Roopak Alankar In Sanskrit – रूपक अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण – (संस्कृत व्याकरण)

रूपक अलंकार – Rupak Alankar In Sanskrit

रूपक अलंकार: जब रूप-गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय पर उपमान का भेदरहित आरोप होता है तो उसे रूपक अलंकार कहते हैं। रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान में भिन्नता नहीं रह जाती है; जैसे-चरण कमल बंदी हरि राइ। यहाँ हरि के चरणों (उपमेय) में कमल(उपमान) का आरोप है। अत: रूपक अलंकार है।

रूपक अलंकार अन्य उदाहरण – Examples Of Rupak Alankar

  • मुनि पद कमल बंदि दोउ भ्राता।
    मुनि के चरणों (उपमेय) पर कमल (उपमान) का आरोप।
  • भजमन चरण कँवल अविनाशी।
    ईश्वर के चरणों (उपमेय) पर कँवल (कमल) उपमान का आरोप।
  • बंद नहीं, अब भी चलते हैं नियति नटी के क्रियाकलाप।
    प्रकृति के कार्य व्यवहार (उपमेय) पर नियति नटी (उपमान) का अरोप।
  • सिंधु-बिहंग तरंग-पंख को फड़काकर प्रतिक्षण में।
    सिंधु (उपमेय) पर विहंग (उपमान) का तथा तरंग (उपमेय) पर पंख (उपमान) का आरोप।
  • अंबर पनघट में डुबो तारा-घट ऊषा नागरी।
    अंबर (उपमेय) पर पनघट (उपमान) का तथा तारा (उपमेय) पर घट (उपमान) का आरोप।

Roopak Alankar In Sanskrit

Leave a Comment