध्यम से कही जाती है। जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को लक्ष्य कर कही जाने वाली बात दूसरे के लिए कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है;

जैसे–
नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।
“नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल।
अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”

यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है। यहाँ उपमान ‘कली’ और ‘भौरे’ के वर्णन के बहाने उपमेय (राजा जय सिंह और उनकी नवोढ़ा नायिका) की ओर संकेत किया गया है।

अन्योक्ति अलंकार कुछ अन्य उदाहरण :

(a) जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सुबीति बहार।
अब अलि रही गुलाब में, अपत कँटीली डार।।

(b) इहिं आस अटक्यो रहत,
अली गुलाब के मूल अइहैं फेरि बसंत रितु,
इन डारन के मूल।

(c) भयो सरित पति सलिल पति, अरु रतनन की खानि।
कहा बड़ाई समुद्र की, जु पै न पीवत पानि।

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