CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 3

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 3

BoardCBSE
ClassXII
SubjectHindi
Sample Paper SetPaper 3
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 3 of Solved CBSE Sample Paper for Class 12 Hindi is given below with free PDF download solutions.

समय :3 घंटे
पूर्णांक : 100

सामान्य निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के तीन खंड हैं-क, ख और ग।
  • तीनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (15)

सुभी धर्म हमें एक ही ईश्वर तक पहुँचाने के साधन हैं। अलग-अलग रास्तों पर चलकर भी हम एक ही स्थान पर पहुँचते हैं। इसमें किसी को दुखी नहीं होना चाहिए। हमें सभी धर्मों के प्रति समान भाव रखना चाहिए। दूसरे धर्मों के प्रति समभाव रखने में धुर्म का क्षेत्र व्यापक बनता है। हमारी धर्म के प्रति अंधुता मिटती है। इससे हमारा प्रेम अधिक ज्ञानुमय एवं पवित्र बुनता है। यह बात लगभुग असंभव है कि इस पृथ्वी पर कभी भी एक धुर्म रहा होगा या हो सकेगा। हमें ऐसे धुर्म की आवश्यकता है जो विविध धुर्मों में ऐसे तृत्त्व को खोजे, जो विविध धर्मों के अनुयायियों के मध्य सहनशीलता की भावना को विकसित कर सके।

हमें संसार के धुर्मग्रंथों को पढ़ना चाहिए। हमें दूसरे धर्मों का वैसा ही आदर करना चाहिए जैसा हम दूसरों से अपने धर्म का कराना चाहते हैं। सत्य के अनेक रूप होते हैं। यह सिद्धांत हमें दूसरे धर्मों को भूली-प्रकार समझने में मदद करता है। सात अंधों के उदाहरण में सभी अंधे व्यक्तुि हाथी का वर्णन अपने-अपने ढंग से करते हैं। जिस अंधे को हाथी का जो अंग हाथ आया, उसके अनुसार हाथी वैसा ही था। जब तक अलग-अलग धर्म मौजूद हैं, तब तक उनकी पृथक् पहचान के लिए बाहरी चिन्ह की आवश्यकता होती है, लेकिन ये चिन्ह जुबु आडंबर बन जाते हैं और अपने धर्म को दूसरे से अलग बताने का काम करने लगते हैं, तब त्यागने के योग्य हो जाते हैं। धर्मों का उद्देश्य तो यह होना चाहिए कि वह अपने अनुयायियों को अच्छा इंसान बनाए। ईश्वर से यह प्रार्थना करनी चाहिए-“तू सभी को वह प्रकाश प्रदान कर, जिसकी उन्हें अपने सर्वोच्च विकास के लिए आवश्यकता है।”

ईश्वर एक ऐसी रहस्यमयी शक्ति है, जो सर्वत्र व्याप्त है। उस शक्ति का अनुभव तो किया जा सकता है, पर देखा नहीं जा सकता। हमारे चारों ओर हो रहे परिवर्तनों के पीछे कोई शक्ति अवश्य है, जो बदलती नहीं। वह शक्तुि नया निर्माण एवं संहार करती रहती है। यह क्रम निरंतर चलता रहता है। यह जीवन देने वाली शक्ति ही ‘पुरमात्मा’ है। उसी का अस्तित्व अंतिम है। मृत्यु के बीच जीवन कायम रहता है, असत्य के बीच सुत्यु टिका रहता है और अंधकार के मध्य प्रकाश स्थिर रहता है। इससे पता चलता है कि ईश्वर जीवन है, सत्य है और प्रकाश है। वह परम कल्याणकारी है।

(क) उपरोक्त गद्यांश के लिए शीर्षक लिखिए।
(ख) हमें सभी धर्मों के प्रति कैसा भाव रखना चाहिए और क्यों?
(ग) हमें कैसे धर्म की आवश्यकता है?
(घ) सत्य के अनेक रूप होते हैं-यह सिद्धांत हमारे लिए क्यों आवश्यक हैं तथा इस सिद्धांत को समझाने के लिए लेखक ने क्या उदाहरण दिया हैं?
(ङ) धर्म के बाहरी चिन्हों की आवश्यकता कब होती है? ये त्यागने योग्य कब बन जाते हैं?
(च) धर्मों का उद्देश्य क्या होना चाहिए?
(छ) ईश्वर कैसी शक्ति है? हमें उससे क्या प्रार्थना करनी चाहिए?
(ज) ईश्वर जीवन है, सत्य और प्रकाश है-कैसे?

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 5 = 5)

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी।
अभी इतनी भोली सुरल थी।
की तरह कि उसे सुख का आभास तो होता था।
लेकिन दुख बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वृह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

मां ने कहा, पानी में झांककर
अपने चेहरे पर मृत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है।
जुलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों
बंधन है स्त्री-जीवन के
मां ने कहा, लड़की होना।
पर लड़की जैसा दिखाई मृत देना।

(क) उपरोक्त कविता में कौन, किसको शिक्षा दे रही है?
(ख) लड़की के कन्यादान के अवसर पर मां को क्या अनुभूति हो रही थी?
(ग) मां ने चेहरे के बारे में क्या समझाया?
(घ) स्त्री-जीवन में वस्त्र और आभूषणों का क्या महत्त्व है?
(ङ) अंत में मां ने लड़की को क्या कहा और क्यों?

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर निबंध लिखिए (5)

(क) महानगरीय जीवन
(ख) तकनीकी शिक्षा
(ग) बाढ़ की समस्या
(घ) भारतीय रेल

प्रश्न 4.
भारतीय स्टेट बैंक की अनेक शाखाओं को कुछ कार्यालय सहायकों की आवश्यकता है, आप एक योग्य उम्मीदवार हैं। बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक को अपनी उम्मीदवारी पेश करते हुए आवेदन-पत्र लिखिए। (5)
अथवा
चुनाव में अंधाधुंध खर्च होने वाले पैसे पर नियंत्रण लगाने का निवेदन करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त, निर्वाचन आयोग दिल्ली को पत्र लिखिए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अभिव्यक्ति और माध्यम के आधार पर लिखिए (1 × 5= 5)

(क) समूह संचार किसे कहते हैं?
(ख) खोजपरक पत्रकारिता किसे कहते हैं?
(ग) बीट क्या है?
(घ) पीत पत्रकारिता किसे कहते हैं?
(ड) रेडियो की भाषा कैसी होनी चाहिए?

प्रश्न 6.
‘महँगाई की समस्या’ अथवा ‘गाँव में दूषित पानी की समस्या के विषय पर एक फ़ीचर तैयार कीजिए। (5)

प्रश्न 7.
‘जन-धन योजना’ अथवा ‘गाँवों से पलायन’ विषय पर आलेख लिखिए। (5)

प्रश्न 8.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 4 = 8)

फिर फिर
बार बार गर्जन
वृर्षण है मूसलाधार
हृदये थाम लेता संसार
सुन-सुन घोर वज्र हुंकार
अशनि पात से शापितु उन्नत शत शत वीर
क्षत विक्षत हत अंचल शरीर
गुगन स्पर्शी स्पर्धा धीर

हंसते है छोटे पौधे लघुभार
शस्य अपार
हिल हिल
खिल खिल
हाथ हिलाते
तुझे बुलाते
विप्लव रव ने छोटे ही है शोभा पाते।

(क) सर्वहारा वर्ग किस प्रकार अपनी प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं?
(ख) मूसलाधार वर्षा किसका प्रतीक है? इससे आम लोगों के जीवन में किस प्रकार का परिवर्तन आएगा?
(ग) ‘अशनि पात से शापित उन्नत शत शत वीर’ पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है और क्यों?
(घ) विप्लव रव से आप क्या समझते हैं? छोटे कौन हैं और वे किस प्रकार शोभा पाते हैं?

अथवा

हो जाए न पृथ में रात कहीं
मंजिल भी तो है दूर नहीं
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।

बच्चे प्रत्याशा में होंगे।
नीड़ों से झांक रहे होंगे।
यह ध्यान पुरों में चिड़ियों के भुरता कितना चंचलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।

(क) पंथी क्या सोच रहा है और क्यों?
(ख) बच्चे नीड़ों से क्यों झांकते होंगे?
(ग) कवि को किस बात की चिंता है और क्यों?
(घ) चिड़िया चंचल क्यों हो रही है?

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए (2 × 3 = 6)

सबसे तेज़ बौछारें गई भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नई चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए।
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को

(क) शरद ऋतु के आने के चित्र की सुंदरता स्पष्ट कीजिए।
(ख) काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) काव्यांश में प्रयुक्त बिंब का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

अथवा

बहुत काली सिलु जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मुल दी हो किसी ने

नील जुल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो

(क) उत्प्रेक्षा अलंकार के दो उदाहरण चुनकर लिखिए।
(ख) कविता के भाषिक सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) काव्यांश का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए (3 × 2 = 6)

(क) ‘रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की’, पंक्ति के भाव को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ कहकर कविता ने संवेदनहीन व्यवस्था को किस प्रकार स्पष्ट किया है?
(ग) कविता और बच्चे को कविता के बहाने कविता में समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

प्रश्न 11.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (2 × 4 = 8)

यह विडंबना की बात है कि इस युग में भी जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है। इसके पोषक कई आधारों पर इसका समर्थन करते हैं। समर्थन का एक आधार यह कहा जाता है कि आधुनिक सभ्य समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है और चूंकि जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है, इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। इस तर्क के संबंध में पहली बात तो यही आपत्तिजनक है कि जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन को भी रूप लिए हुए है। श्रम विभाजून निश्चय ही सभ्य समाज की आवश्यकता है, पुरंतु किसी भी सभ्य समाज में श्रम विभाजन की व्यवस्था श्रमिकों का विभिन्न वर्गों में अस्वाभाविक विभाजन नहीं करती। भारत की जाति प्रथा की एक और विशेषता यह है कि यह श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन ही नहीं कुरती, बल्कि विभाजित विभिन्न वर्गों को एक दूसरे की अपेक्षा ऊँच-नीच भी करार देती है, जोकि विश्व के किसी भी समाज में नहीं पाया जाता।

(क) लेखक किस बात को विडंबना मानता है और क्यों?
(ख) भारत की जाति प्रथा विश्व से अलग कैसे है?
(ग) जातिवाद का समर्थन किन आधारों पर किया जाता है?
(घ) लेखक जातिवाद को आपत्तिजनक क्यों मानता है?

अथवा

पिता का उससे अगाध प्रेम होने के कारण स्वभावतः ईर्ष्यालु और संपत्ति की रक्षा में सतर्क विमाता ने उनके मुरणांतूक रोग का समाचार तब भेजा, जब वह मृत्यु की सूचना भी बन चुका था। रोने पीटने के अपशकुन से बचने के लिए सास ने भी उसे कुछ न बताया। बहुत दिन से नैहर नहीं गई, सो जाकर देख आवे, यही कहकर और पहना उढ़ाकर सास ने उसे विदा कर दिया। इस अप्रत्याशित अनुग्रह ने उसके पैरों में जो पंख लगा दिए थे, वे गाँव की सीमा में पहुँचते ही झड़ गए। हाय, लछिमन अब आई, की अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण दृष्टियाँ उसे घर तक ठेल ले गईं। पर वहाँ न पिता का चिन्ह शेष था, न विमाता के व्यवहार में शिष्टाचार का लेश था।

(क) भक्तिन को पिता की मृत्यु का समाचार देर से क्यों मिला?
(ख) सास द्वारा भक्तिन को विदा करने को अप्रत्याशित अनुग्रह क्यों कहा गया है?
(ग) पंख लगाने और झड़ने के भाव को स्पष्ट कीजिए।
(घ) ‘हाय लछिमन अब आई’ में निहित करुणा व सहानुभूति को स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए (3 × 4 = 12)

(क) पर्चेजिंग पावर से आप क्या समझते हैं? बाज़ार की चकाचौंध से दूर पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है?
(ख) विभाजन के अनेक स्वरूपों में बटी जनता को मिलाने की अनेक भूमिकाएँ हो सकती हैं-रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें कौन सबसे ताकतवर है और क्यों?
(ग) लुट्टन सिंह पहलवान की कीर्ति दूर-दूर तक कैसे फैल गई?
(घ) जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?
(ङ) लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत की तरह क्यों माना है?

प्रश्न 13.
ऐन की डायरी एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ होने के साथ-साथ भावनाओं की उथल पुथल की अभिव्यक्ति भी है-कैसे? (5)

प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए (2 × 5 = 10)

(क) जूझ का कथानायक किशोर विद्यार्थियों के लिए आदर्श प्रेरणास्त्रोत है-कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशन दा की क्या भूमिका रही?
(ग) सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य बोध है जो राज पोषित या धर्म पोषित न होकर समाज पोषित था-कैसे?

उत्तर

उत्तर 1.
(क) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक है- ‘धर्म, ईश्वर और सत्य’। संपूर्ण गद्यांश में आरंभ से अंत तक धर्म, ईश्वर और सत्य के विषय में ही चर्चा की गई है। अतः यह शीर्षक सर्वाधिक उचित है।

(ख) हमें सभी धर्मों के प्रति समभाव रखना चाहिए, क्योंकि इससे धर्म का क्षेत्र व्यापक बनता है। हमारी धर्म के प्रति अंधता मिटती है। इससे हमारा प्रेम अधिक ज्ञानमय एवं पवित्र बनता है।

(ग) हमें ऐसे धर्म की आवश्यकता है, जो विविध धर्मों के अनुयायियों के मध्य सहनशीलता की भावना को विकसित कर सके।

(घ) सत्य के अनेक रूप होते हैं-यह सिद्धांत हमारे लिए इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इस सिद्धांत को स्वीकार कर लेने से अन्य धर्मों को भली-प्रकार से समझा जा सकता है। इस सिद्धांत को समझाने के लिए लेखक ने सात अंधे व्यक्तियों और हाथी का उदाहरण दिया है।

(ङ) धर्म के बाहरी चिन्हों की आवश्यकती तब होती है, जब अलग-अलग धर्म मौजूद हो तथा उनकी अलग पहचान करनी हो। जब ये चिन्ह आडंबर बन जाते हैं और अपने धर्म को दूसरे से अलग बताने का काम करते हैं, तब ये त्यागने योग्य हो जाते हैं।

(च) धर्मों का उद्देश्य बाहरी आडंबरों के माध्यम से अपने धर्म को दूसरे धर्म से अलग बताने का काम करना नहीं होना चाहिए, बल्कि उसका उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह अपने अनुयायियों को अच्छा इंसान बनाए।

(छ) ईश्वर एक रहस्यमयी शक्ति है, जो सभी जगह समाई हुई है। इस शक्ति का अनुभव तो किया जा सकता है, परंतु इसे देखा नहीं जा सकता। हमें ईश्वर से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि-‘”हे ईश्वर! तू सभी को वह प्रकाश प्रदान कर, जिसकी उन्हें अपने सर्वोच्च विकास के लिए आवश्यकता है।”

(ज) ईश्वर जीवन देने वाली शक्ति है। जिस प्रकार मृत्यु के बीच जीवन कायम रहता है, असत्य के बीच सत्य टिका रहता है, ठीक उसी प्रकार अंधकार के बीच प्रकाश स्थिर रहता है। अतः कह सकते हैं कि ईश्वर जीवन, सत्य और प्रकाश है।

उत्तर 2.

(क) उपरोक्त कविता में एक माँ अपनी बेटी का कन्यादान करते समय उसे शिक्षा दे रही है।
(ख) लड़की के कन्यादान के अवसर पर माँ को यह अनुभूति हो रही थी कि अभी उसकी बेटी सयानी नहीं हुई है, वह अभी बहुत भोली है।
(ग) माँ ने चेहरे के बारे में समझाया कि पानी में अपने चेहरे को देखकर उस पर कभी मत रीझना अर्थात् अपनी सुंदरता पर कभी घमंड मत करना।
(घ) स्त्री-जीवन में वस्त्र और आभूषणों का महत्त्व केवल इतना है कि ये शाब्दिक भ्रमों की तरह स्त्री-जीवन के बंधन हैं।
(ङ) अंत में माँ ने लड़की को कहा, कि लड़की होनी पर लड़की जैसी दिखाई मत देना अर्थात् जीवन की विपरीत परिस्थितियों में कभी कमज़ोर मत पड़ना।

उत्तर 3.

(क) महानगरीय जीवन

किसी भी देश की सभ्यता, संस्कृति और विकास में नगरों एवं महानगरों का अपना महत्त्व होता है। भारत का विकास ग्रामीण विकास के साथ-साथ नगरों के विकास एवं महानगरीय क्षेत्रों के विकास से जुड़ा है। सामान्यतः लोगों का ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की ओर पलायन ही नगरीकरण कहलाता है। महानगरों में लोग सामान्यतया गैर-कृषि कार्यों में लगे होते हैं; जैसे-निर्माण, वाणिज्य, व्यापार, नौकरी एवं विभिन्न पेशों में। नगरीय समुदाय आकार में बड़े होते हैं। यहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक (1,000 व्यक्ति प्रतिवर्ग मील से भी अधिक) होता है। शहरी क्षेत्रों में लोग मानव-निर्मित वातावरण से घिरे एवं प्रकृति से कटे होते हैं। नगरीय समुदाय अधिक विषम एवं वर्ग के आधार पर स्तरीकृत होता है। नगरीय क्षेत्रों की गतिशीलता ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक होती है। शहरी क्षेत्रों में लोगों के बीच के संबंध अवैयक्तिक, आकस्मिक, संविदात्मक एवं अल्पकालिक होते हैं।

नगरों में गाँवों की अपेक्षा स्त्रियों की स्थिति अच्छी होती है। शिक्षित होने के कारण नगरों की स्त्रियाँ न केवल अपने आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक रहती हैं, बल्कि अपमान एवं शोषण से बचने के लिए वे इन अधिकारों का प्रयोग भी करती हैं। नगरीय क्षेत्रों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार से विवाह की आयु में वृद्धि तथा जन्म दर में कमी हुई है, लेकिन इससे दहेज के साथ परंपरागत विवाह के स्वरूप में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन नहीं हुआ है। शहरी स्त्रियाँ नए अवसरों के साथ-साथ सुरक्षा चाहती हैं।

नगरीकरण सामाजिक गतिशीलता के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है। आज के युग में व्यक्ति की व्यावसायिक प्रतिष्ठा अधिकतर उसकी शिक्षा पर निर्भर करती है। जितनी ऊँची शिक्षा, उतनी ही ऊँची व्यावसायिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने की संभावना बनती है, क्योंकि नगरीय समुदाय अच्छे शैक्षिक अवसर प्रदान करते हैं, इसलिए यहाँ प्रस्थिति और गतिशीलता के अवसर भी अधिक होते हैं।

नगरीकरण के साथ अनेक समस्याएँ भी जुड़ी हुई हैं। नगरों में रहने के लिए पर्याप्त मकाने का न मिलना एक गंभीर समस्या है। गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों की मकान की ज़रूरतों से तालमेल करने में सरकार, उद्योगपति, पूँजीपति, उद्यमी, ठेकेदार और मकान मालिक असमर्थ रहे हैं। भारत के बड़े-से-बड़े नगरों की एक-चौथाई आबादी झोंपड़-पट्टियों में रहती है। लाखों लोगों को अत्यधिक किराया देना पड़ता है। भारत के नगरों में परिवहन एवं यातायात की तस्वीर असंतोषजनक है। कारों, मोटरसाइकिलों आदि की बढ़ती संख्या ने यातायात की समस्या को और अधिक भीषण बना दिया है। भीड़ और लोगों की उदासीनता संबंधी समस्या शहरी जीवन की उपज है।

वर्तमान समय में असमान रूप से विकसित होते नगरों के कारण देश में प्रदूषण आदि की समस्या और घर से कार्यस्थल तक उचित एवं सस्ती परिवहन सुविधा, अच्छे मकान, स्वच्छ वायु-पानी की उपलब्धता का अभाव आदि के समाधान के लिए सिर्फ राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों पर निर्भर न रहकर स्थानीय निवासियों को भी अपनी बस्तियों के पुनरूद्धार के लिए प्रभावशाली ढंग से सक्रिय होना होगा।

(ख) तकनीकी शिक्षा

विज्ञान और प्रौद्योगिकी (तकनीक) आधुनिक जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसने मानव सभ्यता को गहराई में जाकर प्रभावित किया है। आधुनिक जीवन में तकनीकी उन्नति ने पूरे संसार में हमें बहुत अधिक उल्लेखनीय अंतर्दृष्टि दी है। किसी भी क्षेत्र में तकनीकी विकास किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है। शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध, विचारों और तकनीकों का परिचय नई पीढ़ी में बड़े स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन लाया है और उन्हें अपने स्वयं के हित में काम करने के लिए नए अभिनव के अवसरों की विविधता प्रदान की है। प्रौद्योगिकी के अध्ययन को प्रौद्योगिकी (तकनीकी) शिक्षा कहते हैं। इसमें विद्यार्थी प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रक्रमों का अध्ययन करते हैं। तथा प्रौद्योगिकी का ज्ञान प्राप्त करते हैं। तकनीकी शिक्षा का संबंध केवल हार्डवेयर (मशीन) अभियांत्रिकी से नहीं है, वरन शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु, शिक्षण को प्रभावी बनाने हेतु, अनुदेशन को संकलित करने हेतु एवं शिक्षण के प्रभाव का मूल्यांकन करने हेतु आधुनिकतम तकनीकी के प्रयोग से है।

तकनीकी शिक्षा को लेकर भारत में हमेशा एक असमंजस्य का माहौल रहा है। देश में तकनीकी शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत अभियांत्रिक (इंजीनियरिंग), प्रौद्योगिक, प्रबंधन, वास्तुकला (आर्किटेक्चर), फार्मेसी, नगर नियोजन, होटल मैनेजमेंट, शिल्प, अनुप्रयुक्त कला एवं शिल्प इत्यादि आते हैं। भारत में तकनीकी शिक्षा संपूर्ण शिक्षा तंत्र को एक महत्त्वपूर्ण भाग प्रदान करती है। यह हमारे देश में आर्थिक एवं सामाजिक विकास में सक्रिय भूमिका का निर्वहन करती है। भारत में तकनीकी शिक्षा कई भागों में डिप्लोमा, डिग्री, मास्टर डिग्री एवं क्षेत्र विशेष में शोध, आर्थिक वृद्धि व तकनीकी विकास के विभिन्न पहलुओं को प्रबंधन आदि में विभक्त है। भारत में तकनीकी शिक्षा का विकास हाल के वर्षों में बहुत तेज़ी से हुआ है। इसके बावजूद देश के प्रौद्योगिकी संस्थान अपने क्षेत्र में सबसे अच्छे बने हुए हैं, लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान विश्वस्तरीय संस्थान बनने से अब भी काफी दूर हैं। वर्तमान युग को तकनीकी युग कहा जाता है। जैसे-जैसे शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति होती गई, शिक्षा को अधिकाधिक वैज्ञानिक आधार देने की आवश्यकता अनुभव होने लगी, क्योंकि प्रत्येक तकनीकी विकास का आधार शिक्षा ही है।

तकनीकी शिक्षा समय की आवश्यकता है। यह रोज़गारपरक शिक्षा है। तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले युवकों के समक्ष रोज़गार के सभी अवसर प्रदान होते हैं। लड़कों के साथ-साथ लड़कियों में भी तकनीकी शिक्षा के प्रति रूचि अधिक बढ़ रही है। अभिभावकों को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों का रूझान इस शिक्षा की ओर और अधिक बढ़ाने का प्रयास करें। वर्तमान समय में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। इंजीनियरिंग संस्थानों के प्रबंधन में केवल विषय के पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ऐसे उपाय करने चाहिए, जिससे छात्र पढ़ाई में मन लगीकर सम्मिलित हो सकें। अगर ऐसा संभव हो पाया, तो फिर छात्रों को कंपनी में नौकरी पाने में काफी आसानी होगी और इंजीनियरिंग कॉलेज सही अर्थ में छात्रों के साथ उचित न्याय कर सकेंगे, तभी तकनीकी शिक्षा सही मायनों में उचित शिक्षा होगी।

(ग) बाढ़ की समस्या

प्राचीन समय में महान् साधु-संत प्रकृति का उदाहरण देकर नैतिकता की शिक्षा देते थे।

“वृक्ष कबहुँ नहिं फल भूखे, नदी न संचै नीर,
परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर।”

जब कई बार बालक माँ के कहे निर्देशों के अनुसार नहीं चलता, तो विवश होकर माता को कठोर बनना पड़ता है। इसी प्रकार प्रकृतिरूपी माँ को भी नियमों का उल्लंघन करने का दंड मानव समाज को देना पड़ता है, जो कई रूपों में सामने आता है। बाढ़ उनमें से एक है।

जब वर्षा भारी वेग से होती है, तो जल स्तर बढ़ने लगता है और नदियाँ, नाले, तालाब आदि जलमग्न हो जाते हैं। इसका कारण लोगों द्वारा अपने आस-पास के नालों का कूड़ा साफ न कराना, पॉलीथीन की थैलियों का नालियों में एकत्र हो जाना आदि हैं। इससे वे पानी से भर जाते हैं। यही पानी सड़कों पर एकत्र होकर घरों के भीतर जाने लगता है। इसी प्रकार वृक्षों का तेज़ी से कटाव होने के कारण मिट्टी अपना स्थान छोड़ देती है और वर्षा के पानी के साथ बहकर बाढ़ बन जाती है।

बाढ़ में चारों ओर तबाही का दृश्य दिखाई देता है। लोगों के घर, घर का सामान, संपत्ति सब कुछ बाढ़ में या तो बह जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं। बाढ़ के कारण मनुष्यों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है। जैसा कि वर्ष 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ और जोशीमठ में हुआ था। इस समय सरकारी, गैर-सरकारी कार्यालय, विद्यालय आदि सब बंद हो जाते हैं। बिजली की आपूर्ति भी बाधित हो जाती है। और पीने के पानी का अकाल पड़ने लगता है। बाढ़ समाप्त होने पर तरह-तरह की बीमारियाँ फैल जाती हैं, जिनसे कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। जहाँ एक ओर बाढ़ अपने साथ कहर लाती है, वहीं बाढ़ से एक लाभ भी है। इसके साथ बहकर आने वाली उपजाऊ मिट्टी से नदियों के आस-पास का क्षेत्र उर्वर हो जाता है, किंतु यह लाभ इससे होने वाली हानियों की तुलना में नगण्य है। इससे होने वाली हानियों की क्षतिपूर्ति करना बाद में काफी कष्टदायी होता है। बाढ़ से धन-जन की अपार हानि होती है। सड़कें टूट जाती हैं, रेलमार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। सड़कों एवं रेलमार्गों के अवरुद्ध होने से यातायात एवं परिवहन बाधित होता है, जिससे जन-जीवन ठप हो जाता है।

इस तरह एक तरफ तो लोग बाढ़ से परेशान रहते हैं, ऊपर से उन तक खाद्य-सामग्री की पहुँच भी मुश्किल हो जाती है। बाढ़ के कारण लाखों एकड़ क्षेत्र की फसल बर्बाद हो जाती है। बाढ़ में मवेशियों के बह जाने से पशु संसाधन की हानि तो होती ही है, कृषि पर भी। प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बाढ़ में तटबंध टूटने की स्थिति में बड़ी-बड़ी बस्तियाँ अचानक उजड़ जाती हैं। इस तरह, बाढ़ के कारण लोगों को अपने घरों तक से हाथ धोना पड़ता है। बाढ़ का प्रकोप बाढ़ के बाद भी लोगों को प्रभावित करता रहता है। हमें प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। ऐसे उपाय करने चाहिए, जिससे पर्यावरण में संतुलन स्थापित हो सके। प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग बंद करना चाहिए। अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहिए, जिससे वे जल को एकत्र कर मिट्टी को बहने से रोक सकें। पर्यावरणविदों एवं वैज्ञानिकों के अनुसार, बाढ़ की समस्या का सबसे अच्छा समाधान होता है-नदी के पानी को नियंत्रित करने की बजाय उसे उसके सही रास्ते पर जाने दिया जाए।

पानी को नियंत्रित करने के कुछ उपाय हो सकते हैं, परंतु पानी के प्रवाह में तीव्रता एवं अत्यधिक जल स्तर की स्थिति में ये उपाय किसी काम के नहीं होते। नदियों को जोड़ने की प्रस्तावित योजना को कार्यरूप देने से इस समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकेगा। यदि बाढ़ जैसी आपदा पर प्रभावी नियंत्रण हो जाए, तो धन-जन की अपार हानि के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में होने वाले नुकसान से बचाव हो सकेगा और देश समृद्ध होगा। यदि मनुष्य को बाढ़ की तबाही से बचना है तो उसे प्रकृति को संरक्षित करना होगा, पर्यावरण को स्वस्थ बनाना झेगा। इसके लिए उसे अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा अवश्य है, परंतु कई बार इसके कारण मानव-जनित ही होते हैं। मनुष्य को प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़-छाड़ करने से बचना होगा और उसके साथ सामंजस्य स्थापित करना होगा। इसके साथ ही हमें उत्तराखंड की त्रासदी से सबक लेते हुए अपने आपदा प्रबंधन विभाग को भी सक्षम बनाना होगा। बाढ़ तो पहले भी आती रही हैं और भविष्य में भी आती रहेंगी, लेकिन इससे निपटने की तैयारी तो की ही जा सकती है, जिससे इसके दुष्प्रभाव कम किए जा सकें।

(घ) भारतीय रेल

16 अप्रैल, 1853 को जब भारत में पहली रेलगाड़ी ने बंबई (मुंबई) से थाणे के मध्य 34 किमी की दूरी तय की थी, तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि आने वाले दिनों में भारतीय रेल विश्व में परिचालन में अपना दूसरा स्थान बना लेगी, लेकिन यह आज का सच है। तब से लेकर अब तक भारतीय रेलवे ने बहुत तेज़ी से प्रगति की है और इस समय यह एशिया की सबसे बड़ी व विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रेल-प्रणाली है। इसमें लगभग 14 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जो देश के किसी भी उपक्रम में सबसे अधिक है तथा केंद्रीय कर्मचारियों की कुल संख्या का 40% है।

भारतीय रेल नेटवर्क को 17 क्षेत्रों (zones) में बाँटा गया है। इनके प्रशासन एवं प्रबंधन के लिए 21 रेलवे बोर्डो का भी गठन किया गया है। प्रत्येक रेलवे बोर्ड, केंद्रीय कैबिनेट के रेलवे मंत्रालय के अधीन होता है। भारतीय रेल अंतर्राष्ट्रीय रेल नेटवर्क स्थापित करने की दिशा में प्रयासरत है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर भारत एवं पाकिस्तान के मध्य ‘समझौता एक्सप्रेस’ का परिचालन वर्ष 2004 से प्रारंभ हुआ था। इसके बाद वर्ष 2008 से भारत एवं बांग्लादेश के मध्य मैत्री एक्सप्रेस’ का परिचालन किया गया। भारतीय रेल पिछले कुछ वर्षों से न केवल अपने देश में रेल डिब्बे और इंजन के निर्माण में आत्मनिर्भर बनी है, बल्कि यह अन्य देशों को इसकी आपूर्ति भी करती है। आज देशभर में रेलों का व्यापक जाल बिछा हुआ है। इस समय देश में सात हज़ार से अधिक रेलवे स्टेशन हैं तथा रेलमार्गों की कुल लंबाई 63 हज़ार किमी से अधिक है, जिसके लगभग 28% भाग का विद्युतीकरण हो चुका है। आज भारत की रेल पटरियों पर प्रतिदिन 19 हज़ार से भी अधिक ट्रेनें दौड़ती रहती हैं, जिनमें 12 हज़ार यात्री ट्रेनें और 7 हज़ार मालवाहक ट्रेनें हैं। भारतीय रेलवे में कई प्रकार की रेलगाड़ियाँ हैं। मेल एवं एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के अतिरिक्त, पर्यटन के लिए विशेष रेलगाड़ियाँ भी चलाई जाती हैं। पैसेंजर रेलगाड़ियाँ महानगरों की जीवन-रेखा का कार्य करती हैं। महानगरों के अतिरिक्त भी कुछ क्षेत्रों में पैसेंजर रेलगाड़ियों का परिचालन किया जाता है।

राजधानी एक्सप्रेस, गरीब रथ, जनशताब्दी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो इत्यादि यहाँ की कुछ अतिविशिष्ट रेलगाड़ियाँ हैं। भारतीय रेलवे समय-समय पर विशेष प्रकार की रेलगाड़ियों का परिचालन भी करवाता है। भारत में कुछ अति विशिष्ट रेलगाड़ियाँ हैं, जो अपनी विशेषता के लिए विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इनमें डेक्कन ओडिसी, पैलेस ऑन व्हील्स, हेरिटेज़ ऑन व्हील्स, महाराजा एक्सप्रेस, फेयरी क्वीन एवं रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स नामक रेलगाड़ियाँ शामिल हैं। भारतीय रेल अपने यात्रियों को विविध प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करती है, इनमें वे सभी सुविधाएँ भी सम्मिलित हैं, जो हमारे दैनिक जीवन से संबंधित होती हैं; जैसे-भोजन-जलपान, विश्राम गृह, अमानत घर, व्हील चेयर, प्राथमिक उपचार, बुक स्टॉल आदि। भारतीय रेल में लंबी दूरी की यात्राओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था भी रहती है, ताकि यात्रीगण चिंतामुक्त होकर यात्रा का आनंद ले सकें। उच्च श्रेणी की रेलगाड़ियों में यात्रियों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। धन और समय की बचत रेल यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता है।

रेल यात्रा के दौरान कई बार यात्रियों को लूटपाट, हिंसा का भी सामना करना पड़ता है। इन स्थितियों से निपटने के लिए भारतीय रेलवे ने रेलवे पुलिस बल की व्यवस्था कर रखी है, जो ऐसी स्थितियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। भारत में रेल न केवल देश की परिवहन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करती है, बल्कि देश को एक सूत्र में बाँधने एवं राष्ट्र के एकीकरण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति में भारतीय रेल का प्रमुख योगदान रहा है। देश में विभिन्न वस्तुओं की ढुलाई एवं यात्री परिवहन का प्रमुख साधन रेल ही है।

देश के कोने-कोने तक लोगों को आपस में जोड़ने के अतिरिक्त भारतीय रेल ने व्यापार, पर्यटन एवं शिक्षा को भी सुलभ बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसकी सहायता से कृषि एवं औद्योगिक विकास को भी गति प्राप्त हुई है। आजादी के बाद से भारतीय रेल ने अनंत उपलब्धियाँ अर्जित की हैं।

उत्तर 4.

सेवा में,
बैंक मैनेजर,
भारतीय स्टेट बैंक,
दिल्ली।

विषय कार्यालय सहायकों की भर्ती हेतु पत्र।

महोदय,

कल दिनांक 14.12.20×× के नवभारत टाइम्स में प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ है कि आपके बैंक को कुछ कार्यालय सहायकों की आवश्यकता है। मैं इस कार्य के लिए स्वयं को उपयुक्त उम्मीदवार मानता हूँ। योग्यताओं सहित मेरा विवरण निम्नलिखित है।

अथवा

G-112 आज़ादपुर
दिल्ली।
सेवा में
मुख्य चुनाव आयुक्त,
निर्वाचन आयोग,
दिल्ली।

दिनांक-13.12.20××

विषय चुनाव में अंधाधुंध खर्च होने वाले पैसे पर नियंत्रण लगाने के संबंध में।

मान्यवर,

इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान चुनाव के समय अंधाधुंध खर्च होने वाले पैसे की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। चुनाव के समय विभिन्न दलों के नेता अपने प्रचार-प्रसार हेतु विभिन्न स्थानों पर पोस्टर आदि लगाकर धन का व्यय करते हैं। कुछ नेता अधिक वोट पाने के लिए लोगों को विभिन्न प्रकार के लालच देकर एवं पैसा आदि बाँटकर चुनाव में अधिक से अधिक पैसे खर्च करते हैं।

अत: मेरा आपसे निवेदन है कि आप अपने स्तर पर इस समस्या पर विचार करने का प्रयास करें तथा चुनाव के समय विज्ञापन और प्रचार-प्रसार आदि पर अंधाधुंध खर्च होने वाले पैसे को नियंत्रित करने को शीघ्र ही कोई ठोस कदम उठाएँ। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद।

भवदीय
कौशल शर्मा।

उत्तर 5.
(क) संचार का वह रूप जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति श्रोताओं के एक समूह को संबोधित करता है, उसे ‘समूह संचार’ कहते हैं।

(ख) खोजपरक पत्रकारिता का अर्थ उस पत्रकारिता से है, जिसमें सूचनाओं को सामने लाने के लिए उन तथ्यों की गहराई से छानबीन की जाती है, जिन्हें संबंधित पक्ष द्वारा दबाने या छुपाने का प्रयास किया जा रहा हो।

(ग) समाचार-पत्र अपने संवाददाताओं को उनकी दिलचस्पी एवं ज्ञान के अनुरूप काम का विभाजन करता है, इसे ही ‘बीट’ कहते हैं। यह रिपोर्टर का कार्यक्षेत्र निश्चित करता है।

(घ) सनसनी, चकाचौंध या ग्लैमर फैलाने वाली पत्रकारिता को पीत-पत्रकारिता या पेज-श्री पत्रकारिता कहा जाता है।

(ङ) रेडियो की भाषा सरल, सहज, प्रवाहमय और स्पष्ट होनी चाहिए। वाक्य छोटे-छोटे तथा अपने आप में पूर्ण होने चाहिए।

उत्तर 6.

महँगाई की समस्या

महँगाई या मूल्य वृद्धि से आज समस्त विश्व त्रस्त है। भारत बढ़ती महँगाई की चपेट में बुरी तरह से जकड़ा हुआ है। जीवनोपयोगी वस्तुओं के दाम दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जिससे जनसाधारण को अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। महँगाई से देश के आर्थिक ढाँचे पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। महँगाई के निर्मम चरण अनवरत रूप से अग्रसर हैं, पता नहीं वे कब और कहाँ रुकेंगे? आज कोई भी वस्तु बाज़ार में सस्ते दामों पर उपलब्ध नहीं है। समाज का प्रत्येक वर्ग महँगाई की मार को अनाहूत अतिथि की तरह सहन कर रहा है। इसका सर्वग्राही प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ रहा है। सरकारी योजनाओं पर अत्यधिक खर्च हो रहा है। अपने स्वार्थ के लिए लोगों की धार्मिक, सामाजिक तथा नैतिक मान्यताएँ पीछे छूट जाती हैं और भ्रष्टाचार का बोलबाला हो जाता है। अर्थशास्त्र की मान्यता है कि यदि किसी वस्तु की माँग उत्पादन से अधिक हो, तो मूल्यों में स्वाभाविक रूप से वृद्धि हो जाती है। यदि समय रहते महँगाई को वश में नहीं किया गया, तो हमारी अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाएगी और प्रगति के सारे रास्ते बंद हो जाएँगें। भ्रष्टाचार अपनी जड़ें जमा लेगा, फलस्वरूप नैतिक मूल्यों का ह्रास हो सकता है। अतः महँगाई को नियंत्रित किया जाना आवश्यक है।

अथवा

गाँव में दूषित पानी की समस्या

जनसंख्या के तेज़ी से बढ़ने और भूमिगत जल के दोहन तथा जल संरक्षण की कोई कारगर नीति नहीं होने की वजह से पीने के पानी की समस्या प्रतिवर्ष गंभीर होती जा रही है। हमारा समाज ग्रामीण परिवेश का आदी रहा है, लेकिन औद्योगीकरण तथा शहरीकरण हमसे हमारा पानी छीन रहा है। गाँव के निवासियों के लिए शुद्ध पेय जल प्राप्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है। शुद्ध और पर्याप्त पेयजल स्वस्थ जीवन की मुख्य ज़रूरत है, परंतु गाँव में यह मुख्य ज़रूरत भी पूरी नहीं हो पा रही है। वहाँ इसका अभाव दिखाई देता है। देश के कई हिस्सों में भू-जल स्तर कम होने के कारण पानी की कमी है। औद्योगिक कचरे के कारण पानी के बहुत से स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। नदियाँ गंदी नालियाँ बन चुकी हैं। पानी के अन्य स्रोत भी प्रदूषित हो चुके हैं। गाँव में असुरक्षित और अपर्याप्त पीने का पानी आधी बीमारियों का कारण बन गया है। अत: इस दिशा में पर्याप्त कदम उठाएँ जाने की आवश्यकता है, ताकि गाँव में दूषित पानी की समस्या से निपटा जा सके।

उत्तर 7.

जन-धन योजना

सुरक्षित तरीके से पैसों की बचत के उद्देश्य तथा बैंक खातों से प्रत्येक भारतीय नागरिक को जोड़ने के लिए 28 अगस्त, 2014 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जन-धन योजना की शुरुआत की गई। प्रधानमंत्री जन-धन योजना गरीबों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिससे उनमें बचत की भावना का विकास हो, साथ ही उनमें भविष्य की सुरक्षा का अहम भाव जागृत हो। इसके अलावा इस कदम से देश का पैसा भी सुरक्षित होगा और जनहित के कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। यह योजना केंद्र सरकार का बड़ा और अहम फैसला है। जोकि देश की नींव मजबूत बनाएगा। प्रधानमंत्री जन-धन योजना का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ है अर्थात् देश के विकास में ग्रामीण लोगों का अहम योगदान है, जिसे भूला नहीं जा सकता। अब तक जिन भी योजनाओं को सुना जाता था, वह केवल शहरों तक ही सीमित होती थी लेकिन देश का बड़ा भाग ग्रामीण तथा किसान परिवार है जिन्हें जागरूक तथा सुरक्षित करना ही इस योजना का अहम भाग है। इस प्रकार प्रधानमंत्री जन-धन योजना सरकार द्वारा लिया गया अहम निर्णय है जिसके अंतर्गत गरीबों को आर्थिक रूप से थोड़ा सशक्त बनाने की कोशिश की गई है। साथ ही, बैकिंग सिस्टम को देश के हर व्यक्ति तक पहुँचाने की कोशिश की गई है जिसके अंतर्गत उन्हें जीवन बीमा तथा रुपये कार्ड की सुविधा दी जा रही है, जिससे गरीबी रेखा के नीचे आने वाले नागरिकों की स्थिति मज़बूत हो सके।

अथवा

गाँवों से पलायन

वर्तमान में गाँवों से शहरों की ओर पलायन की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कभी रोज़गार की तलाश, कभी चकाचौंध और ग्लैमर के प्रति झुकाव, तो कभी अहम् संतुष्टि के लिए भी गाँव के लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। महानगरों की ओर पलायन करना एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। प्रत्येक व्यक्ति उन्नत कहलाना चाहता है। महानगरों में उन्नति पाने के अवसरों की कोई कमी नहीं है। स्वयं को बड़े महानगर से जुड़ा देखना स्टेटस सिंबल समझा जाता है। महानगरों में पढ़ाई, नौकरी, व्यवसाय, विकास और मनोरंजन के अनेक साधन एवं अवसर हैं, जिनका लाभ उठाकर व्यक्ति न केवल आर्थिक उन्नति कर सकता है वरन व्यक्तित्व का विकास भी कर सकता है इसीलिए अवसर मिलते ही गाँवों, कस्बों या छोटे नगरों से लोग महानगर की ओर बढ़ चलते हैं और महानगर के सागर में विलीन हो जाते हैं। यहाँ अनेक प्रकार के कष्ट सहकर रहने में भी उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। महानगरों की साफ़ चौड़ी सड़कें, चमक-दमक भरे बाज़ार, मॉल, यातायात आदि उन्हें रोमांचित करते हैं। इनकी तुलना में गाँव-कस्बे आदि फीके और पिछड़े दिखाई देते हैं। इस पलायन की प्रवृत्ति ने महानगरों की समस्याओं में वृद्धि की है। वहाँ भीड़ बहुत बढ़ गई है। भोजन, पानी, बिजली, यातायात आदि संसाधन कम पड़ने लगे हैं या उनकी कमी होने लगी है। सरकार को चाहिए कि छोटे शहरों में भी रोज़गार के अवसरों और शैक्षिक संस्थानों में बढ़ोत्तरी के प्रयास करे। वहाँ मनोरंजन और विकास के साधनों को भी बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे महानगरों की ओर होता पलायन किसी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

उत्तर 8.
(क) कवि ने छोटे पौधों के माध्यम से सर्वहारा वर्ग की प्रसन्नता को व्यक्त किया है। जिस प्रकार छोटे पौधे बादलों के बरसने से उत्पन्न हरियाली को देखकर हँसते (अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते) हैं, उसी प्रकार सर्वहारा वर्ग क्रांति और परिवर्तन की आशा में अपनी प्रसन्नता हँस कर, खिलकर अर्थात् प्रसन्न मुद्रा में हाथ हिलाकर व्यक्त कर रहे हैं।

(ख) मूसलाधार वर्षा क्रांति का प्रतीक है। इससे आम लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा| क्रांति से शोषित एवं सर्वहारा वर्ग के अभावग्रस्त बच्चे विकास को प्राप्त करेंगे, जो अभाव, दुःख एवं पीड़ा में भी सदैव हँसते रहते हैं।

(ग) ‘अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर’ पंक्ति में कवि ने क्रांति के विरोधी पूँजीपति-सामंती वर्ग की ओर संकेत किया है, क्योंकि कवि मानता है कि जिस प्रकार क्रांति का प्रतिनिधि बादल अपने से उन्नत पहाड़ की चोटियों को अपने वज्राघात से क्षत-विक्षत कर सकता है, उसी प्रकार समाज के शोषित वर्ग की क्रांतिकारी चेतना शोषक पूँजीवादी सामंती शक्तियों को अपने प्रहार से ध्वस्त कर सकती है।

(घ) विप्लव रव से तात्पर्य है-क्रांति। सामाजिक क्रांति परिवर्तन के लिए होती है। ऐसे परिवर्तन समाज के कमज़ोर, वंचित और शोषण के शिकार लोगों को नई दिशा देने में सक्षम होते हैं। छोटे, समाज के सर्वहारा वर्ग हैं। वे क्रांति के द्वारा आगे बढ़कर शोभा पाते हैं।

अथवा

(क) पंथी सोच रहा है कि दिन तेज़ी से ढल रहा है, कहीं उसके घर पहुँचने से पहले ही रात न हो जाए, इसलिए दिनभर का थका हुआ पथिक सिर्फ अपना लक्ष्य पाने के लिए चलता रहता है।

(ख) बच्चे अर्थात् चिड़ियों के शिशु अपने नीड़ों अर्थात् घोंसलों से सिर निकालकर अपने माता-पिता की प्रतीक्षा करते हैं, जो उनके लिए भोजन एवं स्नेह लेकर लौटते हैं। बच्चे आशावादी होते हैं, वे सुबह से शाम तक आशा एवं धैर्य के साथ अपने स्नेह एवं भोजन की प्रतीक्षा करते हैं।

(ग) कवि को इस बात की चिंता है कि उसके घर पहुँचने से पहले ही कहीं रात न हो जाए, क्योंकि ऐसा होने पर उसकी यात्रा संकटग्रस्त हो जाएगी और वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाएगा।

(घ) चिड़िया चंचल इसलिए हो रही है, क्योंकि वह अपने बच्चों के लिए अत्यंत चिंतित है। वह दिन ढलने से पहले जल्दी-से-जल्दी अपने बच्चों के पास पहुँचकर उन्हें भोजन, स्नेह और सुरक्षा देना चाहती है।

उत्तर 9.
(क) कवि शरद ऋतु की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहता है कि अब खरगोश की आँखों जैसा लाल, सुंदर शरद ऋतु का सवेरा आ गया है। शरद की सुबह का मानवीकरण करते हुए कवि बताता है कि ऐसा जान पड़ता है जैसे कोई अपनी चमकीली साइकिल को तेज़ी से चलाते हुए सबका ध्यान आकर्षित करना चाहता हो। चमकीली साइकिल चलाते एवं उसकी घंटियाँ बजाते हुए शरद की यह सुबह अपने चमकीले इशारों से बच्चों के झुंड को बुला रही है।

(ख) काव्यांश में प्रयुक्त अलंकार सौंदर्य इस प्रकार है।

  1. मानवीकरण अलंकार ‘खरगोश की आँखों जैसा लाल’ पंक्ति में मानवीकरण अलंकार है।
  2. पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार ‘घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर’ पंक्ति में ज़ोर-ज़ोर में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
  3. उपमा अलंकार ‘खरगोश’ की आँखों जैसा लाल सवेरा’ में प्रातः कालीन सवेरे के लिए खरगोश की आँखों जैसा लाल उपमान का प्रयोग किया गया है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(ग) कविता में बिंब योजना अत्यंत नवीन एवं आकर्षक है। दृश्य, श्रव्य एवं स्पर्श बिंबो का प्रयोग किया गया है।

  1. दृश्य बिंब सबसे तेज़ बौछारें गई, खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा, शरद आया पुलों को पार करते हुए, अपनी नई चमकीली साइकिल तेज़ चालते हुए, चमकीले इशारों से बुलाते हुए।
  2. अव्य बिंब घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से।
  3. स्पर्श बिंब आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए।

अथवा

(क) उत्प्रेक्षा अलंकार के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं।

  1. ‘स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
  2. ‘नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसे हिल रही हो।’

(ख) कविता की भाषा सहज तथा संस्कृतनिष्ठ हिंदी है। बिंबात्मक भाषा में रचित इस कविता में मुक्त छंद का सुंदर प्रयोग हुआ है। लघु शब्दावलियों के साथ दृश्य-शैली का भी प्रयोग हुआ है। नए बिंबों, नवीन प्रतीक और नए उपमानों के माध्यम से भाषा ध्वन्यात्मक बन गई है। देशज तथा तत्सम शब्दों के सुंदर समन्वय के साथ कवि ने कविता को अद्भुत गति प्रदान करने में सफलता पाई है।

(ग) कवि उषाकाल के सौंदर्य का वर्णन करता हुआ कहता है कि उषाकाल में ऐसा लगा रहा है, मानो आकाश रूपी काली सिल थोड़े से लाल केसर से धुल गई है। वस्तुतः यह सूर्योदय के पूर्व आकाश में फैलती हल्की लालिमायुक्त आभा का बिंब है या किसी बालक ने काली स्लेट पर थोड़ी लाल खड़िया या चॉक मेल दी है। उषाकाल में सूर्योदय के समय ऐसा प्रतीत हुआ जैसे आकाश रूपी नीले जल में किसी युवती की गोरी देह झिलमिलाती हुई दिखाई दे रही है। वास्तव में, कविता में प्रातःकालीन आकाश में होने वाले सूर्योदय का गतिशील चित्रण हुआ है।

उत्तर 10.
(क) फसल की रोपाई तो क्षणभर में संपन्न की जाती है। इसी प्रकार विचारों की अभिव्यक्ति के लिए कवि के द्वारा भोगा हुआ अनुभव-सत्य किसी क्षण-विशेष में ही उपस्थित होता है, जिसे कागज़ पर अंकित कर दिया जाता है, किंतु कविता रूपी फसल की कटाई तो अनंतकाल तक चलती रहती है। इसका रस और आनंद असीमित होता है। यह तो वह अक्षयपात्र है, जिसका रस जितना लुटाओं, वह कम नहीं होता। एक प्रकार से कविता कालजयी होती है। वह पाठकों को अनंतकाल तक आनंद प्रदान करती रहती है।

(ख) ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ कहकर कवि परोक्ष रूप से यह कहना चाह रहा है कि परदे पर किसी की भावना, संवेदना, दुःख-दर्द, मान-अपमान अन्य किसी भी बात की कोई कीमत नहीं है। इस कविता में कवि ने मीडिया व समाज की संवदेनहीनता पर तीखा कटाक्ष किया है। कवि मीडिया द्वारा किए जाने वाले इस तरह के कार्यों की निंदा करता है। किसी की हीनता, अभाव, दुःख और कष्ट सदा से करुणा के कारण उद्दीपन रहे हैं, मगर इन कारणों को सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में प्रसारित करना और अपने चैनल की श्रेष्ठता साबित करने के लिए तमाशा बनाकर उसे फूहड़ ढंग से प्रदर्शित करना क्रूरता है।

(ग) कवि ने बच्चे और कविता को समानांतर रखा है, क्योंकि जिस प्रकार बच्चों के सपने असीम होते हैं, बच्चों के खेल का कोई अंत नहीं होता, बच्चे की प्रतिभा, बच्चे में छिपी संभावना का कोई अंत नहीं है, ठीक वैसे ही कविता असीम होती है। कविता के खेल अर्थात् कविता में किए जाने वाले सार्थक शब्दों का समुचित प्रयोग असीम है। जिस प्रकार बच्चे अपने-पराए का भेद नहीं करते, उन्हें सभी घर अपने ही प्रतीत होते हैं; ठीक उसी प्रकार कवि के लिए यह सारा संसार अपना है, उसका लक्ष्य सिर्फ मानवता के धर्म का प्रसार करना है, आत्मीयता का संदेश घर-घर पहुँचाना है।

कविता प्रकृति, मनुष्य, जीव, निर्जीव, काल, इतिहास, भावी जीवन अनेक विषयों पर लिखी जा सकती है अर्थात् इसके विषय एवं क्षेत्र भी असीम हैं। कविता में मौजूद भावों और रचनात्मकता के गुण व्यक्ति की चेतना में वैसे ही जान फेंक देते हैं, जैसे कभी न थकने वाला, सदा कुछ-न-कुछ करने वाला रचनात्मक तत्त्व बच्चे में।

उत्तर 11.
(क) लेखक इस बात को विडंबना मानता है कि आधुनिक युग में भी जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है, क्योंकि वे (जातिवाद के पोषक) इस प्रथा को बनाए रखने के लिए कई प्रकार के तर्क भी देते हैं।

(ख) भारत की जाति प्रथा श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन करने के साथ-साथ उन्हें एक-दूसरे की तुलना में ऊँच-नीच अर्थात् : असमान स्तर वाला भी बना देती है। यह विश्व के किसी भी समाज में नहीं होता। इस प्रकार भारत की जाति प्रथा विश्व से अलग है।

(ग) जातिवाद का समर्थन निम्नलिखित आधारों पर किया जाता है।

  1. आधुनिक सभ्य समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम को आवश्यक मानता है।
  2. जाति प्रथा भी श्रम विभाजन को ही दूसरा रूप है, इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है।

(घ) लेखक जातिवाद को आपत्तिजनक इसलिए मानता है, क्योंकि जाति-प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का भी रूप लिए हुए है। यह तार्किक है कि श्रम विभाजन सभ्य समाज की आवश्यकता है, परंतु कोई भी सभ्य समाज श्रमिकों का विभिन्न श्रेणियों में अस्वाभाविक विभाजन नहीं करता है।

अथवा

(क) भक्तिन के पिता उससे बहुत प्रेम करते थे, किंतु उसकी सौतेली माँ ईष्र्यालु स्वभाव की थी। उसे यह डर हमेशा सताता रहता था कि भक्तिन के पिता कहीं सारी जायदाद उसके (भक्तिन) नाम ही न कर दें। इसी कारण सौतेली माँ ने न तो उनकी बीमारी की सूचना भेजी, न ही मृत्यु का संदेश समय पर दिया। इसलिए भक्तिन को पिता की मृत्यु का समाचार देर से मिला।

(ख) सास द्वारा भक्तिन को विदा करने को अप्रत्याशित अनुग्रह इसलिए कहा गया है, क्योंकि जब सास ने भक्तिन से कहा कि बहुत दिनों से मायके नहीं गई, इसलिए जाकर अपने पिता को देखा आ| सास ने उसे पहना उढ़ाकर विदा किया, जिसकी भक्तिन ने आशा नहीं की थी। अतः सास द्वारा किए गए इस कार्य को अप्रत्याशित अनुग्रह कहा गया है।

(ग) अचानक मायके जाने की खुशी ने भक्तिन के पैरों में पंख लगा दिए अर्थात् वह शीघ्र ही अपने मायके पहुँचना चाहती थी, किंतु अपने गाँव की सीमा पर पहुँचते ही उसे किसी अनहोनी के होने की आशंका हुई जिस कारण गाँव पहुँचते ही उसके पंख झड़ गए अर्थात् उसकी खुशी निराशा में बदल गई।

(घ) ‘हाय लछिमन अब आई’ में निहित करुणा गाँव वालों की है। जब लक्ष्मी ने गाँव की सीमा में प्रवेश किया तब इन शब्दों को उसने बार-बार सुना। गाँव वालों की उसके प्रति सहानुभूति का भाव भी यहाँ स्पष्ट दिखाई देता है। पिता की मृत्यु के इतने दिनों बाद आने पर गाँव वालों ने इन शब्दों का प्रयोग किया है, क्योंकि पिता के अंतिम समय में भी उनकी प्रिय पुत्री उनसे मिल नहीं पाई थी।

उत्तर 12.
(क) ‘पर्चेजिंग पावर’ का अर्थ पैसे की उस पावर से है, जिससे आप कभी भी महँगी-से-महँगी वस्तुएँ खरीद सकते हैं। मॉल की संस्कृति, सामान्य बाज़ार और हाट की संस्कृति सभी पर्चेजिंग पावर से चलते हैं। बाज़ार की चकाचौंध से दूर पर्चेजिंग पावर का सकारात्मक उपयोग नए मकान और संपत्ति खरीद कर किया जा सकता है। साथ ही संयमी लोग पैसे की बचत करके पैसे की पावर का रस प्राप्त कर सकते हैं।

(ख) विभाजन के अनेक स्वरूपों में बटी जनता को मिलाने की अनेक भूमिकाओं में से साहित्य व कला’ सबसे अधिक ताकतवर है, क्योंकि इसके माध्यम से समाज में जागृति उत्पन्न की जा सकती है। साहित्य समाज का प्रतिबिंब होता है। समाज की प्रत्येक स्थिति का वर्णन साहित्य में किया जाता है। साहित्य एवं कला के माध्यम से जनता को एकजुट करके उनमें चेतना पैदा की जा सकती है कि सभी मिलकर विभाजन की दीवारों को तोड़े तथा उनमें एकता और बंधुत्व की भावना का विकास करें।

(ग) लुट्टन सिंह ने चाँद सिंह पहलवान को कुश्ती लड़ने की चुनौती दे दी। चाँद सिंह पंजाब का पहलवान था तथा अपनी आयु के सभी पहलवानों को चित्त कर चुका था, इसलिए उसे ‘शेर के बच्चे’ की उपाधि दी गई थी। लुट्टन सिंह ने उसे हरा दिया तथा कुश्ती जीत गया। इस प्रकार चाँद सिंह को हराकर उसे राज दरबार के पहलवान के रूप में स्थान मिला। अतः लुट्टन पहलवान की कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई।

(घ) जीजी के अनुसार, इंदर सेना पर पानी फेंका जाना इसीलिए सही है, क्योंकि यह पानी की बर्बादी नहीं है, बल्कि इंद्र भगवान को अर्घ्य देना है। वे कहती हैं कि मनुष्य जो चीज़ पाना चाहता है, पहले उसे देना पड़ा है। इसी कारण दान को बड़ा माना जाता है। दूसरों के कल्याण के लिए दिया गया दान ही फल देता है और सच्चा त्याग तभी कहलाता है, जब आप जिस वस्तु का दान कर रहे हों, वह वस्तु आपके पास अधिक मात्रा में न हो। इसे ही सही अर्थों में दान माना जाता है।

(ङ) काल के समक्ष (सामने) भी विजयी रहने वाला कालजयी कहलाता है। शिरीष का वृक्ष अवधूत की भाँति वसंत के आने से लेकर भाद्रपद मास तक बिना किसी परेशानी के पुष्पित होता रहता है। जब ग्रीष्म ऋतु में सारी पृथ्वी अग्निकुंड की तरह जलने लगती है, लू के कारण हृदय भी सूखने लगता है। तो उस समय भी शिरीष का वृक्ष कालजयी अवधूत की तरह जीवन में विजेता होने का प्रदर्शन कर रहा होता है। वह संसार के सभी प्राणियों को धैर्यशील, चिंता रहित व कर्तव्यशील बने रहने के लिए प्रेरित करता है। यही कारण है कि लेखक इसे कालजयी अवधूत की तरह मानता है।

उत्तर 13.
ऐन ने हॉलैंड की खराब होती व्यवस्था के बारे में विस्तार से बताया है। उसने बताया कि लोगों को सब्ज़ियाँ और सभी प्रकार की वस्तुओं के लिए लाइनों में खड़ा होना पड़ता है। वहाँ चोरी इतनी बढ़ गई थी कि लोग थोड़ी देर के लिए भी घर नहीं छोड़ सकते ‘थे, क्योंकि उतनी ही देर में सारे सामान चोरी हो जाते थे। लोगों की साइकिलें तथा कारें खड़ी करते ही चोरी हो जाती थीं। चोरी के डर से डच लोगों ने अँगूठी तक पहनना छोड़ दिया था। इसी प्रकार सार्वजनिक टेलीफ़ोन की भी चोरी हो जाती थी। सरकारी कर्मचारियों पर हमलों की घटना बढ़ती ही जा रही थी। अतः ऐन की डायरी एक ऐतिहासिक दौर का जीवांत दस्तावेज़ है। ऐन को अपने जीवन के दो वर्ष गुप्त वास में व्यतीत करने पड़े, जहाँ उसे कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वहाँ उसे सुनने और समझने वाला कोई नहीं था, इसलिए वह अपने सारे व्यक्तिगत अनुभव और मानसिक उथल-पुथल को डायरी के पन्ने पर लिख दिया करती थी और अपने मन की हलचल को शांत कर लेती थी। अतः कह सकते हैं कि ‘ऐन की डायरी’ ऐतिहासिक दस्तावेज़ होने के साथ-साथ भावनाओं की उथल-पुथल भी है।

उत्तर 14.
(क) ‘जूझ’ का कथानायक किशोर छात्रों के लिए एक आदर्श प्रेरणास्रोत कहा जा सकता है। वह जटिल परिस्थितियों में भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कठिन प्रयास करता है। वह अपने पिता से किसी तरह पढ़ने की अनुमति लेता है तथा पढ़ाई के साथ वह खेती का काम भी करता है। उसके पास धन का नितांत अभाव है। उसके सहपाठी भी उसके पहनावे को लेकर उसकी खिल्ली उड़ाते हैं, फिर भी वह शिक्षा प्राप्त करने में सफल होता है। उसके चरित्र से समस्त किशोर विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

(ख) यशोधर बाबू जब दिल्ली में आए, तब उनकी आयु सरकारी नौकरी के अनुरूप नहीं थी। इस कठिन परिस्थिति में किशन दा ने यशोधर को ‘मेस’ का रसोइया बना दिया। उन्होंने यशोधर बाबू को 50 भी दिए, जिससे वे नए कपड़े सिलवा सकें और कुछ पैसे गाँव भी भेज सकें। किशन दा ने उनकी शिक्षा में भी मदद की और नौकरी भी उन्होंने ही दिलवाई। किशन दा ने जीवन के हर सुख-दुःख में यशोधर बाबू का मार्गदर्शन किया था। वे यशोधर बाबू को भाऊ अर्थात् बच्चा कहते थे। शादी के बाद भी किशन दा यशोधर बाबू का बहुत ध्यान रखते थे। इस प्रकार किशन दा ने यशोधर पंत जी की बहुत सहायता की थी।

(ग) मोहनजोदड़ों की सभ्यता साधन संपन्न थी। यहाँ के लोगों की रुचि कला से जुड़ी थी। यहाँ से प्राप्त पत्थर की मूर्तियाँ, मृदभांड, पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, खिलौने, केश विन्यास, आभूषण इत्यादि सिंधु सभ्यता को तकनीकी रूप से अधिक सिद्ध होने की अपेक्षा उसके कला प्रेम को अधिक दर्शाते हैं। यह सभ्यता धर्म तंत्र या राज तंत्र की ताकत का प्रदर्शन करने वाले महलों, उपासना स्थलों आदि का निर्माण नहीं करती थी। सिंधु सभ्यता समाज पोषित संस्था का समर्थन करती थी। सभ्यता में आडंबर को स्थान नहीं दिया गया था, अपितु चारों ओर से सुंदरता ही दिखाई देती थी। इन्हीं बातों के आधार पर हम कह सकते हैं कि सिंधु सभ्यता राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर पूरी तरह से समाज-पोषित थी।

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 2

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 2

BoardCBSE
ClassXII
SubjectHindi
Sample Paper SetPaper 2
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 2 of Solved CBSE Sample Paper for Class 12 Hindi is given below with free PDF download solutions.

समय :3 घंटे
पूर्णांक : 100

सामान्य निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के तीन खंड हैं-क, ख और ग।
  • तीनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (15)

‘आधुनिक भारतीय भाषाएँ’ सुनकर आप इस भ्रम में न पड़े कि ये सभी ‘आज’ की देन हैं। ये सभी भाषाएँ अति प्राचीन हैं। अनेक तो सीधे संस्कृत या वैदिक भाषा से जुड़ती हैं। वे इस अर्थ में आधुनिक हैं कि समय के साथ चलकर अतीत से वर्तमान तक पहुँची हैं और जीवंत एवं विकासशील बनी हुई हैं। उनके आधुनिक होने का एक कारण यह भी है कि आधुनिक विचारों को वहन करने में वे कभी पीछे नहीं रहीं। इनका साहित्य समय की कसौटी पर खरा उतरा है और ये सभी आधुनिक भारत की प्राणवायु हैं।

किसी भी भाषा का पहला काम होता है दो व्यक्तियों या समूहों के बीच संपर्क स्थापित करने का माध्यम बनाना। यह मानव समूहों के बीच सेतु का काम करती है। इसे चाहे प्रकृति की देन मानिए, चाहे ईश्वर की, भाषा से जुड़ी कोई देन नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में मानव की समस्त उपलब्धियाँ मूलतः भाषा की देन हैं।

अब जहाँ तक हिंदी का प्रश्न है, उसमें उपरोक्त विशेषताएँ तो हैं ही, साथ ही सबसे निराली विशेषता है, उसकी नमनीयता। इसमें स्वाभिमान है, अहंकार नहीं। हिंदी हर परिस्थिति में अपने आपको उपयोगी बनाए रखना जानती है। यह ज्ञान और शास्त्र की भाषा भी है और लोक की भी, उत्पादक की भी और उपभोक्ता की भी। इसीलिए यह स्वीकार्य भी है।

(क) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए। (1)
(ख) ‘आधुनिक’ विशेषण से हम किस भ्रम में पड़ सकते हैं? उसे ‘भ्रम’ क्यों कहा गया है? (2)
(ग) आज की भारतीय भाषाएँ किस अर्थ में आधुनिक हैं? दो कारणों का उल्लेख कीजिए। (2)
(घ) कोई भाषा किनके बीच पुल बनाने का काम करती है? कैसे? (2)
(ङ) हिंदी की निराली विशेषता क्या है? उसका आशय समझाइए।(2)
(च) हिंदी की स्वीकार्यता के दो कारण स्पष्ट कीजिए। (2)
(छ) ‘नमनीयता’ से लेखक का क्या आशय है? (2)
(ज) आशय स्पष्ट कीजिए “भाषा से बड़ी कोई देन नहीं है।” (2)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 5 = 5)

आज खोले वक्ष
उन्नत शीश, रक्तिम नेत्र
तुझको दे रहा हूँ, ले, चुनौती
गगनभेदी घोष में
दृढ़ बाहुदंडों को उठाए!
क्योंकि मैंने आज पाया है स्वयं का ज्ञान
क्योंकि मैं पहचान पाया हूँ कि मैं हूँ मुक्त, बंधनहीन
और तू है मात्र भ्रम्, मन-जात, मिथ्या वंचना,

इसलिए इस ज्ञान के आलोक के पुल में।
मिल गया है आज मुझको सत्य का आभास
और ओ मेरी नियति!
मैं छोड़कर पूजा
क्योंकि पूजा है पराजय का विनात स्वीकार
बाँधकर मुट्ठी तुझे ललकारता हूँ,
सुन रही है तू?
मैं खड़ा तुझको यहाँ ललकारता हूँ।

(क) कवि की चुनौती देने की मुद्रा कैसी है?
(ख) चुनौती किसे दी जा रही है? उसे कवि क्या मानता है?
(ग) कवि को मिला ज्ञान और उसकी पहचान क्या है?
(घ) कवि पूजा को क्या मानता है और क्यों?
(ङ) काव्यांश का केंद्रीय भाव लिखिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए (5)

(क) भारतीय संस्कृति
(ख) महिला सशक्तीकरण
(ग) मेरा प्रिय लेखक
(घ) कश्मीर समस्या

प्रश्न 4.
सहकारी बैंक की एक शाखा अपने ग्राम में खोलने का अनुरोध करते हुए जिला मुख्यालय में स्थित बैंक के प्रधान प्रबंधक को पत्र लिखिए। बैंक खोलने का औचित्य भी लिखिए।
अथवा
अपने क्षेत्र के सांसद को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि आपके ग्राम में एक पुस्तकालय की स्थापना अपनी सांसद निधि से करवाएँ। इसका औचित्य भी समझाइए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए (1 × 5= 5)

(क) संपादकीय का महत्त्व लिखिए।
(ख) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की लोकप्रियता के दो कारण लिखिए।
(ग) समाचारों के स्रोत से आप क्या समझते हैं?
(घ) स्टिंग ऑपरेशन के दो लाभ लिखिए।
(ङ) संपादन के सिद्धांतों में तथ्यपरकता’ (एक्यूरेसी) का क्या आशय है?

प्रश्न 6.
‘स्वच्छ भारत अभियान’ अथवा ‘ज़रूरी है जल की बचत’ विषय पर एक आलेख लिखिए। (5)

प्रश्न 7.
“मुझे जन्म देने से पहले ही मत मारो माँ !” अथवा “जाति प्रथा : एक अभिशाप’ विषय पर एक फ़ीचर तैयार कीजिए। (5)

प्रश्न 8.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 2 = 6)

तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया
जुग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावितु माया
युह तेरी रण-तुरी
भुरी आकांक्षाओं से,
घन, भेरी-गर्जन से सुजुग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशाओं से
नवजीवन की, ऊँचाकर सिर,
ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!

(क) कवि ने निर्दय किसे कहा है और क्यों?
(ख) सोए हुए अंकुरों के जग जाने का कारण क्या है? उनमें आशाओं का संचार कैसे हुआ?
(ग) बादल को ‘ऐ विप्लव के बादल’ क्यों कहा गया है?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए तिरती है समीर-सागर पुर अस्थिर सुख पर दु:ख की छाया

अथवा

जुन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
छतों के खतरनाक किनारों तक
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत

(क) काव्यांश में ‘वे’/’उनके’ सर्वनाम किनके लिए प्रयुक्त हुए हैं? वे क्या विशेष कर रहे हैं?
(ख) आशय स्पष्ट कीजिए जुन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
(ग) ‘दौड़ते हैं बेसुध’-उनकी बेसुधी के दो उदाहरण लिखिए।
(घ) ‘छतों को नरम बनाना और ‘दिशाओं को मृदंग की। तरह’ बजाना का भाव लिखिए।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 3 = 6)
ब्याकुल कुंभकरन पहिं आवा।
बिबिध जतन कृरि ताहि जुगावा।
जागा निसिचर देखिअ कैसा।
मानहुँ कालु देह धरि बैसा।।

(क) काव्यांश का अलंकार सौंदर्य समझाइए।
(ख) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ग) काव्यांश किस छंद में लिखा गया है? उसका लक्षण बताइए।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) कैसे कह सकते हैं कि कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता शारीरिक विकलांगता की चुनौती झेल रहे व्यक्ति का उपहास करती है? कविता से दो उदाहरण दीजिए।
(ख) सीधी बात भी कब टेढ़ी होकर उलझती चली जाती है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) फिराक की संकलित रुबाइयों में कवि ने जो वात्सल्य का चित्र उकेरा है, उस पर टिप्पणी कीजिए।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 4 = 8)

वह रूप का जादू है, पर जैसे चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो और मुन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मुन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। कहीं हुई उस वक्त जेब भुरी, तब तो फिर वह मुनु किसकी मानने वाला है !

(क) किस जादू की चर्चा हो रही है? उसे जादू क्यों कहा गया है?
(ख) चुंबक और लोहे का उदाहरण क्यों दिया गया है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस जादू के असर में मन की भूमिका क्या है?
(घ) आपके विचार से इस जादू से छुटकारा पाने का उपाय क्या हो सकता है?

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 4 = 12)

(क) डॉ. आंबेडकर जाति प्रथा को श्रम विभाजन का स्वाभाविक विभाजन क्यों नहीं मानते? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में कहानीकार ने महामारी फैलने से पूर्व और उसके बाद गाँव के सूर्योदय और सूर्यास्त में अंतर कैसे प्रदर्शित किया है?
(ग) “माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं, पर त्याग का कहीं नामोनिशान नहीं है।” – ‘काले मेघा पानी दे’ कहानी की इस टिप्पणी पर आज के संदर्भ में टिप्पणी कीजिए।
(घ) भक्तिन महादेवी जी की समर्पित सेविका थी, फिर भी लेखिका ने क्यों कहा है कि भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन | होगा? ।
(ङ) जीवन के संघर्षों ने चार्ली चैप्लिन के व्यक्तित्व को कैसे संपन्न बनाया? समझाइए।

प्रश्न 13.
यशोधर अपने परिवार से किन जीवन-मूल्यों की अपेक्षा रखते थे? उनके मूल्य उन्हें ‘समहाउ इंप्रॉपर’ क्यों लगते थे? स्पष्ट कीजिए। (5)

प्रश्न 14.

(क) सौंदलगेकर एक आदर्श अध्यापक क्यों प्रतीत होते हैं? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर उनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
(ख) ‘डायरी के पन्ने पाठ के आधार पर महिलाओं के प्रति ऐन फ्रेंक के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।

उत्तर

उत्तर 1.
(क) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक ‘हिंदी भाषा का स्वरूप एवं विशेषताएँ’ होना चाहिए।

(ख) ‘आधुनिक’ विशेषण से हम इस भ्रम में पड़ सकते हैं कि आधुनिक का संबंध मात्र वर्तमान से है, इसीलिए अधिकांश लोगों को यह भ्रम उत्पन्न हो जाता है कि आधुनिक भारतीय भाषाओं का संबंध आज (वर्तमान) की भाषा से है, जबकि यह भाषाएँ अति प्राचीन हैं। अधिकतर भाषाएँ तो सीधे संस्कृत भाषा से जुड़ती हैं।

(ग) आज की भारतीय भाषाएँ निम्नलिखित कारणों से आधुनिक हैं।

  1. भारतीय भाषाएँ समय के साथ चलकर अतीत से वर्तमान तक पहुँची हैं और जीवंत एवं विकासशील बनी हुई हैं।
  2. भारतीय भाषाएँ आधुनिक विचारों को वहन करने में सदैव अग्रणी भूमिका में रही हैं।

(घ) कोई भी भाषा मानव समूहों के बीच सेतु (पुल) बनाने का काम करती है। भाषा दो व्यक्तियों या दो समूहों के बीच संपर्क स्थापित करने को माध्यम है। भाषा के माध्यम से ही एक व्यक्ति अपने विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाता है। इन्हीं विचारों के आदान-प्रदान में भाषी सेतु के रूप में कार्य करती है।

(ङ) हिंदी की निराली विशेषता है, उसकी नमनीयता। नमनीयता से तात्पर्य है कि हिंदी भाषा का स्तर अत्यंत व्यापक एवं विस्तृत होने के पश्चात् भी इसमें अहंकार की भावना नहीं है। यह स्वयं को हर परिस्थिति में उपयोगी बनाए रखना जानती है।

(च) हिंदी की स्वीकार्यता के दो कारण निम्नलिखित हैं।
(i) हिंदी ज्ञान और शास्त्र की भाषा के साथ-साथ लोक की भाषा भी है। आज भारत ही नहीं विश्व भर में हिंदी भाषी लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। हिंदी ज्ञान के क्षेत्र में भी काफी आगे निकल चुकी है। आज विधि, डॉक्टरी, इंजीनियरिंग आदि की पढ़ाई हिंदी भाषा में भी संभव है।

(ii) हिंदी उत्पादक और उपभोक्ता की भाषा भी है। आज किसी फुटकर व्यापारी की दुकान पर रोज़मर्रा की वस्तु खरीदने के लिए जाया जाता है, तो वहाँ भी हिंदी भाषा का ही प्रयोग किया जाता है। अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग वहाँ उचित नहीं बैठता।

(छ) “नमनीयता’ से लेखक को आशय यह है कि हिंदी आज जन-जन की भाषा है। देश से लेकर विदेश तक यह अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। यह ज्ञान, शास्त्र, बाज़ार आदि सभी क्षेत्रों में स्वीकार्यता अर्जित कर चुकी है; परंतु इसके बावजूद भी हिंदी में अहंकार की भावना उत्पन्न नहीं हो सकी। यह एक विनम्रता के साथ स्वीकृत भाषा है।।

(ज) भाषा से बड़ी कोई देन नहीं है” से लेखक का आशय यह है कि भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है। एक व्यक्ति इसी भाषा के माध्यम से दूसरे व्यक्ति तक अपने विचारों को पहुँचाता है। यदि भाषा न होती तो संसार का विकास संभव नहीं था। इसीलिए भाषा को चाहे प्रकृति की देन मानिए, चाहे ईश्वर की, भाषा से बड़ी कोई देन नहीं है।

उत्तर 2.
(क) कवि रौद्र रूप में चुनौती दे रहा है। उसने अपना वक्ष (छाती) खोल दिया है, सिर उठा लिया है तथा क्रोध से आँखें रक्तनुमा हो चुकी हैं।

(ख) कवि द्वारा स्वयं की नियति (भाग्य) को चुनौती दी जा रही है। वह नियति को भ्रम, मिथ्या, वंचना आदि मानता है।

(ग) कवि को आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई है तथा सत्य का आभास हुआ। इसी कारण वह आज स्वयं को नियति के बंधन से स्वतंत्र महसूस कर रहा है।

(घ) कवि पूजा को पराजय की स्वीकृति मानता है, क्योंकि हम कर्म की अपेक्षा पूजा-पाठ पर अधिक भरोसा करते हैं और धीरे-धीरे आशावादी बन जाते हैं।

(ङ) काव्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि हमें नियति के भरोसे नहीं रहना चाहिए, बल्कि कर्म पर अधिक ध्यान देना चाहिए। कर्म करने से ही फल मिलता है, जबकि नियति के भरोसे रहने वालों की पराजय होती है।

उत्तर 3.

(क) भारतीय संस्कृति

भारत देश सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है, जहाँ भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के लोग रहते हैं। भारतीय संस्कृति का एक महान् गुण ‘विविधता में एकता’ है, इसी कारण सभी भारतीय संस्कृति के प्रति आदर भाव रखते हैं। भारत की सांस्कृतिक एकता के विधायक तत्त्व हम भारतवासियों की नस-नस में व्याप्त हैं। बाहरी स्तर पर विभेदं सूचक तत्त्व होते हुए भी अंतरात्मा से हम एक हैं। हमारी सांस्कृतिक परंपरा एक है। हमारे तीर्थ समान हैं और हम मंत्रोच्चारण में बड़ी नदियों का एक समान स्मरण करते हैं।

“गंगे च यमुने चैव, गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी, जलेदस्मिन् सन्निधिं कुरु।।”

भारत एक विशाल देश है। उसमें अनेकता होनी स्वाभाविक ही है। धर्म की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी आदि विविध धर्मावलंबी यहाँ निवास करते हैं। इतना ही नहीं, एक-एक धर्म में भी मान्यताओं का भेद है; जैसे-हिंदू धर्म के अंतर्गत वैष्णव, शैव, शाक्त आदि हैं।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ देश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। आमतौर पर यहाँ के लोग वेशभूषा, सामाजिक मान्यताओं एवं खाने की आदतों में भी भिन्न हैं। अपने धर्म के अनुसार लोग मान्यताओं, रीति-रिवाज़ और परंपरा को मानते हैं। हम अपने त्योहारों को अपनी रस्मों के हिसाब से मनाते हैं, व्रत रखते हैं तथा अन्य प्रकार के क्रियाकलाप करते हैं। भारतीय संस्कृति में ही यह विशेषता है कि वह विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों सहित राष्ट्रीय उत्सवों को भी एकसाथ मनाते हैं।

भारतीय संस्कृति में सभी धर्मों के प्रति सम्मान का भाव है। यहाँ जितने उत्साह से दीपावली का पर्व मनाया जाता है, उसी उत्साह के साथ ईद, बुद्ध पूर्णिमा, लोहड़ी, महावीर जयंती आदि पर्व भी मनाए जाते हैं।

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि भारतीय संस्कृति ने राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में अमूल्य योगदान दिया है। भारतीय संस्कृति की इस व्यापकता से स्पष्ट है कि आने वाले समय में भारतीय संस्कृति से विश्व भर के देश विविधता में एकता की नीति को आत्मसात् करके अपने देश की संस्कृति को भी समृद्ध बनाएँगे।

(ख) महिला सशक्तीकरण

इसके लिए All India 2017 का प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र की प्रश्न संख्या 3 ‘घ’ को देखिए।

(ग) मेरा प्रिय लेखक

प्रस्तावना हिंदी न केवल हमारी राष्ट्रभाषा है, बल्कि अंग्रेज़ी एवं चीन की मंदारिन भाषा के बाद विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी प्रमुख भाषा है। अपनी प्रमुखता के अनुरूप इसका साहित्य भी अत्यंत समृद्ध है। अनेक रचनाकारों और साहित्यकारों ने इसको अपनी साहित्य साधना से समृद्ध बनाया है। हिंदी को अपने साहित्य से सिंचित करने वाले एक ऐसे ही साहित्यकार हैं-मुंशी प्रेमचंद। दुनिया उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ के तौर पर जानती है। साहित्य जगत ने उनके लेखन से प्रभावित होकर उन्हें ‘कलम का सिपाही’ उपनाम देकर सम्मानित किया है।

प्रारंभिक जीवन परिचय प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपतराय था। उनका जन्म 31 जुलाई, 1880 को उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट लमही नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम अजायब लाल तथा माता का नाम आनन्दी देवी था। प्रेमचंद जब सात वर्ष के थे, तब उनकी माता का निधन हो गया, जिसके पश्चात् उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। विमाता की अवहेलना एवं निर्धनता के कारण उनका बचपन अत्यंत कठिनाइयों में बीता। प्रेमचंद की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। जब वे पढ़ाई कर रहे थे, तब ही पंद्रह वर्ष की अल्प आयु में उनका विवाह कर दिया गया। विवाह के बाद घर-गृहस्थी का बोझ उनके कंधों पर आ गया था। घर-गृहस्थी एवं अपनी पढ़ाई का खर्चा चलाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। इसी तरह से संघर्ष करते हुए उन्होंने बी. ए. तक की शिक्षा पूरी की। इस बीच उनका अपनी पत्नी से अलगाव हो गया, जिसके बाद उन्होंने शिवरानी देवी से दूसरा विवाह कर लिया।

पढ़ाई पूरी करने के बाद वे एक अध्यापक के रूप में सरकारी नौकरी करने लगे एवं तरक्की करते हुए स्कूल इंस्पेक्टर के पद पर पहुँच गए। वर्ष 1920 में जब गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया, तो प्रेमचंद ने उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर सरकारी नौकरी त्याग दी। सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद वे साहित्य सेवा में रम गए और ब्रिटिश सरकार के विरोध में जनता को जागरूक करने के लिए लिखना शुरू कर दिया।

साहित्यिक योगदान प्रेमचंद पहले उर्दू भाषा में नवाबराय के नाम से लिखते थे, बाद में वे हिंदी में लिखने लगे। जब उनकी कुछ रचनाओं, जिनमें ‘सोजेवतन’ प्रमुख है, को ब्रिटिश सरकार ने ज़ब्त कर लिया, तो उन्होंने प्रेमचंद के छद्म नाम से लिखना शुरू किया। बाद में वे इसी नाम से प्रसिद्ध हो गए। प्रेमचंद ने सबसे पहले जिस कहानी की रचना की थी, उसका नाम है-‘दुनिया का सबसे अनमोल रत्न’। उन्होंने अठारह उपन्यासों की रचना की, जिनमें सेवा-सदन, निर्मला, कर्मभूमि, गबन, प्रतिज्ञा, रंगभूमि उल्लेखनीय हैं। उनके द्वारा रचित तीन सौ से अधिक कहानियों में ‘कफन’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘पूस की रात’, ‘ईदगाह’, ‘बड़े घर की बेटी’, ‘पंच-परमेश्वर’ इत्यादि उल्लेखनीय हैं। साहित्यिक विशेषताएँ प्रेमचंद की दृष्टि बड़ी व्यापक तथा संवेदनशील थी। उन्होंने अपने समय की परिस्थितियों का सूक्ष्म अवलोकन किया तथा उन्हें अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने समाज में उपस्थित विषमताओं की गहरी अनुभूति कर उनका सरल, परंतु मार्मिक चित्रण किया। प्रेमचंद ने अपने साहित्य के माध्यम से भारत के दलित एवं उपेक्षित वर्गों का नेतृत्व करते हुए उनकी पीड़ा एवं विरोध को वाणी प्रदान की। उनकी रचनाओं का एक उद्देश्य होता था। अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने न केवल सामाजिक बुराइयों के दुष्परिणामों की व्याख्या की, बल्कि उनके निवारण के उपाय भी बताए। उन्होंने बाल-विवाह, बेमेल-विवाह, विधवा-विवाह, सामाजिक शोषण, अंधविश्वास इत्यादि सामाजिक समस्याओं को अपनी कृतियों का विषय बनाया एवं यथासंभव इनके समाधान भी प्रस्तुत किए।

गाँधीवादी दर्शन की प्रधानता गाँव का निवासी होने के कारण उन्होंने किसानों के ऊपर हो रहे अत्याचारों को नजदीक से देखा था, इसलिए उनकी रचनाओं में यथार्थ के दर्शन होते हैं। उन्हें लगता था कि सामाजिक शोषण एवं अत्याचारों का उपाय गाँधीवादी दर्शन में है, इसलिए उनकी रचनाओं में गाँधीवादी दर्शन की भी प्रधानता है। प्रेमचंद ने गाँव के किसान एवं मोची से लेकर शहर के अमीर वर्ग एवं सरकारी मुलाज़िमों तक को अपनी रचनाओं का पात्र बनाया है। प्रेमचंद को उनके महान् उपन्यासों में उत्कृष्ट कथाशिल्प एवं प्रस्तुतीकरण के कारण ‘उपन्यास सम्राट’ कहा जाता है।

उपसंहार इस महान् साहित्यकार का लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर, 1936 को निधन हो गया, परंतु अपनी रचनाओं के माध्यम से साहित्य-प्रेमियों के हृदय में वे सदा अमर रहेंगे। उन्होंने एक साहित्यकार के रूप में न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि समाज की समस्याओं का वर्णन करते हुए उनके निवारण के उपाय भी सुझाए। उन्होंने साहित्य-सृजन को नवनिर्माण एवं नवजागरण को माध्यम बनाया। उनका साहित्य पूरी तरह से खरा साहित्य है। हिंदी साहित्य जगत सदा उनका ऋणी रहेगा।

(घ) कश्मीर समस्या

कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है, जो भारत के उत्तर में स्थित है। कश्मीर अपने सौंदर्य के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। कश्मीर भारत और पाकिस्तान के मध्य लड़ाई की जड़ है कश्मीर का भारत में विधिवत् विलय हुआ था। परंतु पाकिस्तान ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया और कश्मीर का अधिग्रहण करने का प्रयास किया। कारगिल युद्ध ने पाकिस्तान को सबक तो सिखाया, परंतु वह कश्मीर को हथियाने का प्रयास अपनी आतंकवादी गतिविधियों; जैसे-घुसपैठ, विस्फोट, हत्या आदि माध्यमों से कर रहा है। पाकिस्तान द्वारा कश्मीरियों में अलगाववादी भावनाओं को भरकर भरपूर लाभ उठाया जा रहा है। कश्मीर समस्या को वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय रंग दिया जा चुका है और भविष्य में इस समस्या के चलते विश्वयुद्ध के छिड़ने की पूर्ण संभावना है। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान व चीन भारत के विपक्ष में हैं। पाक अधिकृत कश्मीर के अलावा कश्मीर का एक छोटा-सा भाग चीन के पास भी है, यह भाग पाकिस्तान द्वारा चीन को सौंपा गया था। कुल मिलाकर कहा जाए, तो कश्मीर की समस्या काफी गंभीर है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिटन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान पाकिस्तान की नीतियों की भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर व अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ व आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। परंतु पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने क्लिटन के भारत आगमन के दिन ही अनंतनाग जिले में 35 सिखों की निर्ममता से हत्या कर दी। इस प्रकार की कई घटनाएँ पिछले 40 वर्षों से विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। कश्मीर में आर्थिक व औद्योगिक उन्नति नहीं हो पाई, क्योंकि आतंकवाद के साथ किसी भी प्रदेश की उन्नति नहीं हो सकती। वर्तमान में कश्मीर समस्या एक नया ही गुल खिला रही है। इस प्रदेश में आतंकवादी गुटों का एक आतंक-सा छाया हुआ है। इस आतंकवाद के पीछे पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी का बहुत बड़ा हाथ है। पाकिस्तान की सेना के द्वारा समर्थित भाड़े के उग्रवादी कश्मीर को बर्बाद कर रहे हैं।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने गंभीर प्रयासों से इस समस्या को बातचीत द्वारा हल करने का प्रयास अवश्य किया था, परंतु इसमें अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लगी। वर्तमान समय में कश्मीर की हालत अत्यंत गंभीर हो चुकी है, आए दिन विद्रोही स्वर उभरने लगे हैं। पत्थरबाजी, सैनिकों पर आत्मघाती हमले कश्मीर में आम बात हो चुकी है। अपने-अपने स्तर पर भारतीय सरकार ने अब तक सैंकड़ों प्रयास किए, परंतु सफलता हाथ नहीं लगी।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि कश्मीर समस्या भारत के लिए एक चुनौती है। इसका सामना करने के लिए हमारे जनसाधारण, सेनानायकों और राजनीतिक प्रतिनिधियों को सदैव तत्पर रहना होगा।

उत्तर 4.

सेवा में,
प्रधान प्रबंधक, सहकारी बैंक,
ढका गाँव, दिल्ली।

दिनांक 25 मई 20××

विषय अपने ग्राम में सहकारी बैंक की एक शाखा खोलने हेतु

महोदय,

निवेदन यह है कि मैं ढका गाँव, दिल्ली का निवासी हूँ। हमारे गाँव में एक भी सहकारी बैंक की शाखा उपलब्ध नहीं है, जिस कारण समस्त ग्रामवासियों को बैंकिंग संबंधी कार्य में समस्या होती है। सहकारी बैंक के अतिरिक्त कुछ निजी बैंक हमारे क्षेत्र में अवश्य खुले हुए हैं, परंतु उन निजी बैंकों में खाता खुलवाने हेतु खाताधारक को ₹10,000 की राशि जमा कराना अनिवार्य है। इतनी राशि जमा कराकर खाता खुलवाना हमारे ग्रामवासियों के लिए समस्या बनकर खड़ी हो गई है। गाँव से बहुत अधिक दूरी पर सहकारी बैंक की शाखा अवश्य है, परंतु वहाँ तक जाने में समय का दुरुपयोग होता है। अतः महोदय मेरा अपने ग्रामवासियों की ओर से निवेदन है कि हमारे गाँव में सहकारी बैंक की एक शाखा खोलने का कष्ट करें। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद!

भवदीय
अ.ब.स
दिल्ली

अथवा

सेवा में,
सांसद महोदय,
उत्तर-पूर्वी जिला
बुराड़ी गाँव, दिल्ली

दिनांक 25 मई, 20××

विषय अपने ग्राम में पुस्तकालय की स्थापना करवाने हेतु

महोदय,

निवेदन यह है कि मैं बुराड़ी गाँव का पिछले 20 वर्षों से स्थायी निवासी हैं। हमारे मुहल्ले में अनेक समस्याएँ हैं, जिसमें पुस्तकालय का न होना सबसे गंभार समस्या है। हमारे क्षेत्र का युवा वर्ग जो पुस्तकालय के सुख से वंचित है, जिसे पुस्तकालय का उपयोग करने के लिए 10 किमी. का सफ़र तय करना पड़ता है। इस कारण उनका समय बर्बाद होता है और वह पढ़ाई का समय यात्रा में निकाल देते हैं। हमारे क्षेत्र में बुजुर्ग वर्ग की संख्या बहुत अधिक है, जिनका घर में समय व्यतीत करना दूभर हो जाता है। यदि हमारे गाँव में भी पुस्तकालय की सुविधा होती, तो युवा और बुजुर्ग दोनों ही वर्गों को उससे लाभ होता तथा वह अपने समय को सदुपयोग कर पाते।

सांसद महोदय मेरी आपसे विनती है कि हमारे ग्राम में सांसद निधि की राशि से पुस्तकालय की स्थापना कराई जाए। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद!

भवदीय
अ.ब.स

उत्तर 5.
(क) एक अच्छा संपादकीय किसी विषय या मुद्दे पर संपादक द्वारा प्रस्तुत उसके विचारों की सजग एवं ईमानदार प्रस्तुति है। यह पाठक वर्ग को समसामयिकी मुद्दों से जोड़े रखता है और ज्ञान विस्तार में सहायक होता है।

(ख) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की लोकप्रियता के दो कारण निम्नलिखित हैं।

  1. इसके द्वारा हम दूर-दराज में हो रही घटना को प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी तुरंत दे सकते हैं।
  2. इसके द्वारा हम जनसामान्य को मनोरंजन एवं ज्ञान उपलब्ध करा सकते हैं।

(ग) जिन स्रोतों के आधार पर सूचना लोगों तक पहुँचाई जाती है, उन्हें समाचारों के स्रोत कहा जाता है। समाचार पत्र विभिन्न न्यूज़ एजेंसी; जैसे-पी.टी.आई., यूनीवार्ता आदि से समाचार प्राप्त करते हैं।

(घ) स्टिंग ऑपरेशन के दो लाभ निम्नलिखित हैं।

  1. भ्रष्टाचार जैसी व्यापक समस्या को सामने लाने में इसकी भूमिका स्पष्ट है। कई मंत्रियों को इस ऑपरेशन के कारण त्याग-पत्र देना पड़ा है।
  2. स्टिग ऑपरेशन को अंतिम रणनीति के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, जब सत्य को सामने लाने का कोई उपाय नहीं रह जाता है।

(ङ) संपादन के सिद्धांतों में तथ्यपरकता उसका एक महत्त्वपूर्ण गुण है। तथ्यपरकता से तात्पर्य सत्यनिष्ठा से है अर्थात् संपादक को संपादकीय लेखन के समय किसी भी विषय को तथ्यों के साथ उजागर करना चाहिए।

उत्तर 6.
‘स्वच्छ भारत अभियान’ आलेख के लिए All India के Solved paper 2017 का Q. No.6’स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ को देखिए।

जरूरी है जल की बचत

कहा जाता है-जल ही जीवन है। जल के बिना न तो मनुष्य का जीवन संभव है और न ही वह किसी कार्य को संचालित कर सकता है। जल मानव की मूल आवश्यकता है। यूँ तो पृथ्वी के धरातल का 71% भाग जल से भरा है, किंतु इनमें से अधिकतर हिस्से का पानी खारा अथवा पीने योग्य नहीं है। पृथ्वी पर मनुष्य के लिए जितना पेयजल विद्यमान है, उसमें से अधिकतर अब प्रदूषित हो चुका है, इसके कारण ही पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है।

जल-संकट के कई कारण हैं। पृथ्वी पर जल के अनेक स्रोत हैं; जैसे-वर्षा जल, नदियाँ, झील, पोखर, झरने, भूमिगत जल इत्यादि। पिछले कुछ वर्षों में सिंचाई एवं अन्य कार्यों के लिए भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग के कारण भूमिगत जल के स्तर में गिरावट आई है। औद्योगीकरण के कारण नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है। इन्हीं कारणों से पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है।

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का संतुलन बिगाड़ा है और अपने लिए भी खतरे की स्थिति उत्पन्न कर ली है। अब प्रकृति का श्रेष्ठतम प्राणी होने के नाते उसका कर्तव्य बनता है कि वह जल-संकट की समस्या के समाधान के लिए जल-संरक्षण पर जोर दे। जल-संकट को दूर करने के लिए जल के अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए। जल के उपयोग को कम करने एवं उसके संरक्षण के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण भी आवश्यक है।

वृक्ष वर्षा लाने एवं पर्यावरण में जल के संरक्षण में सहायक होते हैं। इसके अतिरिक्त वृक्ष वायुमंडल में नमी बनाए रखते हैं और तापमान की वृद्धि को भी रोकते हैं। अत: जल-संकट के समाधान के लिए वृक्षों की कटाई पर नियंत्रण कर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। वृक्षारोपण से पर्यावरण के प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है।

उत्तर 7.
“मुझे जन्म देने से पहले ही मत मारो माँ” फ़ीचर के लिए All India प्रश्न पत्र 2017 का Q. No. 7’भ्रूण हत्या की समस्या’ विषय को देखें।

जाति प्रथा : एक अभिशाप

कहा जाता है, ‘जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान……!’ कहने का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसके ज्ञान से होनी चाहिए, किसी अन्य आधार पर नहीं, किंतु जाति आधारित व्यवस्था ने एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भिन्न बना दिया है। कुछ ऐसी कुरीतियों एवं कुप्रथाओं ने जन्म लिया, जो समाज द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखाओं के कारण पनपीं और उनके उल्लंघन को समाजों के इन तथाकथित कर्णधारों ने दंडनीय अपराध घोषित कर दिया। सामाजिक बहिष्कार का दंड-विधान और समाज से बहिष्कृत होने का भय किसी मुस्लिम को हिंदू से या हिंदू को मुस्लिम से या फिर एक जाति के सदस्य को किसी अन्य जाति के सदस्यों से प्रेम या विवाह करने से रोकता है।

संभवतः मानव समाजों में स्तरीकरण का विकास वंशागत और सामाजिक दोनों कारणों से हुआ है। वंशागत स्तरीकरण जातिगत स्तरीकरण है, जबकि सामाजिक स्तरीकरण गैर-जातिगत स्तरीकरण वंशागत स्तरीकरण से दो भिन्न समाजों के विलय का बोध हो जाता है। जब एक जाति समूह दूसरे जातीय समूह या समूहों पर स्थायी रूप से न्यूनाधिक प्रबल हो जाता है, तो वंशागत स्तरीकरण निर्मित हो जाता है। भारत में हिंदू जाति व्यवस्था इसी प्रकार के स्तरीकरण का उदाहरण है।

अनेक सामाजिक अधिनियमों ने भी जाति व्यवस्था की स्थिरता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। स्वयं जाति व्यवस्था से उत्पन्न दोषों ने भी लोगों में इसकी उपयोगिता के बारे में संदेह उत्पन्न कर दिया है। जातिगत विभेद को दूर करके ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। इसलिए यह व्यवस्था की गई कि राज्य किसी भी नागरिक के प्रति धर्म, वंश अथवा जाति के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव \ नहीं करेगा।

जाति प्रथा के संदर्भ में पंडित जवाहरलाल नेहरू की बातें आज भी प्रासंगिक हैं-” भारत में जाति-पाँति प्राचीनकाल में चाहे कितनी भी उपयोगी रही हों, पर आज सभी प्रकार की उन्नति के रास्ते में भारी बाधा और रुकावट बन गई है। आज इसे जड़ से उखाड़कर अपनी सामाजिक रचना को नया रूप देने की आवश्यकता है।”

उत्तर 8.
(क) कवि ने बादल को निर्दय कहा है, क्योंकि कवि को बादल ऐसे दुःख दग्ध संसार के वायुमंडल में मँडराते, उमड़ते-घुमड़ते हुए निर्दयी माया के समान दिखाई देते हैं। कवि का आशय यह है कि बादल दुःख, अभाव व शोषण से ग्रस्त संसार के ऊपर जल बरसाकर शोषण के विरुद्ध क्रांति का उद्घोषणा करने वाले क्रांतिदूत की भूमिका में हैं, जो संपूर्ण शोषक वर्ग का बड़ी निर्ममता से विनाश करेगा।

(ख) कवि के अनुसार बादल दुःख का नाश करने वाले वीर योद्धा की भाँति हैं, जिसके युद्ध वाद्य की गर्जना से पृथ्वी के भीतर सोए अंकुर अपनी निद्रा तोड़कर जागने को तत्पर हो गए हैं। वे नवजीवन प्राप्ति की आशा में सिर उठाकर बादल के बरसने की प्रतीक्षा करने लगे हैं।

(ग) बादल को ‘ए विप्लव के बादल’ इसलिए कहा गया है, क्योंकि यहाँ बादल को क्रांतिकारी रूप में वर्णित किया गया है। कवि का उद्देश्य शोषण के विरुद्ध आह्वान करना है। इसीलिए बादल यहाँ केवल जल बरसाने वाले प्राकृतिक तत्त्व नहीं हैं, बल्कि वे संसार में व्याप्त अमानुषिक कृत्यों एवं अत्याचार आदि को अपने प्रलयंकारी रूप से नष्ट कर नवजीवन की चेतना प्रसारित करने के रूप में हैं।

(घ) प्रस्तुत काव्य पंक्तियों से आशय है कि बादल वायु रूपी सागर के ऊपर अस्थिर अर्थात् क्षणिक सुख पर दुःख की छाया के समान लहराते हुए मँडरा रहे हैं। कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि संसार को हृदय दुःख के कारण जला हुआ है।

अथवा

(क) काव्यांश में ‘वे’/’उनके’ सर्वनाम बच्चों के लिए प्रयुक्त हुए हैं। वे हर समय भागते-दौड़ते रहते हैं, सक्रिय रहते हैं, जीवंत रहते हैं। वे कठोर पत्थरों एवं सतहों वाली छतों को भी मुलायम ही समझते हैं। उनकी उमंग इतनी उत्कट, धुने इतनी तीव्र एवं सक्रियता इतनी | बलवती है कि सभी दिशाएँ उनकी सक्रियता की ताल से मृदंग की तरह बजती दिखाई देती हैं।

(ख) कपास का रेशा कोमल एवं लचीला होता है। कवि की दृष्टि में बच्चे कपास के समान ही हल्के, श्वेत (स्वच्छ), मासूम एवं कोमल भावनाओं तथा लचीले शरीर वाले होते हैं। उनमें कपास जैसा आकर्षण भी होता है। दोनों के गुणों में समानता के कारण कवि ने बच्चों का संबंध कपास से जोड़ा है।

(ग) कवि ने बच्चों के ‘बेसुध होकर दौड़ने के निम्नलिखित उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।

बच्चे कठोर पत्थरों एवं सतहों वाली छतों को भी मुलायम ही समझते हैं तथा बेसुध होकर संपूर्ण पृथ्वी को अपने पैरों से दौड़कर नाप देना चाहते हैं। दूसरी ओर कवि कहता है कि बच्चे इतने उत्साहित होते हैं कि वे दिशाओं को अपनी बोलियों से मृदंग की भाँति झंकृत और कंपायमान कर देते हैं। कोमल एवं लचीला शरीर लिए हुए ये बच्चे जब दौड़ते हैं, तो कवि को उनका दौड़ना झूले के पेंग की भॉति प्रतीत होता है।

(घ) ‘छतों को नरम बनाना और ‘दिशाओं को मृदंग की तरह’ बजाना का भाव यह है कि बच्चे उत्सुकता में कठोर छतों पर भी बेसुध होकर ऐसे दौड़ते हैं मानों बच्चों के स्वभाव की भाँति छतें कितनी नरम हो गई हों। दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने से तात्पर्य यह है कि जब बच्चों के पैर छत पर पड़ते हैं, तो उन पैरों की पदचाप मृदंग जैसी ध्वनि करती है।

उत्तर 9.
(क) प्रस्तुत काव्यांश में अंत्यानुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है, जबकि ‘मानहुँ कालु देह धरि बैसा’ में उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग किया गया है।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश की भाषा संबंधित विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. प्रस्तुत काव्यांश में अवधी भाषा की सुंदर शब्दाभिव्यक्ति का प्रयास किया गया है।
  2. भाषा में चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है।

(ग) काव्यांश में 16 मात्राओं वाले चौपाई छंद का प्रयोग हुआ है। यह एक सम-मात्रिक छंद है, जो तुलसी जी की रचनाओं में बहुलता से देखने को मिलता है।

उत्तर 10.
(क) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता वास्तव में मीडिया द्वारा लोगों की पीड़ा बेचने की स्थिति को दर्शाती है। तथाकथित संवेदनशील कार्यक्रमों का संचालन करने वाले स्वयं संवेदनहीन होते हैं। वे पीड़ित व्यक्ति से अर्थहीन एवं मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछते हैं, क्योंकि उनकी उद्देश्य सिर्फ ऐसे प्रश्न करना है, जिससे पीड़ित की वेदना, आँसुओं के रास्ते छलक उठे और दर्शक उनके कार्यक्रम में रुचि लें। किसी भी तरह उनका टी.आर.पी. बढ़े और उन्हें इसका व्यावसायिक लाभ प्राप्त हो सके। उनका एकमात्र उद्देश्य अपाहिज या पीड़ायुक्त व्यक्ति की वेदना को दूरदर्शन के माध्यम से बेचना होता है।

इन उदाहरणों के माध्यम से कहा जा सकता है कि यह कविता शारीरिक विकलांगता की चुनौती झेल रहे व्यक्ति का उपहास करती है।

(ख) सीधी बात भी तब टेढ़ी होकर उलझती जाती है, जब बात को बेवजह घुमाकर, आडंबरपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इस कारण उसका प्रभाव नष्ट हो जाता है। जिस प्रकार पेंच की चूड़ी मरने से, उसका यथास्थान निर्मित खाँचे के नष्ट होने से कसाव नष्ट हो जाता है, वैसे ही भाषा के अनावश्यक विस्तार से बात का प्रभाव कम हो जाता है। मूल बात शब्दजाल में उलझ कर रह जाती है। फिर बात कील की तरह ठोंक भले ही दी जाए, उसका वैसा प्रभाव नहीं रह जाता। वह श्रोता या पाठक के हृदय तक नहीं पहुँच पाती। अतः बात को सरल भाषा और कम-से-कम शब्दों में सटीक ढंग से कहा जाना चाहिए, तभी वह प्रभावशाली रहती है।

(ग) फिराक गोरखपुरी ने अपनी रुबाइयों में उच्च कोटि का वात्सल्य चित्रण किया है, जिसमें एक माँ अपने प्रिय पुत्र को आँगन में लिए खड़ी है। उसे हाथों के झूले पर झुला रही है, बालक प्रसन्नता से किलकारियाँ मार रहा है। माँ बच्चे को नहलाकर तैयार करती है, घुटनों में दबाकर उसे कपड़े पहनाती है। तब बच्चा माँ का मुख निहारता है। दीवाली के त्योहार पर माँ चीनी- मिट्टी के खिलौने लाती है, दीये जलाती है। उसके घरौंदे पर दीया जलाते समय माँ के मुख पर गर्व और वात्सल्य की अनोखी चमक रहती है। माँ बच्चे को शीशे में चाँद दिखाकर बहलाती है। वास्तव में, फिराक की रुबाई में हिंदी का एक घरेलू रूप दिखता है। उनकी सहज भाषा एवं प्रसंग सूरदास के वात्सल्य वर्णन की सादगी की याद दिलाते हैं।

उत्तर 11.
(क) प्रस्तुत गद्यांश में बाज़ार के जादू की चर्चा हो रही है। बाज़ार को जादू इसलिए कहा गया है, क्योंकि उसमें रूप और आकर्षण का बोलबाला होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बाज़ार में उपस्थित सभी वस्तुएँ आवश्यक लगती हैं। यही बाजार के जादू का असर है।

(ख) लेखक ने बाज़ार के आकर्षण की तुलना चुंबक से की है। जिस प्रकार चुंबक लोहे को अपनी ओर खींचता है, उसी प्रकार बाज़ार का जादू चढ़ने पर मनुष्य रूपी लोहा उसकी ओर आकर्षित होता है। उसे लगता है कि सभी वस्तुएँ खरीद ली जाएँ। उसे सभी वस्तुएँ अनिवार्य तथा आराम बढ़ाने वाली लगने लगती हैं।

(ग) लेखक ने बाज़ार के जादू को ऐसा बताया है कि लोगों के पास भले ही धन की कमी हो लेकिन बाज़ार का आकर्षण उन्हें इस कदर व्याकुल कर देता है कि उनका मन बाज़ार से अनावश्यक वस्तुओं का आयात करने के लिए भी व्यग्र हो उठता है।

(घ) जादू से छुटकारा पाने का उपाय यह है कि व्यक्ति को बाज़ार तभी जाना चाहिए, जब उसे अपनी आवश्यकता के बारे में पूर्ण जानकारी हो, बिलकुल भगत जी की भाँति, क्योंकि अपनी आवश्यकता का ज्ञान होने पर ही हम बाज़ार को तथा बाज़ार हमें वास्तविक लाभ दे पाएगा।

उत्तर 12.
(क) डॉ. आंबेडकर जाति प्रथा को श्रम विभाजन का स्वाभाविक विभाजन नहीं मानते हैं, जिसके पीछे उन्होंने निम्नलिखित तर्क दिए हैं।
(i) जाति-प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन भी कराती है। सभ्य समाज में श्रमिकों को विभिन्न वर्गों में विभाजन अस्वाभाविक है। इसे कभी भी नहीं माना जा सकता।
(ii) जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि मनुष्य के प्रशिक्षण एवं उसकी निजी क्षमता पर विचार किए बिना किसी दूसरे के द्वारा उसके लिए व्यवसाय निर्धारित कर दिया जाए।
(iii) जाति-प्रथा मनुष्य को जीवनभर के लिए एक व्यवसाय में बाँध देती है। भले ही वह व्यवसाय उसके लिए अनुपयुक्त या अपर्याप्त क्यों न हो? भले ही इससे उसके भूख से मरने की नौबत आ जाए।

(ख) गाँव में फैली बीमारी ने अब महामारी का रूप ले लिया था। इसने इस तरह गाँव में हाहाकार मचा दिया था कि सभी के चेहरे पर रुदन के अलावा अन्य कोई भी चिन्ह यदा-कदा ही दृष्टिगोचर होता था। सूर्य निकलने के साथ ही लोग काँपते-कराहते घरों से निकलकर अपने आत्मीयजनों तथा मित्रों को समय बलवान होना समझाकर ढाँढस बँधाते थे और कहते थे कि समय परिवर्तित होता रहता है, बुरा समय भी जल्दी समाप्त हो जाएगा। लोग सूर्य के अस्त होने के साथ ही अपनी-अपनी झोंपड़ियों में चले जाते और उनकी चूँ तक की आवाज़ भी नहीं आती। उनकी बोलने की शक्ति भी बिलकुल समाप्त हो जाती। केवल रुग्ण गाँववासियों के रोने-कराहने और बच्चों की माँ-माँ करने की आवाजें ही आतीं।।

(ग) वर्तमान समाज की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि वह केवल किसी वस्तु की माँग कर सकता है, परंतु जब त्याग की बात आती है तो वह कोसो दूर पीछे हट जाता है। यह मनुष्य की स्वार्थ प्रवृत्ति को प्रदर्शित करता है। शिक्षा, खेल, उद्योग-धंधे आदि भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में स्वार्थ सिद्धि हेतु मनुष्य कभी माता-पिता से तो कभी देश की व्यवस्था से माँग करता हुआ नज़र आता है, परंतु जब हमारी ज़रूरत किसी बेसहारा को पड़ती है, तो हम उससे मुँह चुराकर भाग खड़े होते हैं। इन्हीं बातों को लेखक ने ‘काले मेघा पानी दे’ कहानी के माध्यम से उजागर करने का प्रयास किया है।

(घ) भक्तिन अच्छी है, पर उसके दुर्गुणों को तीन तर्कों के आधार पर बताया गया है, जैसे—वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं है। वह रुपयों-पैसों को मटकी में रख देती है और पूछने पर बताती है कि उसने उन्हें सँभालकर रखा हुआ है। वह लेखिका को प्रसन्न रखने के लिए बात को इधर-उधर घुमाकर कहती है। इसे आप झूठ कह सकते हैं। भक्तिन सभी बातों और कामों को अपनी सुविधा के अनुसार ढालने में निपुण है, जो कई बार दूसरों को नापसंद होता है।

(ङ) लेखक ने चार्ली के जीवन के बारे में बहुत ही सुंदर ढंग से उदाहरण देते हुए बताया है कि चार्ली भीड़ का एक बच्चा है, जो इशारे से बताना जानता है कि राजा भी उतना ही नंगा है, जितना कि मैं हूँ। यह सुनकर भीड़ हँस देती है। वे स्वयं को भी हास्यास्पद बता देते हैं और राजा गुस्सा भी नहीं हो पाते।

चार्ली ने जीवन के हर कदम पर संघर्षों में लड़ते हुए भी हँसना सीखा है। एक परित्यक्ता (तलाकशुदा) और दूसरे दर्जे की अभिनेत्री का बेटा था चार्ली, जिसने भयंकर गरीबी देखी, फिर माँ का पागल हो जाना देखा, फिर औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद और सामंतवाद से भरे घमंडी समाज की उपेक्षा तथा तिरस्कार सहे। इन सभी परिस्थितियों से चार्ली चैप्लिन को जीवन मूल्य प्राप्त हुए।

उत्तर 13.
यशोधर बाबू पुराने रीति-रिवाज़ों को मानने वाले एक आदर्श व्यक्ति थे। आधुनिक युग का प्रभाव उन्होंने अपने ऊपर नहीं पड़ने दिया था। वे अपने ही सिद्धांतों पर चलना चाहते थे और अपने परिवार से भी इन्हीं जीवन-मूल्यों की अपेक्षा रखते थे। उनको इस बात की परवाह नहीं थी कि नई पीढ़ी को मेरे जीवन मूल्य पसंद हैं या नहीं। उनके द्वारा जबरन नई पीढ़ी पर अपने सिद्धांत थोपना ही उनकी समस्या का कारण बना था। वे चाहते थे कि नई पीढ़ी मेरे सिद्धांतों और मेरे जीवन मूल्यों को अंगीकृत करे, परंतु नई पीढ़ी को यह बात जरा भी पसंद नहीं थी। आज नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के मध्य विघटन का प्रमुख कारण आधुनिकता बनाम परंपरा की अवधारणा है। यशोधर बाबू को नई पीढ़ी के क्रियाकलाप अनुचित लगते थे। वे ‘समहाउ इप्रॉपर’ का प्रयोग इसलिए करते थे, क्योंकि वे आजकल के नए विचारों के पक्ष में नहीं थे। वस्तुतः वे पुराने नियमों में कोई बदलाव नहीं चाहते। वे अपना तकिया कलाम ‘समहाउ इंप्रॉपर’ बोलकर नए युग का विरोध करना चाहते थे।

उत्तर 14.
(क) सौंदलगेकर मराठी भाषा के अध्यापक थे। वे मराठी भाषा को अत्यंत रुचि लेकर पढ़ाते थे। उनका पढ़ाने का तरीका विशिष्ट था। अध्यापन के कार्य में वे पूरी तरह रम जाते थे। उन्हें छंद तथा सुरों का विशिष्ट ज्ञान था। वे पहले कविता गाकर सुनाते, फिर गायन के साथ अभिनय करते। श्री सौंदलगेकर की अध्यापन शैली ने लेखक को अत्यधिक प्रभावित किया। अपने शिक्षक की प्रतिभा से प्रेरणा ग्रहण कर रचनाकार ने कविता लिखने का प्रयास प्रारंभ किया। पढ़ाई के बाद खेतों पर काम करते हुए लेखक को काफी समय मिल जाता। इस समय का सदुपयोग करते हुए वह कविता लिखकर अपने अध्यापक को दिखाता, ताकि उसमें मौजूद कमियों को दूर किया जा सके। इस प्रकार लेखक के मन में कविता लिखने के प्रति रुचि जगाने में उनके अध्यापक सौंदलगेकर की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रही।

इन तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि सौंदलगेकर एक आदर्श अध्यापक प्रतीत होते हैं।

(ख) ऐन ने समाज में स्त्रियों की दशा को बहुत ही दयनीय बताया है। वह ऐसा मानती है कि पुरुष स्त्रियों की शारीरिक अक्षमता को ढाल बनाकर उन्हें अपने से नीचे ही रखते हैं, पर उसे लगता है कि आमतौर पर औरतें युद्ध में लड़ने वाले वीरों से अधिक तकलीफें झेलती हैं। औरत ही हैं, जो मानव जाति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए सिपाहियों से भी अधिक परिश्रम करती हैं। ऐन ने स्त्री जीवन को बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। वह स्त्री जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है।

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 1

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Paper 1

BoardCBSE
ClassXII
SubjectHindi
Sample Paper SetPaper 1
CategoryCBSE Sample Papers

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समय :3 घंटे
पूर्णांक : 100

सामान्य निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के तीन खंड हैं-क, ख और ग।
  • तीनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए (15)

दबाव में काम करना व्यक्ति के लिए अच्छा है या नहीं, इस बात पर प्राय: बहस होती है। कहा जाता है कि व्यक्ति अत्यधिक दबाव में नकारात्मक भावों को अपने ऊपर हावी कर लेता है, जिससे उसे अक्सर कार्य में असफलता प्राप्त होती है। वह अपना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खो बैठता है। दबाव को यदि ताकत बना लिया जाए, तो न सिर्फ सफलता प्राप्त होती है, बल्कि व्यक्ति कामयाबी के नए मानदंड रचता है। ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जब लोगों ने अपने काम के दबाव को अवरोध नहीं, बल्कि ताकत बना लिया। “सुख-दु:ख, सफलता-असफलता, शांति-क्रोध और क्रिया-कर्म हमारे दृष्टिकोण पर ही निर्भर करता है। जोंस सिल्वा इस बात से सहमत होते हुए अपनी पुस्तक ‘यू द हीलर’ में लिखते हैं कि मुन्, मस्तिष्क को चलाता है। और मस्तिष्क शरीर को। इस तरह शरीर मुन के आदेश का पालन करता हुआ काम करता है।

दबाव में व्यक्ति यदि सकारात्मक होकर काम करे, तो वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में कामयाब होता है। दबाव के समय मौजूद समस्या पर ध्यान केंद्रित करने और बोझ महसूस करने की बजाय यदि यह सोचा जाए कि हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, जो एक कठिन चुनौती को पूरा करने के लिए तत्पर हैं, तो हमारी बेहतरीन क्षमुताएँ स्वयं जागृत हो उठती हैं। हमारा दिमाग जिस चीज़ पर भी अपना ध्यान केंद्रित करने लगता है, वह हमें बढ़ती प्रतीत होती है। यदि हम अपनी समस्याओं के बारे में सोचेंगे, तो वे और बड़ी होती महसूस होंगी। अगर अपनी शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, तो वे भी बड़ी मुहसूस होंगी। इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि “जीतना एक आदत है, पर अफसोस! हारना भी एक आदत ही है।”

(क) दबाव में काम करने के नकारात्मक प्रभाव समझाइए। (2)
(ख) दबाव हमारी सफलता का कारण कब और कैसे बन सकता है? (2)
(ग) दबाव में सकारात्मक सोच क्या हो सकती है? स्पष्ट कीजिए। (2)
(घ) काम करने की प्रक्रिया में मन, मस्तिष्क और शरीर के संबंध को अपने शब्दों में समझाइए। (2)
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए-“जीतना एक आदत है, पर अफसोस! हारना भी एक आदत ही है।” (2)
(च) गद्यांश के केंद्रीय भाव को लगभग 20 शब्दों में लिखिए। (2)
(छ) अपनी क्षमताओं को जगाने में या समस्याओं को बड़ा महसूस करने में हमारी सोच की क्या भूमिका है? (2)
(ज) उपरोक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए। (1)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 5 = 5)

मन-दीपक निष्कंप जलो रे!
सागर की उतालु तरंगें,
आसमान को छु-छू जाएँ।
डोल उठे डगमग भूमंडल
अग्निमुखी ज्वाला बरसाए,
धूमकेतु बिजली की द्युति से,
धरती का अंतर हिल जाए।
फिर भी तुम ज़हरीले फन को
कालजयी बनु उसे दलो रे।

कदम-कदम पर पत्थर, काँटे
पैरों को छलनी कर जाएँ।
श्रांत-क्लांत करने को आतुर
क्षण-क्षण में जुग की बाधाएँ
मरण गीत आकर गा जाएँ।
दिवस-रात, आपद-विपदाएँ
फिर भी तुम हिमपात तपन में
बिना आह चुपचाप जलो रे।

(क) कविता किसे संबोधित है और उसे क्या करने को कहा गया है?
(ख) कालजयी बनकर कैसी बाधाओं का दलन करने को कहा गया है?
(ग) पत्थर और काँटे किसके प्रतीक हैं? वे क्या कर सकते हैं?
(घ) धरती का अंतर कैसे, क्यों हिल जाता है?
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए-मन-दीपक निष्कंप जलो रे।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए (5)

(क) पड़ोसी देश
(ख) मनोरंजन की दुनिया
(ग) विकास के पथ पर भारत
(घ) नारी-सशक्तीकरण

प्रश्न 4.
निकट के शहर से आपके गाँव तक की सड़क का रख-रखाव संतोषजनक नहीं है। मुख्य अभियंता, लोक-निर्माण विभाग को एक पत्र लिखकर तुरंत कार्यवाही का अनुरोध कीजिए। समस्या के निदान के लिए एक सुझाव भी दीजिए। (5)
अथवा
किसी पर्यटन स्थल के होटल के प्रबंधक को निर्धारित तिथियों पर होटल के दो मादु (कमरे) आरक्षित करने का अनुरोध करते हुए पत्र लिखिए। पत्र में उन्हें कारण भी बताइए कि आपने वही होटल क्यों चुना।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए (1 × 5 = 5)

(क) ‘संचार का महत्त्व’ दो बिंदुओं में समझाइए।
(ख) “समाचार’ शब्द को परिभाषित कीजिए।
(ग) ‘इंटरनेट’ पत्रकारिता के दो लाभ लिखिए।
(घ) ‘फोन-इन’ का आशय समझाइए।
(ङ) समाचार लेखन के छः ककार क्या हैं?

प्रश्न 6.
‘वन रहेंगे : हम रहेंगे’ अथवा ‘स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत’ विषय पर एक फ़ीचर लिखिए। (5)

प्रश्न 7.
‘कन्या भ्रूण-हत्या की समस्या’ अथवा ‘बेमेल विवाह’ विषय पर एक आलेख लिखिए। (5)

प्रश्न 8.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए (2 × 4 = 8)

अट्टालिका नहीं हे रे
आतंक-भुवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव प्लावन

क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
सदा छलकता नीर
रोग-शोक में भी हँसता है।
शैशव का सुकुमार शरीर।

(क) कवि अट्टालिकाओं को आतंक-भवन क्यों मानता है?
(ख) ‘पंक’ और ‘विप्लव’ का प्रतीकार्थ क्या है?
(ग) ‘जलज’ किसे मानेंगे? उसके विशेषणों के प्रयोग सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
(घ) काव्यांश का केंद्रीय भाव समझाइए।

अथवा

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है।
जितना भी उँडेलता हूँ,
भर-भर फिर आता है।
दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है।
भीतर बृह, ऊपर तुम
मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात भर ।
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

(क) ‘तुम’, ‘तुम्हारा’ सर्वनाम किसके लिए प्रयुक्त हुए हैं? आप ऐसा क्यों मानते हैं?

(ख) उस ‘अनजान रिश्ते’ पर टिप्पणी कर बताइए कि उसका कवि पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?

(ग) आशय स्पष्ट कीजिए
“दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है”

(घ) काव्यांश के आधार पर कवि की मनःस्थिति पर टिप्पणी कीजिए।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 3 = 6)

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है।
पूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।

(क) काव्यांश किस छंद में है? उसके लक्षण बताइए।
(ख) काव्यांश में रूपक अलंकार के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ग) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 2 = 6)

(क) ‘बच्चन’ के संकलित गीत में दिन ढलते समय पथिकों और पक्षियों की गति में तीव्रता और कवि की गति में शिथिलता के कारण लिखिए।
(ख) ‘बात की चूड़ी मरने और उसे सहूलियत से बरतने से कवि का क्या अभिप्राय है? ‘बात सीधी थी पर कविता के आधार पर लिखिए।
(ग) “धूत कहौ, अवधूत कहौ सवैये में तुलसीदास का स्वाभिमान प्रतिबिंबित होता है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (2 × 4 = 8)

इस सद्भाव के ह्रास पर आदमी आपस में भाई-भाई और सुहृद और पड़ोसी फिर रह ही नहीं जाते हैं और आपस में कोरे ग्राहक और बेचक की तरह व्यवहार करते हैं। मानो दोनों एक-दूसरे को ठगने की घात में हों। एक की हानि में दूसरे को अपना लाभ दिखता है और यह बाज़ार का, बल्कि इतिहास का; सत्य माना जाता है। ऐसे बाज़ार को बीच में लेकर लोगों में आवश्यकताओं का आदान-प्रदान नहीं होता; बल्कि शोषण होने लगता है, तब कपूट सफल होता है, निष्कपट शिकार होता है। ऐसे बाज़ार मानवता के लिए विडंबना हैं।

(क) सद्भाव का ह्रास कब होता है? उसके क्या परिणाम होते हैं?
(ख) स्वभाव में ग्राहक-विक्रेता व्यवहार क्यों आ जाता है? इसके लक्षण क्या हैं?
(ग) “ऐसे बाज़ार को”-कथन से लेखक का क्या तात्पर्य है? वे मानवता के लिए विडंबना क्यों हैं?
(घ) इस गद्यांश में आज की उपभोक्तावादी प्रवृत्ति की क्या-क्या विशेषताएँ दिखाई पड़ती हैं?

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (3 × 4 = 12)

(क) भक्तिन लाट साहब तक से लड़ने को तत्पर क्यों थी? इससे उसके स्वभाव की कौन-सी विशेषता उजागर होती है?
(ख) चार्ली चैप्लिन के व्यक्तित्व को निखारने में उसके व्यक्तिगत जीवन के संघर्षों का बड़ा हाथ है। सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
(ग) भारत-पाक के वर्तमान संबंधों को देखते हुए ‘नमक’ कहानी के संदेश की समीक्षा कीजिए।
(घ) हजारीप्रसाद द्विवेदी के द्वारा नेताओं और कुछ पुराने व्यक्तियों की अधिकार सीमा पर किए गए व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
(ङ) जाति प्रथा को श्रम विभाजन का रूप न मानने के पीछे डॉ. आंबेडकर के तर्कों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न 13.
पुराने होते जा रहे जीवन-मूल्यों और नए प्रचलनों के बीच यशोधर पंत के संघर्ष पर प्रकाश डालिए। (5)

प्रश्न 14.
(क) अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (5)
(ख) जूझ’ पाठ के आधार पर अध्यापक के रूप में सौंदलगेकर के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। (5)

उत्तर

उत्तर 1.
(क) दबाव में काम करने से मनुष्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव निम्न हैं।

  1. व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य क्षीण होता है।
  2. व्यक्ति की कार्य क्षमता प्रभावित होती है, जिससे अक्सर उसे कार्यों को भली-भाँति करने में असफलता प्राप्त होती है।

(ख) व्यक्ति जबे दबाव को सकारात्मक रूप में ग्रहण करके उसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार करता है और अपने कार्य को पूर्ण करने के लिए दृढ़ इच्छा से उसमें जुट जाता है, तो दबाव कार्य को सफलतापूर्वक करने में सहायक बनता है।

(ग) दबाव के समय सकारात्मक सोच यह हो सकती है कि हम मौजूद समस्या पर ध्यान केंद्रित करने और उसे बोझ महसूस करने के अलावा यदि यह सोचें कि हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, हम कठिन चुनौती को पूरा करने के लिए तत्पर हैं, तो हमारी बेहतरीन क्षमताएँ स्वयं जागृत हो उठेगी।

(घ) काम करने की प्रक्रिया में मन, मस्तिष्क और शरीर तीनों परस्पर संबंधित होते हैं। मन में जो भी भाव सकारात्मक अथवा नकारात्मक सक्रिय होते हैं, उन्हीं के अनुरूप मस्तिष्क कार्य करता है और शरीर को कार्य करने का आदेश देता है।

(ङ) “जीतना एक आदत है, पर अफसोस! हारना भी एक आदत ही है”-पंक्ति से लेखक का आशय है कि जीतना या हारना व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है अर्थात् व्यक्ति के मन में सकारात्मक या नकारात्मक जिन भावों की प्रबलता होगी, उसी का परिणाम उसके कार्यों पर पड़ेगा।

(च) गद्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि व्यक्ति को कार्यों को करते समय सामने आने वाली कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उनको चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।

(छ) अपनी क्षमताओं को जगाने में या समस्याओं को बड़ा महसूस करने में हमारी सोच की बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि व्यक्ति जैसा सोचता है, वही उसके कार्यों की परिणति के रूप में परिलक्षित होता है। यदि वह समस्याओं को तुच्छ व सामान्य मानकर अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखता है, तो वह लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेता है।

(ज) ‘मानव जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण का महत्त्व’ गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है।।

उत्तर 2.
(क) प्रस्तुत कविता में कवि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को संबोधित करते हुए कहता है कि जीवन पथ पर तुम्हारे सामने कितनी ही आपदाएँ अथवा विपत्तियाँ आएँ, तुम उन्हें अपनी इच्छाशक्ति से परास्त कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते चलो।

(ख) कवि विपत्ति रूपी सागर की विकराल तरंगों, जिनके वेग से सृष्टि हिलने लगे और ऐसा प्रतीत हो जैसे वे आग बरसा रही हों। ऐसी विपदाओं के जहरीले फन को कालजयी बनकर दलने अर्थात् नष्ट करने के लिए कहता है।

(ग) पत्थर और काँटे जीवन पथ पर आने वाली कठिनाइयों के प्रतीक हैं। ये विपत्ति रूपी पत्थर और काँटे पैरों को छलनी कर जीवन में बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं।

(घ) धरती का अंतर धूमकेतु की बिजली की चमक अर्थात् निरंतर धरती पर बढ़ने वाले छल-प्रपंच, अत्याचार, अन्याय, एवं बैरभाव के कारण हिल जाता है।

(ङ) ‘मन-दीपक निष्कंप जलो रे’ पंक्ति से आशय यह है कि मन में जलने वाली आशाओं, इच्छाओं व साहस रूपी दीपक तुम निष्कंप अर्थात् पूर्ण दृढ़ता के साथ जलो और दुनिया को प्रकाशित कर उसके मार्ग की बाधाओं को दूर करो।

उत्तर 3.

(क) पड़ोसी देश

भूमिका दक्षिण एशिया में स्थित भारत इस समय विश्व के प्रभावशाली देशों में से एक है। इसके उत्तर में पर्वतराज हिमालय है और दक्षिण में विशाल हिंद महासागर। भौगोलिक रूप से यह जल और थल दोनों से जुड़ा हुआ है। इसके आकार और शांतिपूर्ण छवि के कारण एशिया महाद्वीप में इसका स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस बात से इसके पड़ोसी देश भी भली-भाँति परिचित हैं। इसके वृहत आकार के कारण इसके पड़ोसी देशों की संख्या भी अधिक ही है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका तथा मालदीव को सम्मिलित किया जाता है। भारत के लिए उसका प्रत्येक पड़ोसी देश बहुत अहम है, इसलिए भारत का प्रयास रहता है कि उन सभी से उसके संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़े।

भारत-पाकिस्तान संबंध पाकिस्तान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी राज्यों से अच्छे संबंध हैं। पाकिस्तान के साथ खराब संबंधों का कारण वहाँ के शासकों की भारत की ओर कुदृष्टि है। वे जम्मू-कश्मीर को प्राप्त करना चाहते हैं, जिस कारण उन्होंने भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं पर अघोषित युद्ध छेड़ रखा है। भारत में अशांति, हिंसा और उग्रवाद का भी पाकिस्तान बराबर प्रयत्न करता रहा है। पाकिस्तान, भारत के विभाजन का परिणाम है। यह 14 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् पाकिस्तान भारत पर चार बार (वर्ष 1947, 1965, 1971 और 1999 में) आक्रमण कर चुका है और प्रत्येक बार उसे हार का सामना करना पड़ा है। पाकिस्तान से शत्रुतापूर्ण रवैये के बाद भी भारत ने पाकिस्तान के प्रति सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया है।

भारत-चीन संबंध भारत का दूसरा महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश है-एशिया का तेज़ी से उभरता हुआ शक्तिशाली देश चीन’। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की सीमाओं से स्पर्श करता हुआ चीन क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत से बड़ा है। इन दोनों देशों को एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाना जाता है। यद्यपि भारत और चीन के संबंध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक रूप से हज़ारों साल पुराने हैं। स्वतंत्रता के पश्चात् भी दोनों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे, परंतु वर्ष 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण करके अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। चीन के इस कुकृत्य से भारत-चीन संबंधों में कड़वाहट उत्पन्न हो गई। यद्यपि दोनों देशों के मध्य गतिरोधों को दूर करने के प्रयास वर्ष 1968 से ही शुरू हो गए थे। वर्ष 1988 में राजीव गाँधी ने चीन की यात्रा करके मित्रता की पहल की। वर्ष 2008 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी राजीव गाँधी के नक्शेकदम पर चलते हुए दोनों देशों के मध्य संबंध सुधारने की कोशिश की। वर्ष 2014 में श्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् चीनी राष्ट्रपति श्री शी जिन पिंग की यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य सीमा विवाद को निपटाने पर चर्चा की गई थी, साथ ही 16 विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। निःसंदेह चीनी राष्ट्रपति की इस यात्रा से आपसी भाईचारे की भावना का विकास हुआ है, किंतु दोनों देशों के संबंध अभी भी संदेह के वातावरण में ही आगे बढ़ रहे हैं।

भारत-नेपाल संबंध यदि पाकिस्तान और चीन को छोड़ दें, तो भारत के संबंध अपने अन्य सभी पड़ोसी देशों के प्रति काफ़ी अच्छे हैं। बात अगर नेपाल की करें, तो नेपाल के साथ भारत के संबंध बहुत ही अच्छे हैं। उत्तर में नेपाल की सीमा चीन से लगती है, अन्य सभी ओर से यह भारत से घिरा हुआ है। प्राचीनकाल से ही नेपाल और भारत में सांस्कृतिक रूप से बहुत अधिक समानताएँ रही हैं। संभवतः इस कारण दोनों के मध्य कभी कोई विशेष विवाद नहीं रहा और भारत ने सदैव ही नेपाल के विकास में एक अच्छे पड़ोसी की तरह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत ही सर्वप्रथम वह राष्ट्र था, जिसने नेपाल में आए भयानक भूकंप से भीषण नुकसान के समय अपनी सेना को वहाँ भेजकर उसे सहायता प्रदान की। भारत हमेशा एक अच्छे पड़ोसी के रूप में नेपाल के साथ खड़ा दिखाई दिया है।

भारत-बांग्लादेश संबंध भारत के पूर्व में स्थित बांग्लादेश पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। यह पहले पाकिस्तान का ही हिस्सा था, लेकिन पाकिस्तान सरकार के तानाशाही रवैये के कारण तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को दमन का शिकार होना पड़ा। उस समय बहुत सारे बांग्लादेशियों ने भारत में शरण ली, तब मजबूरन भारत को सैन्य हस्तक्षेप करना पड़ा। भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और अंतर्राष्ट्रीय जगत के सम्मिलित प्रयासों द्वारा 6 दिसंबर, 1971 को बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल बँटवारा, भारत में रहने वाले प्रवासी बांग्लादेशी, भारत-बांग्लादेश सीमा रेखा इत्यादि जैसे कुछ विवादित मुद्दे हैं, लेकिन इन्हें बातचीत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। आशा है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच संबंध निश्चित तौर पर बेहतर ही होंगे।

भारत-भूटान संबंध ऐतिहासिक रूप से देखा जाए, तो भारत और भूटान के संबंध काफ़ी घनिष्ठ रहे हैं। अगस्त, 1949 में दोनों देशों ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके अंतर्गत दोनों देश पारस्परिक रूप से शांति बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

भूटान भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश है, इसलिए जून, 2014 में वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान को चुना। उनकी इस यात्रा का उद्देश्ये पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना था। इस दौरान उन्होंने भूटान के उच्चतम न्यायालय परिसर का उद्घाटन किया और भूटान को सूचना प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल क्षेत्र में सहयोग देने का वादा किया। निश्चित रूप से आने वाले समय में भूटान के साथ हमारा रिश्ता और गहरा होगा।

भारत-म्यांमार संबंध भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम राज्यों से सटा म्यांमार भारत के पूर्व में स्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण म्यांमार भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। ऐतिहासिक रूप से भारत और म्यांमार काफ़ी करीबी देश रहे हैं। वर्ष 1948 में म्यांमार की स्वतंत्रता के पश्चात् भारत ने म्यांमार के साथ मज़बूत सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंध स्थापित किए। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर, 2014 में आसियान एवं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान म्यांमार जाकर दोनों देशों की मित्रता को और सुदृढ़ किया है। आशा है कि भविष्य में हम एक-दूसरे के और नज़दीक हो सकेंगे।

भारत-श्रीलंका संबंध हिंद महासागर में स्थित श्रीलंका भारत के दक्षिण में स्थित है। पाक जलडमरूमध्य, दोनों राष्ट्रों के मध्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा है। साधारणत: श्रीलंका और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं, लेकिन श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान भारतीय हस्तक्षेप से दोनों देशों के संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए।

भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या में ‘लिट्टे’ (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम) की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने के कारण श्रीलंका के साथ भारत का संबंध कमज़ोर पड़ गया, हालाँकि बाद में दोनों देशों के संबंध सुधरने शुरू हुए। बीते दशक (वर्ष 2001-10) में दोनों देशों के संबंधों में गुणात्मक और मात्रात्मक परिवर्तन आया है। राजनीतिक संबंधों के साथ-साथ व्यापार, निवेश, रक्षा आदि क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय संबंध मज़बूत हुए हैं।

भार-मालदीव संबंध श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित मालदीव 1,200 से अधिक छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है। हिंद महासागर में स्थित यह देश सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसलिए भारतीय विदेश नीति में मालदीव को विशेष स्थान प्राप्त है। वर्ष 1966 में मालदीव की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत ने मालदीव के साथ दृढ़ सांस्कृतिक, आर्थिक एवं रक्षा संबंध स्थापित किए हैं। वर्तमान समय में भारत मालदीव को विभिन्न क्षेत्रों में वित्तीय सहायता प्रदान करके उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

भारत-अफगानिस्तान संबंध पारंपरिक रूप से भारत और अफगानिस्तान के बीच मज़बूत और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले कुछ दशकों से अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक रहा है। तालिबानी आतंकवादी हमारे दो राजनयिकों की हत्या कर चुके हैं। वर्ष 2013 में आतंकवादियों ने अफगानिस्तान में रह रही भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी को भी अपना शिकार बनाया था। भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश है, जिसने तालिबान के उन्मूलन के लिए किए गए सोवियत रूस के सैन्य अभियान का समर्थन किया था। इस समय भारत, अफगानिस्तान के विकास के लिए मानवतावादी दृष्टिकोण पर उसे आर्थिक और सैन्य सहायता उपलब्ध करा रहा है और उसके पुनर्निर्माण के लिए सबसे अधिक प्रतिबद्ध है।

उपसंहार यदि सभी पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंधों की समीक्षा की जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान और चीन के अतिरिक्त अन्य सभी देशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। भारत दक्षिण एशिया का एक प्रभावशाली राष्ट्र है, लेकिन वह अपने पड़ोसी देशों के साथ मधुर व्यवहार करता है।

(ख) मनोरंजन की दुनिया

भूमिका एक समय था जब मनोरंजन के लिए लोग शिकार खेला करते थे। सभ्यता में विकास के बाद दूसरे खेल लोगों के मनोरंजन के साधन बनें। आज भी खेल मनोरंजन के प्रमुख साधन हैं, किंतु आजकल खेलों को प्रत्यक्ष रूप से देखने की बजाय किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से देखने वालों की संख्या बढ़ी है। इस समय टेलीविज़न, रेडियो, कंप्यूटर एवं इंटरनेट मनोरंजन के प्रमुख एवं हाईटेक साधन हैं। आइए, मनोरंजन के इन हाईटेक साधनों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

टेलीविज़न टेलीविज़न आजकल लोगों के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बन चुका है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि टेलीविज़न पर हर आयु वर्ग के लोगों के लिए कार्यक्रम मौजूद हैं। गृहिणियाँ कुकिंग सहित सास-बहुओं पर आधारित टीवी शो देख सकती हैं। बच्चे कार्टून कार्यक्रम सहित तमाम तरह के गीत-संगीत पर आधारित रियलिटी शो देख सकते हैं। पुरुष न्यूज़ चैनलों के साथ-साथ क्रिकेट मैचों का प्रसारण देख सकते हैं। बुजुर्ग लोग समाचारों, धारावाहिकों के अलावा धार्मिक चैनलों पर सत्संग एवं प्रवचन का आनंद ले सकते हैं।

रेडियो आधुनिक काल में रेडियो मनोरंजन का एक प्रमुख साधन बनकर उभरा है। रेडियो पर गीत-संगीत के अलावा सजीव क्रिकेट कमेंटरी श्रोताओं को आनंदित करती है, परंतु जब से एफएम चैनलों का पदार्पण भारत में हुआ है, रेडियो की उपयोगिता और बढ़ गई है। आजकल लोग मोबाइल फ़ोन के माध्यम से विभिन्न एफएम स्टेशनों को सुनने का आनंद उठाते हैं। रेडियो मिर्ची, रेड एफएम, रेडियो सिटी, रेडियो म्याऊँ इत्यादि चर्चित एफएम स्टेशन हैं। ये श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन कर रहे हैं। आज एफ़एम प्रसारण दुनियाभर में रेडियो प्रसारण का पसंदीदा माध्यम बन चुका है। इसका एक कारण इससे उच्च गुणवत्तायुक्त स्टीरियोफ़ोनिक आवाज़ की प्राप्ति भी है। शुरुआत में इस प्रसारण की देशभर में कवरेज केवल 30% थी, किंतु अब इसकी कवरेज बढ़कर 60% से भी अधिक जा पहुँची है।

कंप्यूटर एवं इंटरनेट आधुनिक मनोरंजन के साधनों में कंप्यूटर एवं इंटरनेट का स्थान अग्रणी है। भारतीय युवाओं में इनका प्रयोग तेज़ी से बढ़ा है। इंटरनेट को तो कोई जादू, कोई विज्ञान को चमत्कार, तो कोई ज्ञान का सागर कहता है। आप इसे जो भी कहिए, किंतु इस बात में कोई संदेह नहीं कि सूचना क्रांति की देन यह इंटरनेट न केवल मानव के लिए अति उपयोगी साबित हुआ है, बल्कि संचार में गति एवं विविधता के माध्यम से इसने दुनिया को बिलकुल बदलकर रख दिया है। इंटरनेट ने सरकार, व्यापार और शिक्षा को नए अवसर दिए हैं। सरकारें अपने प्रशासनिक कार्यों के संचालन, विभिन्न कर प्रणाली, प्रबंधन और सूचनाओं के प्रसारण जैसे अनेकानेक कार्यों के लिए इंटरनेट का उपयोग करती हैं। कुछ वर्ष पहले तक इंटरनेट व्यापार और वाणिज्य में प्रभावी नहीं था, लेकिन आज सभी तरह के विपणन और व्यापारिक लेन-देन इसके माध्यम से संभव हैं। इंटरनेट पर आज पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं, रेडियो के चैनल उपलब्ध हैं और टेलीविज़न के लगभग सभी चैनल भी मौजूद हैं। इंटरनेट के माध्यम से मीडिया हाउस ध्वनि और दृश्य दोनों माध्यमों के द्वारा ताज़ातरीन ख़बरें और मौसम संबंधी जानकारियाँ हम तक आसानी से पहुँचा रहा है। नेता हो या अभिनेता, विद्यार्थी हो या शिक्षक, पाठक हो या लेखक, वैज्ञानिक हो या चिंतक, सबके लिए इंटरनेट उपयोगी साबित हो रहा है।

सिनेमा बात मनोरंजन के आधुनिक साधनों की हो या पूर्व साधनों की, यह सिनेमा के बिना अधूरी है। सिनेमा पहले भी लोगों के मनोरंजन का एक शक्तिशाली माध्यम था और आज भी है। आज पारिवारिक एवं हास्य से भरपूर फ़िल्में दर्शकों को स्वस्थ मनोरंजन कर रही हैं। एक व्यक्ति तनावपूर्ण वातावरण से निकलने एवं मनोरंजन के लिए सिनेमा का रुख करता है। हालाँकि वर्तमान समय में बहुत-सी फ़िल्में हिंसा एवं अश्लीलता का भौंडा प्रदर्शन भी करती हैं, किंतु इन जैसी खामियों को दरकिनार कर दें, तो सिनेमा दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन ही करता है। अभिनेता शाहरुख खान के शब्दों में-“भारत में सिनेमा सिर्फ मनोरंजन के तौर पर नहीं देखा जाता, बल्कि सिनेमा देखना यहाँ जीने का तरीका है।”

उपसंहार इस प्रकार देखा जाए, तो मनोरंजन के इन सभी हाईटेक साधनों से न सिर्फ हमारा मनोरंजन होता है, बल्कि ये हममें ज्ञान का विस्तार करने में भी सहायक हैं। इनकी सहायता से हम कठिन-से-कठिन विषयों को भी बड़ी सुगमता के साथ कम समय में ही ठीक प्रकार से समझ लेते हैं। अतः हमें जीवन की एकरसता दूर करने व मानसिक स्फूर्ति प्रदान करने हेतु मनोरंजन के तौर पर सीमित प्रयोग के साथ-साथ इन साधनों का प्रयोग अपने ज्ञान-विज्ञान को परिष्कृत किए जाने में करना चाहिए, तभी हम इसका अधिकाधिक लाभ ले सकेंगे और तब ये साधन हमारे लिए वरदान साबित होंगे।

(ग) विकास के पथ पर भारत

भूमिका मौजूदा समय में हम दावे के साथ कह सकते हैं कि भारत विश्व में आर्थिक जगत की एक महत्त्वपूर्ण शक्ति बन चुका है। अनेक वर्षों तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़े रहने के कारण विकसित देशों से टक्कर लेना इतना आसान नहीं था, लेकिन उदारीकरण एवं निजीकरण की नीतियों ने इसे संभव कर दिखाया और ऐसा इसलिए हो सका, क्योंकि हमने अपनी विशाल जनसंख्या को ही अपने विकास का एक कारगर हथियार बना लिया।

अधिक जनसंख्या का एक अर्थ अधिक-से-अधिक उपभोक्ता एवं उत्पादन से भी अधिक प्रक्रिया में कम मजदूरी लागत से भी जुड़ा हुआ है और यही हमारी आर्थिक सफलता का एक मजबूत स्तंभ बना। आज भारत 1 अरब 21 करोड़ की आबादी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।

भारत की उदारीकरण की नीति वर्ष 1991-92 में प्रारंभ की गई उदारीकरण की नीति ने भारत को विदेशी निवेश के क्षेत्र में एक सुदृढ़ स्तंभ की तरह खड़ा किया। भारत में विदेशी निवेश के लिए वातावरण अत्यंत अनुकूल बना और भारत ने आर्थिक क्षेत्र में एक नई करवट ली। देश ने पिछले कुछ वर्षों से निरंतर उच्च आर्थिक विकास दर बनाए रखी। घरेलू बाजार अत्यंत व्यापक होने के कारण ही विश्व व्यापार में पिछले दिनों व्याप्त आर्थिक मंदी का भी भारत पर अधिक प्रभाव देखने को नहीं मिला।

महाशक्ति के रूप में भारत वर्ष 2009 में भारत-अमेरिका के बीच संपन्न परमाणु समझौता वास्तव में भारत की बढ़ती वैश्विक शक्ति पर विश्व महाशक्ति द्वारा लगाई गई मुहर थी। भारत अब विश्व की महाशक्ति के सामने याचक की भूमिका में नहीं, बल्कि बराबरी के स्तर पर खड़ा हो गया। पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पाँचों स्थायी सदस्य देशों-अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस एवं ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत का दौरा किया तथा अनेक महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापारिक एवं कारोबारी समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता के लिए जोरदार कूटनीतिक प्रयास कर रहा है और इस रणनीति में उसे चीन को छोड़कर विश्व की सभी प्रमुख शक्तियों का समर्थन मिल रहा है।

औद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के अतिरिक्त कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं बीपीओ के क्षेत्र में अत्यधिक ख्याति प्राप्त हुई है। इनसैट उपग्रह प्रणाली के कारण देश में लगभग 25 हजार से भी अधिक लघु एपर्चर टर्मिनल (वी-सैट) काम कर रहे हैं, जिससे टेलीविजन प्रसारण एवं पुनर्वितरण को काफी लाभ हुआ है। इनसैट के कारण भारत में 1400 से अधिक स्थलीय पुनर्प्रसारण ट्रांसमीटरों से टेलीविज़न की पहुँच अधिक जनसंख्या तक हो गई है। शिक्षा के प्रसार के लिए विशेष उपग्रह एडुसैट (एजुकेशन थू सैटेलाइट) का भी प्रक्षेपण किया गया है। हाल ही में भारत के मंगल अभियान को मिली सफलता ने देश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी बढ़त दिलाई है।

औद्योगिक क्षेत्र में भारत की भागीदारी भारतीय औद्योगिक घराने अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी कंपनियों को खरीदकर दुनिया के बड़े कारोबारी समूह बन गए हैं। लक्ष्मी निवास मित्तल विश्व के सबसे बड़े स्टील उत्पादक हैं, तो मुकेश अंबानी का नाम विश्व के सर्वोच्च पाँच धनी व्यक्तियों की सूची में लगभग प्रत्येक वर्ष शामिल रहा है। टाटा स्टील ने अपने आकार से लगभग छह गुना बड़ी कंपनी ‘कोरस’ को खरीद लिया, तो टाटा मोटर्स ने विश्व प्रसिद्ध ब्रांड जगुआर लैंड रोवर को खरीदकर इसे फोर्ड एवं बीएमडब्ल्यू की प्रतियोगिता में ला खड़ा किया।

एक तरफ बिड़ला की कंपनी ‘नोविलिस’ को खरीदकर वैश्विक एल्युमीनियम कंपनी बन गई, तो दूसरी तरफ दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल प्रमुख १५ अफ्रीकी देशों में दूरंसचार सेवा प्रदान करने लगी। टाटा की ‘नैनो’ ने भारत को दुनियाभर में लोकप्रिय एवं चर्चित बना दिया, तो बजाज ने भी ‘रेनॉल्ट निसान’ के साथ मिलकर ‘नैनो’ को टक्कर देने की तैयारी की। इस संदर्भ में विशेष उल्लेखनीय तथ्य यह रहा कि इस कार के लिए शोध एवं विकास की जिम्मेदारी ‘बजाज’ की रही, ‘रेनॉल्ट निसान’ की नहीं। यह एक नई बात है और इसने पश्चिम के साथ भारत के प्रौद्योगिकी संबंधों को उलट कर रख दिया।

उपसंहार भारत की वैश्विक प्रगति को देखकर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत ने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात की दृष्टि से दूसरे देशों में निवेश करने के मामले में विश्व कीर्तिमान कायम किया है। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से देश के आर्थिक विकास को और भी तीव्रता मिलने के आसार हैं। भारत के आर्थिक विकास और प्रौद्योगिकी विकास से अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव में वृद्धि हुई है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों एवं वार्ताओं में भारत की बातों को पूरी गंभीरता के साथ सुना एवं समझा जाता है। निश्चित रूप से भारत निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।

(घ) नारी-सशक्तीकरण

भूमिका वर्तमान समय में देश में नारियों का एक ऐसा भी वर्ग है, जो शिक्षित, सजग और जागरूक है। उसे अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए पुरुष रूपी बैसाखी की आवश्यकता नहीं है, उसे अपने अधिकार और सामर्थ्य का पूर्ण ज्ञान है। समाज में महिलाओं की प्रस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि ही महिला सशक्तीकरण है। महिला, जिसे कभी मात्र भोग एवं संतान उत्पत्ति का माध्यम समझा जाता था, आज पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़ी है। ज़मीन से आसमान तक कोई क्षेत्र अछूता नहीं है, जहाँ महिलाओं ने अपनी जीत का परचम न लहराया हो।

प्राचीन समय में नारियों की स्थिति भारतीय समाज में भी प्राचीन नीतिकारों ने स्त्रियों को पिता, पति या पुत्र अर्थात् किसी-न-किसी पुरुष के संरक्षण में रहने की वकालत की है। हमारे धर्मशास्त्रों में भी प्राप्ते तु दसम् वर्षे, यस्तु कन्या न यच्छसि’ अर्थात् दसवें वर्ष में पहुँचते ही लड़की का विवाह कर देना चाहिए जैसी कुंठित भावनाओं से ग्रसित पुरुष मानसिकता वाली शिक्षाएँ यत्र-तत्र देखने को मिल जाती हैं। सच तो यह है कि पुरुष प्रधान मानसिकता ने स्त्रियों को स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में स्वीकार ही नहीं किया। यहाँ तक कि तथाकथित लोकतांत्रिक एवं आधुनिक मूल्यों वाले पश्चिमी समाज में भी स्त्रियों को लगभग वर्ष 1920 तक ‘व्यक्ति की श्रेणी में शामिल नहीं किया गया।

जहाँ समाज की आधी आबादी को ‘व्यक्ति को दर्जा ही प्राप्त न हो, वहाँ उसके साथ ‘व्यक्ति’ जैसे व्यवहार की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? फलस्वरूप स्त्रियों को केवल एक ‘अवैतनिक श्रमिक’ एवं ‘उपभोग की वस्तु के रूप में देखा गया। ‘मनुष्यता’ की अपेक्षा एक मनुष्य के प्रति हो सकती है, एक वस्तु के प्रति नहीं, इसलिए कभी समाज ने उसे ‘नगर वधू’ बनाया, तो कभी ‘देवदासी’, कभी चाहरदीवारी में कैद रहने वाली कुलीन मर्यादापूर्ण ‘घर की बहू’ बनाया, तो कभी बाज़ार में बिकने वाली ‘वेश्या’| पुरुष मानसिकता ने कभी भी उसे एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में नहीं देखा।

नारी मुक्ति आंदोलन फ्रांस से प्रारंभ ‘नारी मुक्ति आंदोलन (Feminist Movement)’ ने स्त्रियों को जीवन की एक नई परिभाषा प्रदान की, उन्हें पुरुषों का सहचर बनने की प्रेरणा दी तथा अपनी स्वतंत्रता एवं अधिकारों के साथ खुलकर गरिमापूर्ण जीवन जीने की सीख दी। घर से बाहर निकलने एवं कामकाज करने वाली स्त्री, घरेलू स्त्रियों से अलग अपनी एक भाषा चाहती है, एक संस्कृति चाहती है, एक परिवेश चाहती है और इसे हासिल करने के लिए संघर्ष भी करना चाहती है, इसलिए पुरुषों की दुनिया में खलबली है। कई बार पुरुषों ने स्त्रियों की ज्यादती की भी शिकायतें कीं। यह संभव है कि कुछ अति उत्साही स्त्रियाँ अपनी स्वतंत्रता का अनुचित इस्तेमाल करती हों, उन्हें यह पता नहीं कि ‘स्वतंत्रता हमेशा प्रतिमानों में निहित होती है, लेकिन ऐसी स्त्रियाँ कितनी हैं? एक प्रतिशत भी नहीं, जबकि दूसरी तरफ़ प्रताड़ना देने वाले पुरुष कितने हैं, संभवतः 50% से भी अधिक। आज के क्रांतिकारी दर्शन; जैसे-नारीवाद, पर्यावरणवाद, मानवाधिकार आदि पुरुष वर्चस्व वाली सत्ता को चुनौती देते हैं। स्त्री यह काम बेहतर ढंग से कर सकती है, क्योंकि वह सत्ता एवं सत्ताहीनता के अधिकतम रूपों को जानती है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में अन्य प्रयास, ‘महिला दिवस’ के आयोजन को माना जाता है, जिसकी शुरुआत अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर पहली बार 28 जनवरी, 1909 को की गई, जिसे बाद में फरवरी महीने के अंतिम रविवार को आयोजित किया जाने लगा। आगे चलकर वर्ष 1917 में रूस की महिलाओं ने महिला दिवस’ पर रोटी एवं कपड़े के लिए हड़ताल की। रूस के तानाशाह शासक जार ने सत्ता छोड़ी और बोल्शेविक क्रांति के बाद सत्ता में आई अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया।

उस समय तत्कालीन रूस में जूलियन कैलेंडर का प्रचलन था, जबकि शेष विश्व में ग्रेगेरियन कैलेंडर प्रचलित था। दोनों कैलेंडरों की तारीखों में भिन्नता थी| जूलियन कैलेंडर के अनुसार, वर्ष 1917 में फरवरी महीने का अंतिम रविवार 23 फरवरी को था, जबकि ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार, वह दिन 8 मार्च था, चूँकि वर्तमान समय में पूरे विश्व में (रूस में भी) ग्रेगेरियन कैलेंडर प्रचलित है, इसलिए आज विश्वभर में 8 मार्च को महिला दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, लेकिन केवल महिला दिवस का आयोजन करना तब तक सार्थक नहीं हो सकता, जब तक महिलाओं के प्रति सामाजिक सोच एवं संस्कृति में सकारात्मक परिवर्तन न लाया जाए।

नारी सशक्तीकरण के लिए उठाए गए कदम भारतीय समाज में भी अन्य प्रगतिशील समाजों की तरह महिलाओं की स्थिति को ऊँचा उठाने के लिए कई प्रभावकारी कदम उठाए गए।

वर्ष 2010 में देश की संसद और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने संबंधी विधेयक राज्यसभा ने तो पारित कर दिया, पर लोकसभा ने अभी इसे पारित नहीं किया है। महिलाओं की स्थिति को ऊँचा उठाने के लिए किए गए अनेक प्रावधानों के अंतर्गत एक महत्त्वपूर्ण अधिनियम घरेलू हिंसा सुरक्षा अधिनियम, 2005 है, जिसमें सभी प्रकार की हिंसा-शारीरिक, मानसिक, दहेज संबंधी प्रताड़ना, कामुकता संबंधी दुर्व्यवहार आदि से महिलाओं के बचाव के उपाय किए गए हैं, लेकिन लिंग के आधार पर सबसे अधिक योगदान ‘पर्सनल लॉ’ में विद्यमान है, इसलिए समान सिविल संहिता (Uniform Civil Code) अपनाने की आवश्यकता है।

आज 21वीं शताब्दी में ‘जेंडर न्याय’ (Gender Justice) की दिशा में बहुत कुछ हासिल किया गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। नारीवादी या नारी मुक्ति आंदोलन आज ‘ईको-फेमिनिज्म’ की अवधारणा को आगे बढ़ा रहा है, जिसे वंदना शिवा तथा मारिया माइस नामक नारीवादियों ने विकसित किया है। इस अवधारणा के अंतर्गत यह स्वीकार किया जाता है कि जिस प्रकार प्रकृति पुनरुत्पादन का कार्य करती है, ठीक वैसे ही स्त्री भी पुनरुत्पादन की प्रक्रिया को संपन्न करती है। ऐसी स्थिति में हमें इस सभ्यता एवं संस्कृति के अंतर्गत सबसे अधिक महत्त्व स्त्री समुदाय को देना चाहिए और उसकी पुनरुत्पादन की क्षमता की पूजा करनी चाहिए, जो सभ्यता एवं संस्कृति के अस्तित्व के लिए अपरिहार्य है, लेकिन आज हम उसके इसी महान् नैसर्गिक वरदान को अभिशाप के रूप में परिवर्तित करने की कोशिश करते हैं, फलस्वरूप आज कितनी ही स्त्रियाँ पुरुषों की क्रूरता का शिकार हो रही हैं बलात्कार एक शारीरिक प्रताड़ना से अधिक मानसिक प्रताड़ना है।

उपसंहार आज की स्त्री न केवल पुरुषों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलना चाहती है, बल्कि वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बहुत आगे तक जाना चाहती है, जहाँ उन्मुक्तता, सृजन एवं सबलता का अहसास हो, जहाँ उसकी प्रतिभा की पहचान हो और जहाँ उसके व्यक्तित्व का निर्माण हो। आज आवश्यकता है भारत की एक-एक नारी को ‘सुभाषचंद्र बोस’ की इस पंक्ति से प्रेरणा लेने की-“ऐसा कोई भी कार्य नहीं, जो हमारी महिलाएँ नहीं कर सकतीं।”

उत्तर 4.

सेवा में
मुख्य अभियंता,
लोक निर्माण विभाग,
दिल्ली।

दिनांक 15 अप्रैल, 20××

विषय सड़कों के रख-रखाव हेतु।

महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मैं राम प्रसाद, झड़ौदा गाँव का निवासी हूँ। महोदय, निकट के शहर से हमारे गाँव को जो सड़क जोड़ती है। उसका अभी कुछ ही दिनों पूर्व लोक निर्माण विभाग की ओर से निर्माण करवाया गया था। सड़क का उचित रख-रखाव न करने के कारण सड़क पर दोनों ओर गंदगी फैली रहती है, लोग अपने घर का कूड़ा वहाँ डालने लगे हैं। इसके अतिरिक्त सड़क भी बीच-बीच में कई जगहों से टूट गई है, जिससे आने-जाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

अत: महोदय मेरा आपसे अनुरोध है कि सड़क पर कूड़ा डालने वाले लोगों को चेतावनी देकर वहाँ पर कूड़ा न डालने का निर्देश दिया जाए और सड़क का पुनः निर्माण करके उसे उपयोग करने के लायक बनाया जाए।

अतः आशा है कि आप मेरे इस पत्र द्वारा प्राप्त सूचना पर शीघ्रातिशीघ्र कदम उठाएँगे।

धन्यवाद!
भवदीय
राम प्रसाद
झड़ौदा गाँव

अथवा

सेवा में,
प्रबंधक महोदय,
स्टार हेवन होटल,
नैनीताल, उत्तराखंड

दिनांक 20 अप्रैल, 20××

विषय होटल में कमरे आरक्षित करवाने हेतु।

महोदय,

मैं जय प्रकाश खुराना, दिल्ली का निवासी हूँ। महोदय, मैंने आपके होटल की आवभगत के विषय में बहुत प्रशंसा सुनी है इसी कारण मैं और मेरा परिवार दिनांक 15 मई, 20XX से 17 मई, 20XX तक नैनीताल में पर्यटन के उद्देश्य से आ रहे हैं, इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप 15 और 16 मई, 20×× की दिनांक के लिए मेरे नाम से दो कमरे आरक्षित कर दीजिए।

धन्यवाद।
भवदीय जय
प्रकाश खुराना
दिल्ली

उत्तर 5.
(क) संचार के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है।

  1. यह देश-विदेश में घटने वाली सूचनाओं के प्रसार का साधन है।
  2. यह शिक्षा प्राप्ति का भी माध्यम है।।

(ख) “समाचार’ का अंग्रेज़ी पर्याय NEWS चारों दिशाओं को संकेतित करता है। अपने आस-पास के समाज एवं देश-दुनिया की घटनाओं के विषय में तात्कालिक एवं नवीन जानकारी, जो पक्षपात रहित एवं सत्य हो, समाचार कहलाती है।

(ग) ‘इंटरनेट’ पत्रकारिता के दो लाभ निम्नलिखित हैं।

  1. इंटरनेट पत्रकारिता के द्वारा कुछ ही क्षणों में समाचार को संशोधित किया जा सकता है।
  2. इंटरनेट पत्रकारिता द्वारा सूचनाओं को बहुत शीघ्रता से लोगों तक पहुँचाया जा सकता है।

(घ) ‘फ़ोन-इन’ कार्यक्रम रेडियो या टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले वे कार्यक्रम होते हैं, जिनमें किसी सामाजिक, सांस्कृतिक या जागरूकतापरक कार्यक्रम में दर्शकों को फ़ोन करके जानकारी ग्रहण करने या अपना विचार प्रस्तुत करने का अधिकार होता है।

(ङ) किसी घटना के संदर्भ में क्या, कहाँ, कब, कैसे, क्यों और कौन समाचार लेखन के छः ककार हैं। कोई भी समाचार मूलतः इन्ही प्रश्नों का उत्तर प्रस्तुत करता है।

उत्तर 6.
मनुष्य और प्रकृति में गहरा संबंध रहा है। मानव अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूर्णतः प्रकृति पर ही निर्भर है। वन संपदा भी प्रकृति की एक अद्भुत और अत्यंत उपयोगी देन है।

वन तथा पेड़-पौधे पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोख कर, उसे प्राणदायिनी ऑक्सीजन में बदलते हैं। वृक्षों का प्रत्येक अंग-फल, फूल, पत्तियाँ, छाल यहाँ तक कि जड़ भी उपयोगी है। इनसे हमें स्वादिष्ट फलों के साथ-साथ जीवनरक्षक औषधियाँ भी मिलती हैं। वने बादलों को रोककर वर्षा कराने में सहायक सिद्ध होते हैं।

वन पर्यावरण को शुद्ध करते हैं। वनों से प्राप्त लकड़ियाँ भवन निर्माण और फर्नीचर बनाने के काम आती हैं। वन बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का कुप्रभाव कम करते हैं तथा मृदा अपरदन को रोकते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वन पर्यावरण को संतुलित कर सभी जीवों के अस्तित्व की रक्षा करते हैं।

वनों से होने वाले लाभों के कारण मनुष्य ने उनकी अंधाधुंध कटाई की है, जिसके कारण अनेक गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। इनमें मौसम में अचानक परिवर्तन होना, कृषि का प्रभावित होना, अनेक वनस्पतियों तथा जीव-जंतुओं की प्रजातियों का लुप्त होना, पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होना, हिमनदों का पिघलना, समुद्री जल स्तर में वृद्धि इत्यादि प्रमुख हैं।

मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तथा विकास के लिए वन संपदा का प्रयोग करता है, इसलिए हमें यह बात समझनी होगी कि विकास और पर्यावरण एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि वृक्ष ही न रहें, तो संपूर्ण मानव जगत का अस्तित्व ही मिट जाएगा। यह भी सही है कि विकास के लिए वृक्ष काटना आवश्यक है। इसके लिए हमें वृक्षारोपण को अपना कर्तव्य समझ, इसका पालन करना चाहिए। इसके साथ ही हमें सतत पोषणीय विकास की विचारधारा को अपनाना चाहिए।

अथवा

स्वच्छता हर एक की पहली और प्राथमिक ज़िम्मेदारी होनी चाहिए। सभी को ये समझना चाहिए कि भोजन और पानी की तरह ही स्वच्छता भी अति आवश्यक है, बल्कि हमें स्वच्छता को भोजन और पानी से ज़्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए। हम केवल तभी स्वस्थ रह सकते हैं, जब हम सब कुछ बहुत सफाई और स्वास्थ्यकर तरीके से लें। बचपन सभी के जीवन का सबसे अच्छा समय होता है, जिसके दौरान स्वच्छता की आदत में कुशल हो सकते हैं। जैसे चलना, बोलना, दौड़ना, पढ़ना, खाना आदि अभिभावक के नियमित निगरानी और सतर्कता में होते हैं, वैसे बच्चों में स्वच्छता की आदत का विकास होना चाहिए। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ एक राष्ट्र स्तरीय अभियान है। गाँधीजी की 145वीं जयंती के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान के आरंभ की घोषणा की। यह अभियान प्रधानमंत्री जी की महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। 2 अक्टूबर, 2014 को मोदी जी ने राजपथ पर जनसमूह को संबोधित करते हुए सभी राष्ट्रवासियों से स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेने और इसे सफल बनाने की अपील की। साफ-सफाई के संदर्भ में देखा जाए, तो यह अभियान अब तक का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान है।

आज पूरी दुनिया में भारत की छवि एक गंदे देश की है। जब-जब भारत की अर्थव्यवस्था, तरक्की, ताकत और प्रतिभा की बात होती है, तब इस बात की भी चर्चा होती है कि भारत एक गंदा देश है। पिछले ही वर्ष हमारे पड़ोसी देश चीन के कई ब्लॉगों पर गंगा में तैरती लाशों और भारतीय सड़कों पर पड़े कूड़े के ढेर वाली तस्वीरें छाई रहीं। वर्तमान समय में स्वच्छता हमारे लिए एक बड़ी आवश्यकता है, इसलिए हमें जीवन में स्वच्छता के महत्त्व और जरूरत के बारे में जागरूक होना बेहद आवश्यक है। हजारों जीवन को बचाने और उन्हें स्वस्थ जीवन देने के लिए हम सभी को मिलकर स्वच्छता की ओर कदम बढ़ाने की ज़रूरत है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक अभियान चलाया, जिसे ‘स्वच्छ भारत’ अभियान कहा गया। भारतीय नागरिक के रूप में हम सभी को इस अभियान के उद्देश्य और लक्ष्य को पूरा करने में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।

उत्तर 7.
कन्या भ्रूण-हत्या आज एक ऐसी अमानवीय समस्या का रूप धारण कर चुकी है, जो कई और गंभीर समस्याओं की भी जड़ है। इसके कारण महिलाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन घट रही है। वर्ष 2011 की जनगणना में प्रति हज़ार पुरुषों पर 940 महिलाएँ पाई गईं। सामाजिक संतुलन के दृष्टिकोण से देखें, तो यह वृद्धि भी पर्याप्त नहीं है। वर्ष 2011 में हरियाणा में प्रति हज़ार लड़कों पर केवल 834 लड़कियाँ थीं, किंतु वर्ष 2013 में लड़कियों की यह संख्या थोड़ी बढ़कर 900 तक जा पहुँची। इन आँकड़ों को देखकर हम यह सोचने के लिए विवश हो जाते हैं कि क्या हम वही भारतवासी हैं, जिनके धर्मग्रंथ ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवताः’ अर्थात् जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का वास होता है, जैसी बातों से भरे पड़े हैं। संसार का हर प्राणी जीना चाहता है और किसी भी प्राणी के प्राण लेने का अधिकार किसी को भी नहीं है, पर अन्य प्राणियों की बात कौन करे, आज तो बेटियों की जिंदगी कोख में ही छीनी जा रही है।

भारत में कन्या भ्रूण-हत्या के कई कारण हैं। प्राचीनकाल में भारत में महिलाओं को भी पुरुषों के समान शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध थे, किंतु विदेशी आक्रमणों एवं अन्य कारणों से महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से वंचित किया जाने लगा तथा समाज में पर्दा प्रथा और सती प्रथा जैसी कुप्रथाएँ व्याप्त हो गईं। महिलाओं को शिक्षा के अवसर उपलब्ध नहीं होने का कुप्रभाव समाज पर भी पड़ा। लोग महिलाओं को अपने सम्मान का प्रतीक समझने लगे। धार्मिक एवं सामाजिक रूप से पुरुषों को अधिक महत्त्व दिया जाने लगा एवं महिलाओं को घर की चाहरदीवारी तक ही सीमित कर दिया गया। इसके कारण संतान के रूप में नर शिशु की कामना करने की गलत परंपरा समाज में विकसित हुई। भारत में वर्ष 2004 में लिंग चयन प्रतिवेद अधिनियम (पीसीपीएनडीटी; प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डाइग्नोस्टिक टेक्निक एक्ट) लागू कर भ्रूण-हत्या को अपराध घोषित कर दिया गया। इसके बाद भी कन्या भ्रूण-हत्या पर नियंत्रण नहीं हो सका है। लोग चोरी-छिपे एवं पैसे के बल पर इस कुकृत्य को अब भी अंजाम देते हैं। कन्या भ्रूण-हत्या एक सामाजिक अभिशाप है और इसको रोकने के लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर ही इस कुकृत्य को रोका जा सकता है। आवश्यकता बस इस बात की है कि जनता भी अपने कर्तव्यों को समझते हुए कन्या भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक कलंक को मिटाने में समाज का सहयोग करे। सच ही कहा गया है।

‘आज बेटी नहीं बचाओगे, तो कल माँ कहाँ से पाओगे?’

अथवा

बेमेल विवाह एक सामाजिक अभिशाप है। इसकी रोकथाम के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को आगे आना चाहिए। लोगों को जागरूक होकर इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। बेमेल विवाह का सबसे बड़ा कारण लिंगभेद और अशिक्षा : है। साथ ही, लड़कियों को महत्त्व न दिया जाना एवं उन्हें आर्थिक बोझ समझना भी इसके अन्य कारण हैं।

तीव्र आर्थिक विकास, बढ़ती जागरूकता और शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद भी अगर यह स्थिति है, तो स्पष्ट है कि बालिकाओं के अधिकारों और कल्याण की दिशा में अभी काफी कुछ किया जाना शेष है। क्या विडंबना है कि जिस देश में महिलाएँ राष्ट्रपति जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन हों, वहाँ बेमेल विवाह जैसी कुप्रथा के चलते बालिकाएँ अपने अधिकारों से वंचित कर दी जाती हैं। बेमेल विवाह न केवल बालिकाओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से, बल्कि उनके व्यक्तिगत विकास के दृष्टिकोण से भी खतरनाक है। शिक्षा जो कि उनके भविष्य को उज्ज्वल द्वार माना जाता है, हमेशा के लिए बंद भी हो जाता है। शिक्षा से वंचित रहने के कारण वे अपने बच्चों को शिक्षित नहीं कर पातीं।

कम उम्र में विवाह लगभग हमेशा लड़कियों को शिक्षा या अर्थपूर्ण कार्यों से वंचित करता है, जो उनकी निरंतर गरीबी का कारण बनता है। बेमेल विवाह लिंगभेद, बीमारी एवं गरीबी के भंवरजाल में फँसा देता है। जब वे शारीरिक रूप से परिपक्व न हों, उस स्थिति में कम उम्र में लड़कियों का विवाह कराने से मातृत्व संबंधी एवं शिशु मृत्यु की दरें अधिकतम होती हैं। बेमेल विवाह का दुष्परिणाम केवल व्यक्ति, परिवार को ही नहीं, बल्कि समाज और देश को भी भोगना पड़ता है। इससे जनसंख्या में वृद्धि होती है, जिससे विकास कार्यों में बाधा पड़ती है। जो भी हो इस कुप्रथा का अंत होना बहुत ज़रूरी है। वैसे हमारे देश में बेमेल विवाह रोकने के लिए कानून मौजूद है, लेकिन कानून के सहारे इसे रोका नहीं जा सकता। बेमेल विवाह एक सामाजिक समस्या है। अतः इसका निदान सामाजिक जागरूकता से ही संभव है। अतः समाज को आगे आना होगा तथा बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। आज युवा वर्ग को आगे आकर इसके विरुद्ध आवाज़ उठानी होगी और अपने परिवार व समाज के लोगों को इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए जागरूक करना होगा।

उत्तर 8.
(क) काव्यांश में अट्टालिकाएँ धनी एवं शोषक वर्ग के निवास स्थान के रूप में चित्रित की गई हैं। कवि कहता है कि इनमें समाज को अपने धन एवं सामर्थ्य के बल से आतंकित कर उसका शोषण करने और उसे दीन-हीन बना देने वाला धनी एवं सुविधाजीवी वर्ग रहता है, इसलिए ये अट्टालिकाएँ ‘आतंक-भवन’ का पर्याय हैं।

(ख) ‘पंक’ और ‘विप्लव’ शब्द यहाँ दुहरी अर्थ व्यंजना के साथ प्रयुक्त हुए हैं। कवि कहना चाहता है कि बादल जल के रूप में जो विप्लव उपस्थित करते हैं, उससे छोटे पौधे अर्थात् समाज का निम्न वर्ग लाभान्वित होता है। दूसरा अर्थ क्रांति से संबंधित है। समाज का छोटा अर्थात् शोषित, वंचित एवं निम्न वर्ग ही सामाजिक क्रांति का सूत्रधार बनता है और वही इसके फलस्वरूप हुए परिवर्तनों से लाभान्वित होता है।

(ग) काव्यांश में ‘जलज’ से अभिप्राय निम्न वर्ग से है, जिनके लिए कवि ने क्षुद्र अर्थात् ‘छोटे’ और प्रफुल्ल अर्थात् सदैव प्रसन्न रहने वाले विशेषणों का प्रयोग करके उनकी जिजीविषा को उजागर किया है।

(घ) काव्यांश में कवि यह स्पष्ट करना चाहता है कि समाज में होने वाली प्रत्येक क्रांति से सबसे अधिक निम्न वर्ग ही प्रभावित होता है। शोषक वर्ग की अट्टालिकाओं, जहाँ क्रांति से उत्पन्न भय के आवेश में वह रहता है, पर क्रांति का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता।

अथवा

(क) कवि ने काव्यांश में ‘तुम’ और ‘तुम्हारा’ सर्वनाम अपनी प्रियतमा के लिए प्रयुक्त किए हैं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि उसके भीतर व्याप्त कोमल भावनाएँ, प्यार, संवेदनाओं का कारण उसके अंदर की आत्मीयता एवं प्रेम का अक्षय स्रोत है, जिसे वह जितना बाहर निकालता है, वह उतना ही भरता जाता है। यह सब केवल उसको अपनी प्रियतमा से अत्यधिक प्रेम करने के कारण ही है।

(ख) उस ‘अनजान रिश्ते’ का कवि पर यह प्रभाव पड़ता है कि उसके प्रिय का प्रेम उसे अनंत निर्झर झरने के समान महसूस होता है, जिसका मीठा पानी अर्थात् प्रेम बार-बार उसे पूरी तरह भिगो देता है।

(ग) प्रस्तुत पंक्तियों से आशय यह है कि कवि अपनी प्रेयसी के प्रेम की गहराई को महसूस करते हुए उसकी यादों को झरने के समान अनुभव करता है, जिससे निरंतर प्रेम, स्नेह, आत्मीयता के भाव उत्पन्न होते रहते हैं।

(घ) काव्यांश में कवि की मनःस्थिति प्रेम के भावों से ओत-प्रोत है। उसके जीवन में घटने वाली घटनाएँ, खट्टे-मीठे अनुभव सभी उसकी अनजान प्रेयसी से संबंधित हैं, जो कवि के प्रेम में डूबे होने की पराकाष्ठा की मनःस्थिति को उजागर करते हैं।

उत्तर 9.
(क) काव्यांश रुबाई छंद में है। यह उर्दू और फ़ारसी भाषा का छंद है। इसमें चार पंक्तियाँ होती हैं। इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है तथा तीसरी पंक्ति स्वतंत्र होती है।

(ख) काव्याश में ‘चाँद के टुकड़े’ में रूपक अलंकार है, जिसमें महिला के बच्चे के रूप सौंदर्य को चाँद के टुकड़े के समान बताया गया है।

(ग) काव्याश की भाषा में तुकांतता और अलंकारों का सहज प्रयोग हुआ है, जिससे भाव सहजता से प्रकट होते हैं।

उत्तर 10.
(क) दिन जल्दी-जल्दी अर्थात् शीघ्रता से ढल रहा है। पथिक इसी कारण यह सोच रहा है कि रास्ते में ही कहीं रात न हो जाए इसलिए दिनभर का थका हुआ पथिक अपनी मंजिल तक शीघ्र पहुँचना चाहता है। पक्षियों की गति में तीव्रता का कारण यह है कि दिन को शीघ्रता से ढलता देखकर और यह ध्यान करके कि बच्चे दाना पाने और अपनी माँ के शीघ्र लौट आने की आस में घोंसलों से झाँक रहे। होंगे। इसके विपरीत कवि के मन में यह विचार आता है कि उसका अपना कोई भी नहीं है, जो घर में उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो इसलिए कवि की गति में शिथिलता आ जाती है।

(ख) ‘बात की चूड़ी मरने और उसे सहूलियत से बरतने’ से कवि का अभिप्राय यह है कि कथ्य के भाव या अभिव्यक्ति के अनुरूप ही माध्यम का चुनाव करना चाहिए। भाषा हमारे भावों को अभिव्यक्त करने का साधन या ज़रिया मात्र है। मूल बात कथ्य की स्पष्ट अभिव्यक्ति है, जो सहज भाषा के चुनाव और प्रयोग से अधिक बेहतर ढंग से होती है। कठिन और बोझिल भाषा का प्रयोग करने से हमारे अभीष्ट भाव अधिक स्पष्टता के साथ हमारी समझ में नहीं आते।

(ग) ‘धूत कही, अवधूत कहौ’ सवैये में तुलसीदास विषादग्रस्त समाज से संघर्ष करते दृष्टिगत होते हैं। वे हर प्रकार की विभाजनकारी शक्तियों से टकराते हैं। तुलसी सही अर्थ में समन्वयकारी तथा मानवतावादी रचनाकार हैं। वे धूत-अवधूत, राजपूत-जुलाहा जैसे सामाजिक विभाजन को अनर्थकारी मानते हैं। उन्होंने समाज में अपनी स्थिति देखी थी। एक ब्राह्मण होते हुए भी उन्हें सामाजिक अपवादों से दो-चार होना पड़ा था। सामाजिक यथार्थ यही था कि समाज का विभाजन प्रायः आर्थिक आधार पर निर्धारित हो गया है। धन तथा प्रभुत्व रखने वाले लोग ही सामाजिक मान्यताओं के निर्माता तथा नियंत्रक होते हैं। ऐसे में तुलसीदास माँगकर खाने और मस्जिद में सोने जैसी बात कर उक्त सामाजिक व्यवस्था को दो टूक जवाब देते हैं, यह तुलसीदास के स्वाभिमान को प्रतिबिंबित करती है।

उत्तर 11.
(क) जब व्यक्ति आपस में ग्राहक और बेचक की तरह व्यवहार करते हैं, तब सद्भाव का ह्रास होता है। इसका परिणाम यह होता है कि बाज़ार में वस्तुओं के आदान-प्रदान की जगह शोषण होने लगता है।

(ख) स्वभाव में ग्राहक-विक्रेता व्यवहार बाज़ार में अधिकाधिक लाभ कमाने की इच्छा के कारण आ जाता है। इसका लक्षण अपने भाई-बंधु या पड़ोसियों की हानि में लाभ देखना है।

(ग) “ऐसे बाज़ार को कथन से लेखक का तात्पर्य शोषणकारी छल-प्रपंच के भाव युक्त बाज़ार को तुच्छ दृष्टि से देखना है। यह मानसिकता मानवीयता के लिए अति हानिकारक है, क्योंकि इससे आत्मीयता, प्रेम, विश्वास जैसे सद्गुणों का ह्रास होता है।

(घ) इस गद्यांश में उपभोक्तावादी प्रवृत्ति की निम्न विशेषताएँ दिखाई पड़ती हैं।

  1. दूसरों की हानि में स्वयं का लाभ दिखाई देना।
  2. आत्मीयजन और पड़ोसी ग्राहक के समान दिखाई देते हैं।

उत्तर 12.
(क) भक्तिन को कारागार से यमलोक की ही भाँति डर लगता था। जब उसे यह कहा जाता है कि उसकी मालकिन को जेल में डाल दिया जाएगा, तो वह इस बात को अन्यायपूर्ण मानकर लाट साहब से लड़ने के लिए तत्पर रहती। भक्तिन के रूप में लेखिका ने एक भारतीय नारी का दिलचस्प और संवेदनशील चित्रण करने का प्रयत्न किया है। भक्तिन एक संघर्षशील तथा स्वाभिमानी स्त्री है। वह परिस्थितियों से डरती नहीं, बल्कि उनका मुकाबला करती है। पति की मृत्यु के बाद वह खेत में कड़ा परिश्रम करके अपनी बेटियों का पालन-पोषण करती है। वह शास्त्रों के तर्को द्वारा दूसरों को अपने मन के अनुकूल बना लेने में भी निपुण थी। इस प्रकार कहा जा सकता है कि भक्तिन कर्तव्य-परायण, संघर्षशील, स्वाभिमान आदि गुणों से युक्त होने के साथ-साथ सामान्य मनुष्य की भाँति असत्य वादन, हेरा-फेरी आदि दुर्गुणों से भी युक्त थी।

(ख) जीवन में सामाजिक और आर्थिक संघर्षों ने चार्ली के व्यक्तित्व को निखारने में सहायता की। चार्ली की माँ दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री तथा एक परित्यक्ता (तलाकशुदा) स्त्री थीं। बाद में उसकी माँ विक्षिप्त हो गई थीं तथा घर में दरिद्रता का अंधकार छा गया था। समाज की ओर से चार्ली को अपमान ही मिला। चार्ली पर नानी का प्रभाव भी था। वह खानाबदोश समुदाय के परिवार की सदस्य थीं। इन जटिल परिस्थितियों ने चार्ली को एक घुमंतू चरित्र बना दिया था। चार्ली की माँ ने गरीबी के मध्य भी चार्ली को स्नेह, करुणा और मानवता का पाठ पढ़ाया| इन सबका चार्ली के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा।

(ग) ‘नमक’ कहानी की मूल संवेदना लोगों के दिलों में बसी हुई है। राजनैतिक तथा सत्ता लोलुपता ने मानचित्र पर एक लकीर खींचकर देश को दो भागों में तो बाँट दिया है, परंतु अंतर्मन का विभाजन नहीं हो पाया। राजनैतिक यथार्थ ने देश की पहचान बदल दी है, परंतु यह उनका हार्दिक यथार्थ नहीं बन पाया। जनता के दिल न आज तक बँटे हैं और न ही बँटेंगे। मानचित्र पर खींची गई लकीर लोगों के दिलों को नहीं बाँट सकती, यही नमक कहानी की मूल संवेदना है।

(घ) लेखक को शिरीष के नए फूल-पत्तों और पुराने फूलों को देखकर उन नेताओं की याद आती है, जो बदले हुए समय को नहीं पहचानते हैं तथा जब तक नई पीढ़ी उन्हें धक्का नहीं मारती, तब तक वे अपने स्थान पर जमे ही रहते हैं। नेताओं को स्वयं ही समय की गति को देखते हुए अपने स्थान को रिक्त कर देना चाहिए, पर वे ऐसा करते नहीं।

(ङ) जाति प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप मानने से डॉ. आंबेडकर इनकार करते हैं। उनके अनुसार यह विभाजन अस्वाभाविक है, क्योंकि

  1. यह मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है।
  2. इसमें व्यक्ति की क्षमता की उपेक्षा की जाती है।
  3. यह केवल माता-पिता के सामाजिक स्तर का ध्यान रखती है।
  4. व्यक्ति के जन्म से पहले ही उसका श्रम विभाजन होना अनुचित है।
  5. जाति प्रथा व्यक्ति को जीवनभर के लिए एक ही व्यवसाय से बाँध देती है। व्यवसाय उपयुक्त हो या अनुपयुक्त, व्यक्ति को उसे ही अपनाने के लिए बाध्य किया जाता है।
  6. विपरीत परिस्थितियों में भी पेशा बदलने की अनुमति नहीं दी जाती, भले ही भूखा क्यों न मरना पड़े?

उत्तर 13.
‘सिल्वर वैडिंग’ यथार्थ में वर्तमान युग के बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है। कहानी के केंद्रीय चरित्र यशोधर बाबू पाश्चात्य सभ्यता से विरक्ति रखते हैं। उनका व्यवहार अपनी पत्नी एवं बच्चों के प्रति उनके विरोध की भावना को दर्शाता है, क्योंकि वे पुराने विचारों का समर्थन करते हैं, जबकि उनका परिवार आधुनिक विचारों के पक्ष में रहता है।

वर्तमान समय पूरी तरह अर्थ पर आधारित हो गया है। आजकल परिवार में धन की अधिकता रहने पर ही पारिवारिक संबंध ठीक से निभ पाते हैं, अन्यथा परिवार को बिखरते देर नहीं लगती।

यशोधर बाबू को धन से विशेष लगाव नहीं है, इसलिए वे अधिक धन कमाने पर ध्यान नहीं देते। उनका बड़ा बेटा भूषण विज्ञापन कंपनी में ₹1500 प्रतिमाह पर काम करता है और उसमें अमीर व्यक्ति बनने की आकांक्षा है। वह यशोधर बाबू के विचारों के विपरीत सामाजिक संबंधों की मर्यादा को नकारता है। इसी कारण वह अपनी बुआ को पैसे नहीं भेजता। उसे न अपने माता-पिता की इच्छा की परवाह है और न रिश्तेदारी की। बदलते जीवन-मूल्य के साथ आज की पीढ़ी सामाजिक परंपराओं को दकियानूसी मानकर छोड़ रही है। पुरानी पीढ़ी निस्तेज होकर हाशिए पर लाचार खड़ी नज़र आती है। नई और पुरानी पीढ़ी के बीच वैचारिक अंतर बहुत गहरा हो गया है। अत: कहा जा सकता है। कि ‘सिल्वर वैडिंग’ वर्तमान युग में हो रहे पारिवारिक मूल्यों के विघटन का यथार्थ चित्रण है।

उत्तर 14.
(क) सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से सिंधु सभ्यता के सामाजिक वातावरण को बहुत अनुशासित होने का अनुमान लगाया गया है। वहाँ को अनुशासन ताकत के बल पर नहीं था। नगर योजना, वास्तुशिल्प, मुहर, पानी या साफ़-सफ़ाई जैसी सामाजिक व्यवस्था में एकरूपता से यह अनुशासन प्रकट होता है। सिंधु सभ्यता में सुनियोजित नगर थे, पानी की निकासी व्यवस्था अच्छी थी। सड़कें लंबी व चौड़ी थीं, कृषि भी की जाती थी तथा यातायात के साधन के रूप में बैलगाड़ी भी थी। प्रत्येक नगर में मुद्रा, अनाज भंडार, स्नानगृह आदि थे तथा पक्की ईंटों का प्रयोग होता था। सिंधु सभ्यता में प्रदर्शन या दिखावे की प्रवृत्ति नहीं है। यही विशेषता इसको अलग सांस्कृतिक धरातल पर खड़ा करती है। यह धरातल संसार की दूसरी सभी सभ्यताओं से पृथक् है।

(ख) श्री सौंदलगेकर मराठी भाषा को बड़े ही आनंद के साथ पढ़ाते थे। वे कविता को अत्यधिक मधुर स्वर में गाते थे। वे भाव, छंद, लय के जानकार थे। पहले वे एकाध कविता गाकर सुनाते थे, फिर बैठे-बैठे अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते। उनके इसी भाव को देखकर लेखक के मन में भी रुचि जागी कि काश! वह भी कविताएँ लिखता। श्री सौंदलगेकर द्वारा कविताएँ पढ़ाने के ढंग से ही लेखक के मन में कविताएँ लिखने की इच्छा जागृत हुई।

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CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7

These Sample papers are part of CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7

CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7

BoardCBSE
ClassXII
SubjectAccountancy
Sample Paper SetPaper 7
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 7 of Solved CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy is given below with free PDF download solutions.

Time: 3 Hours
Maximum Marks: 80

General Instructions:

(i) Please check that this paper contains 23 questions.
(ii) The paper contains two parts A and B.
(iii) Part A is compulsory for all.
(iv) Part B has two options—Option-1 Analysis of Financial Statements and Option-II Computerized Accounting.
(v) Attempt only one option of Part B.
(vi) All parts of a question should be attempted at one place.

PART – A
Partnership Firms and Company Accounts

Question 1.
A and B are partners in a firm having capital balance of 1,20,000 and Rs 80,000 respectively. They agree for interest on capital @ 5% PA. At the end of the year, they suffer a loss of Rs 20,000. What amount of interest will be given to be partners?

Question 2.
If a new partner is unable to contribute his share of goodwill in cash, under what circumstance will this amount be adjusted through his current account.

Question 3.
Anita and Aliya are partners in a firm. They admit Anandi as a new partner for 1/4th share. They have a general reserve of Rs 20,000 which they want to continue in the books. Pass journal entry on Anandi’s admission.

Question 4.
Kumar Handicraft Ltd. decided to reserve 10% Jobs in the company to provide employment to artisans from the rural areas. What value has been served by this decision?

Question 5.
Ravi Ltd. has a balance of Rs 10,000 in calls in arrears account and a similar balance of Rs 10,000 in calls in advance account. The accountant has ignored this while preparing the balance sheet for the fact that they both relate to share capital and have been set off against each other. Justify his approach.

Question 6.
A and B are partners in a firm sharing profits in the ratio 2:1. Mrs. A has given a loan of Rs 15,000 to the firm and the firm also took a loan of Rs 10,000 from B. The firm was dissolved and assets realised Rs 20,000. State the order of payment assuming that there are no creditors of the firm.

Question 7.
A Limited Company forfeited 3,000 equity share of Rs 100 each for non-payment of first call of Rs 20 per share and second and final call of Rs 25 per share. State :
(i) Can these shares be re-issued?
(ii) If ye, state the minimum amount at which these shares can be re-issued.
(iii) If the shares are re-issued at Rs 50 per share fully paid up, what will be the amount of capital reserve?

Question 8.
X, Y and Z are partners in a firm. Total capital employed is Rs 5,40,000 contributed by them in their profit sharing ratio. Y retires from the firm. On the day of retirement, the firm had a balance of Rs 90,000 in the general reserve account. Y took one of the unrecorded assets of the firm valued at Rs 54,000 in part payment and, balance amount was paid in cash.
Pass necessary entries on Y’s retirement.

Question 9.
Vipin Ltd. has an authorised capital of Rs 10,00,000 divided into 1,00,000 equity shares of Rs 10 each. The company decided to offer for subscription of 50,000 equity shares of Rs 10 each. Applications for 46,000 shares were received and allotment was made to all applicants. All calls were made and duly received except calls of Rs 2 per share on 400 shares. Show the share capital in the balance sheet of Vipin Ltd. as per schedule III of companies Act 2013. Also prepare notes to accounts for the same.

Question 10.
Anand and Arun decided to start a partnership to Manufacture gift items from recycle material. They contribute Rs 1,50,000 towards capital in 3:2 ratio. They employed Rajan who is specially abled but very creative for a salary of Rs 2,000 per month. They agreed to charge interest on drawings @ 12% P.a. Anand withdraws Rs 10,000 during the year. Arun withdrew Rs 2,000 at the end of every alternative month. The profits earned at the end of the first year were Rs 58,000.
(i) Show the distribution of profit earned by the firm at the end of the year.
(ii) Identify one value that the firm wants to communicate to the society.

Question 11.
Following is the balance sheet of Ravi, Navin and Sudhir as on 31st March 2016. Their profit sharing ratio is 2 : 2 : 1.
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 11
Navin died on 30th June 2015. The partnership deed provided for the following on the death of a partner:
(i) Goodwill of the firm was valued at 2 years’ purchase of the average profit of the last 5 years. The profit for the year ended 31st March 2014, 31st March 2013, 31st March 2012, 31st March 2011 were Rs 20,000, Rs 32,000, Rs 44,000 and Rs 88,000 respectively.
(ii) Navin’s share of profit or loss till the date of his death was to be calculated on the basis of profit or loss for the year ended 31st March 2015.
Prepare Navin’s capital account till the time of his death to be presented to his executors.

Question 12.
From the following information, calculate goodwill on the basis of capitalisation of super profit.
Average capital employed in the business Rs 5,00,000, Rate of expected return from similar business 12%, profit/loss for the past three years were : Rs 98,000, Rs 1,15,000 and Rs 1,44,000. Annual remuneration to partners Rs 11,000.

Question 13.
MV Ltd. issues 2,00,000,11% debentures of Rs 10 each at Rs 12 per debenture on 1st April 2014. The issue was fully subscribed. In terms of the issue of debentures interest was payable at the end of the financial year. TDS was deducted on Interest @ 10% Pass necessary Journal entries for the above transactions.

Question 14.
Rohan Ltd. on 30th June, 2013 took over the assets of Rs 10,00,000 and liabilities of Rs 1,00,000 from Suraj Enterprises at an agreed consideration of Rs 11,00,000. Rohan Limited issued 11% debentures of Rs 100 each at a premium of 10% in full satisfaction of purchase consideration. The debentures were redeemable on 31st March 2015. The company decided to create a DRR on 31st March 2014 and also decided to invest in 10% Government securities to meet the legal requirement. Give the journal entries for the issue and redemption of debentures in the books of Rohan Ltd. (Ignore TDS)

Question 15.
Punam and Puja were partners sharing profits and losses in the ratio of 3:2. Inspite of repeated losses they kept running the firm. The court ordered for the dissolution of their partnership firm on 31st march 2016. Puja took the responsibility of realisation. She was paid Rs 1,000 as commission for this service.
Their balance sheet as on that date stood as follows:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 15
Following was agreed upon:
(i) Punam agreed to take over furniture at 90% of the book value.
(ii) Rs 5,000 of debtors proved bad.
(in) Puja took over Rs 30,000 worth of the stock at Rs 22,800. The remaining stock was sold at a loss of 10%.
(iv) Machinery was taken over by creditors in full settlement of their claim.
(v) The bank loan was paid along with interest of Rs 3,000.
(vi) Other liabilities were paid in full.
(vii) The expenses on realisation amounted to Rs 800.
Prepare realisation account, partners’ capital accounts and bank account to close the books of the firm.

Question 16.
Abha and Ritu were partners sharing profits and losses in the ratio of 5 :3. Their balance sheet as at 31st March 2015 was as under:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 16
On 1st April 2015, they admitted Sonal into partnership firm for 1 / 4th share which she acquired
from Abha and Ritu in the ratio of 2 : 1 respectively. Other adjustments were as follows:
(i) The goodwill of the firm is valued at Rs 96,000 and Sonal was unable to contribute her share of goodwill in cash.
(ii) One customer who owed the firm Rs 2,000 became insolvent and nothing could be realised from him.
(in) Create a provision of 5% for doubtful debts.
(iv) 50% of the investments were taken over by the old partners in their profit sharing ratio. Remaining investments were valued at Rs 35,000.
(v) Claim on workmen compensation was established at Rs 16,000.
(vi) One month salary of Rs 16,000 was outstanding.
(vii) Sonal is to contribute Rs 1,20,000 as Capital.
(viii) Capital accounts of the partners are to be re-adjusted on the basis of their profit sharing arrangement and any excess or deficiency is to be transferred to their current account.
Prepare revaluation account, partners’ capital accounts and the balance sheet of the newly constituted firm.
OR
Megha, Anita and Richa are partners sharing profits and losses in the ratio of 5 : 3 : 2. Their
balance sheet as on 31st March 2016 stood as under:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 16.1
On the above date, Anita retired and the terms of retirement were:
(i) Anita sells her share of goodwill to Megha for Rs 4,000 and to Richa Rs 2,000.
(iii) Stock to be appreciated by 20%.
(iii) Provision for doubtful debts to be increased by Rs 525.
(iv) There is a liability for workmen’s compensation for Rs 1,500 and it was to be provided for.
(v) Investments were sold at a loss of 10%.
(vi) Provision for a bill under discount of Rs 2,000 was to be made.
(vii) The continuing partners agreed to pay Rs 20,000 in cash on retirement to Anita to be contributed in their new profit sharing ratio. The balance to be treated as loan.
(viii) The total capital of the new firm is decided to be Rs 1,50,000. Necessary adjustments to be made by opening current accounts.
Prepare revaluation accounts, partners’ capital accounts and balance sheet of the new firm after Anita’s retirement.

Question 17.
Fill in the missing information in the Journal entries given below:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 17
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 17.1
Fill in the missing information in the journal entries given below:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 17.2
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 17.3

PART -B
‘Analysis of Financial Statements’

Question 18.
Calculate the result of cash flow and state the nature of activity involved in the following transactions :
Sold machinery of original cost Rs 2,20,000 with an accumulated depreciation of Rs 90,000 for Rs 70,000.

Question 19.
How does the preparation of cash flow statement help in efficient cash management?

Question 20.
(a) State any two advantages of analysis of financial statements.
(b) What is a contingent liability? Give two examples of contingent liability.

Question 21.
The following information of Y Ltd. has been provided.
Gross profit ratio – 15%
Inventory velocity – 2 times
Trade receivables velocity – 3 months
Gross profit – Rs 60,000
Closing inventory is equal to opening inventory Determine:
(i) Revenue from operations
(ii) Closing inventory
(iii) Trade receivables

Question 22.
Prepare common size balance sheet from the following information:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 22

Question 23.
Prepare a cash flow statement from the following balance sheet of R Ltd.
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 7 23
Additional information:
(a) Depreciation of Rs 1,60,000 was provided on tangible assets during the year.
(b) A machine costing Rs 40,000 (accumulated depreciation provided thereon Rs 24,000) was sold for Rs 8,000 during the year.

Answers

Answer 1.
No interest on capital will be given as the firm has incurred a loss and interest is payable only out of the profits.

Answer 2.
The amount of goodwill will be adjusted to current account only:
(i) When old partners’ capital is adjusted on the basis of new partners share of capital contributed or.
(ii) When the new partner contributes his share of capital on the basis of old partners capital

Answer 3.
Anandi’s capital A/c Dr. 5,000
To Anita’s capital A/c 2,500
To Aliya’s capital A/c 2500
(Being general reserve adjusted)

Answer 4.
The company served the value of social responsibility towards providing employment opportunity for skilled craftsmen living in rural areas.

Answer 5.
The approach of the accountant is incorrect as calls in arrears are shown as a deduction from . the share capital and calls in advance is shown as a current liability.

Answer 6.
At the time of dissolution Mrs. A’s loan of Rs 15,000 will be paid first, remaining Rs 5,000 will be paid against B’s loan.

Answer 7.
Amount transferred to capital Reserve – Rs 15,000.

Answer 8.
Amount paid to Y in cash Rs 1,74,000.

Answer 9.
Share capital Rs 4,59,200.

Answer 10.
(i) Profit transferred to Anand’s capital A/c – Rs 21,120 and Rs 14,080 to Arun’s capital A/c
(ii) Values:
(1) Being concerned about the environment and fulfilling social responsibility.
(2) Being kind and showing empathy towards specially abled person.

Answer 11.
Profit and loss suspense A/c – Rs 6,400, amount transferred to navin’s executors A/c – Rs 1,12,000.

Answer 12.
Amount of goodwill Rs 4,00,000. .

Answer 13.
Interest on debentures Rs 2,20,000, TDS Rs 22,000.

Answer 14.
Amount transfer to DRR Rs 2,50,000.

Answer 15.
Loss of realisation to Punam’s capital A/c – Rs 12,120, Puja’s capital A/c – Rs 8,080, Total of Bank account Rs 97,800.

Answer 16.
Loss on revaluation – Rs 17,000, balance of capital accounts: Abha – Rs 2,20,000, Ritu – Rs 1,40,000, Sonal – Rs 1,20,000. Total of new balance sheet – Rs 7,16,000.
OR
Loss on revaluation – Rs 3,425, Anita’s loan A/c – Rs 32,573, capital balances Megha – Rs 1,05,000, Richa – Rs 45,000 Total of balance sheet of – Rs 2,16,073.

Answer 17.
Amount transferred to capital reserve – Rs 5,750
OR
(a) Amount transferred to capital Reserve – Nil
(b) Amount transferred to capital reserve – Rs 5,250

Answer 18.
Investing activity : inflow of cash – Rs 70,000

Answer 19.
Cash flow statement is prepared to manage company’s resources in such a way that adequate cash is available to meet the liabilities so cash flow statement helps in efficient cash management.

Answer 20.
(a) Advantages of analysis of financial statements (Any two):
(i) Assessing the managerial efficiency
(ii) Forecasting and preparing budget
(iii) Inter firm and intra firm comparison
(b) Contingent liability is a liability which may become payable depending on a happening in future. For example:
(i) Claims against company which is not accepted by the company.
(ii) Liability for amount uncalled on partly paid shares.

Answer 21.
Revenue from operations – Rs 4,00,000 Inventory – Rs 1,70,000
Trade receivables – Rs 1,00,000

Answer 22.
% charge of shareholders funds 50%, current liabilities 200%, current assets 50%.

Answer 23.
Net cash used in operating activities – Rs (2,59,200)
Net cash used in investing activities – Rs (2,48,000)
Net cash inflow from financing activities – Rs 6,03,200

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CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6

These Sample papers are part of CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6

CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6

BoardCBSE
ClassXII
SubjectAccountancy
Sample Paper SetPaper 6
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 12 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 6 of Solved CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy is given below with free PDF download solutions.

Time: 3 Hours
Maximum Marks: 80

General Instructions:

(i) Please check that this paper contains 23 questions.
(ii) The paper contains two parts A and B.
(iii) Part A is compulsory for all.
(iv) Part B has two options—Option-1 Analysis of Financial Statements and Option-II Computerized Accounting.
(v) Attempt only one option of Part B.
(vi) All parts of a question should be attempted at one place.

PART – A
Partnership Firms and Company Accounts

Question 1.
C and N are partners they do not have partnership deed. C is an active partner and spend twice the time that N devotes to business. C claims that he should be given a salary of Rs 20,000 per month. How will you solve this?

Question 2.
A and B are partners in a firm sharing profits in the ratio of 3 : 2. Mrs. A has given a loan of Rs 20,000 to the firm also obtained a loan of Rs 10,000 from B. The firm was dissolved and its assets were realised for Rs 25,000. State the order of payment of Mrs. A’s loan and B’s loan with reason, if there were no creditors of the firm.

Question 3.
A and B are partners sharing profits in the ratio of 3 : 2. They admit S as a partner for 1/5th .. share. S takes 3/20 from A and 1/20 from B. What will be the profit sharing ratio of A, B and S?

Question 4.
A, B, C and D were partners in a firm sharing profits in the ratio of 4 : 3 : 2 : 1. On 1-1-2016, they admitted E as a new partner for 1/10th share in the profits. E brought Rs 10,000 for his share of goodwill premium which was correctly recorded in the books by the accountant. The accountant showed goodwill at Rs 1,00,000 in the books. Was the accountant correct in doing so? Give reason in support of your answer.

Question 5.
NK Ltd. invited applications for issuing 10,0000 equity shares of Rs 10 each. The company received applications for 85,000 equity shares. Can the company proceed for the allotment of shares? Give reason in support of your answer.

Question 6.
Ravi Plastics Ltd. issues 10,000 debentures of Rs 100 each as collateral security against a bank loan of Rs 8,00,000. Pass the necessary journal entry in the books of the company.

Question 7.
R. Ltd purchased a running business from K traders for a sum of Rs 15,00,000, payable Rs 2,00,000 by cheque and for the balance issued 10% debentures of Rs 100 each at par.
The assets and liabilities consisted of the following:
Plant and machinery Rs 3,00,000, Building Rs 7,00,000, Stock Rs 4,00,000, Debtors Rs 4,00,000, Creditors Rs 2,00,000. Record necessary journal entries in the books of R Ltd.

Question 8.
State the difference between dissolution of partnership and dissolution of partnership firm on following basis:
(i) Scope
(ii) Relations between partners
(iii) Business

Question 9.
M. Ltd issued 60,000 shares of Rs 10 each at a premium of Rs 2 per share payable as Rs 3 on application, Rs 5 (including premium) on allotment and the balance on first and final call. Applications were received for 1,02,000 shares. The directors resolved to allot as follows:
(a) Applicants of 60,000 shares – 30,000 shares
(b) Applicants of 40,000 shares – 30,000 shares
(c) Applicants of 2,000 shares – Nil
Nikhil, who applied for 1,000 shares in category
(a) and Vishva who was allotted 6,000 she in category
(b) failed to pay the allotment money. Calculate the amount received on allotment .

Question 10.
To Provide employment to the youth and to develop the naxal affected backward areas of Chattisgarh, Y Ltd. decided to set up a power plant. For raising funds, the company decided to issue 7,00,000 equity shares of Rs 10 each at a premium of 50%. The whole amount was payable on application, applications for 20,00,000 shares were received applications for 50,000 shares were rejected and shares were allotted to the remaining applicants on pro-rata basis.
Pass necessary journal entries for the above transactions in the books of the company and identify any two values which Y Ltd. wants to propagate.

Question 11.
S, H and R were partners in a firm, on 31-3-2015 their balance sheet was as follows:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 11
H died on 31-12-2015. The partnership deed provided that the representatives of the deceased partner shall be entitled to:
(i) Balance in the capital account of the deceased partner.
(ii) Interest on capital @ 6% P.a. upto the date of his death.
(iii) His share in the undistributed profits or losses as per the balance sheet.
(iv) His share in the profits of the firm till the date of his death, calculated on the basis of rate of net profit on sales of the previous year. The rate of net profit on sale of previous year was 20%. Sales of the firm during the year till 31-12-2015 was Rs 60,000.
Prepare his capital account to be presented to his executors.

Question 12.
Amar, Akbar and Saksham are partners sharing profit and losses in the ratio of 5 : 3 : 2. From 1st January 2017, they decided to share profits equally. Goodwill of the firm is to be valued at three years’ purchase of average of five years profits. The profits of the last five years were as follows:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 12
You are required to:
(i) Calculate the goodwill of the firm.
(ii) Pass necessary journal entry for the treatment of goodwill on change in profit sharing ratio of Amar, Akbar and Saksham.

Question 13.
Following is the balance sheet of X and Y, who share profits and losses in the ratio of 4 :1 as at 31st March 2015:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 13
The firm was dissolved on the above date and the following arrangements were decided upon:
(i) X agreed to pay off his brother’s loan.
(ii) Debtors of Rs 5,000 proved bad.
(iii) Other assets realised – Investments 20% loss and goodwill at 60%.
(iv) One of the creditors for Rs 5000 was paid only Rs 3,000.
(v) Buildings were auctioned for Rs 30,000 and the auctioneer’s commission amounted to Rs 1,000.
(vi) Y took over part of stock at Rs 4,000 (being 20% less than the book value). Balance stock realised 50%.
(vii) Realisation expenses amounted to Rs 2,000.
Prepare realisation account.

Question 14.
A, B and C were partners in a firm sharing profits in the ratio of 3 : 2 :1. Their balance sheet as on 31.3.2015 was as follows:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 14
A, B and C decided to share the future profits equally W.E.F April 1, 2015. For this, it was agreed that:
(i) Goodwill of the firm be valued at Rs 3,00,000.
(ii) Land were valued at 1,60,000 and building be depreciated by 6%.
(iii) Creditors of Rs 12,000 were not likely to be claimed and hence be written off.
Prepare revaluation account, partners’ capital accounts and balance sheet of the reconstituted firm.

Question 15.
On 1.4.2013, J Ltd. had 10,000 9% debentures of Rs 100 each outstanding.
(i) On 1-4-2014, the company purchased in the open market 2000 of its own debentures for 1101 each and cancelled the same immediately.
(ii) On 1.4.2015, the company redeemed at par debentures of Rs 4,00,000 by draw of a lot.
(iii) On 28.2.2016, the remaining debentures were purchased for immediate cancellation for Rs 3,97,000.
Pass necessary journal entries for the above transactions in the books of the company ignoring debenture redemption reserve and interest on debentures.

Question 16.
Shyam Ltd. invited applications for issuing 80,000 equity shares of Rs 10 each at a premium of Rs 40 per share.
The amount was payable as follows:
On application – Rs 35 per share (including Rs 30 premium)
On allotment – Rs 8 per share (including Rs 4 premium)
On first and final call – Balance
Applications for 77,000 shares were received. Shares were allotted to all the applicants. Sundaram to whom 70 shares were allotted failed to pay the allotment money. His shares were forfeited immediately after allotment. Afterwards, the first and final call was made. Satyam the holder of 500 shares failed to pay the first and final call. His shares were also forfeited. Out of the forfeited shares, 1,000 shares were reissued at Rs 50 per share fully paid up. The reissued shares included all the shares of satyam.
(a) Which value has been followed by the Shyam Ltd. while allotting the shares?
(b) Pass necessary journal entries for the above transactions in the books of Shyam Ltd.
OR
Vaani Ltd. issued Rs 10,00,000 new capital divided into Rs 100 shares at a premium of Rs 20 per share payable as under:
On application – Rs 10 per share
On allotment – Rs 40 per share (including premium of Rs 10 per share)
On first and final call – Balance
Over payments on application were to be applied towards sums due on allotment and first and final call. Where no allotment was made, money was to be refunded in full.
The issue was oversubscribed to the extent of 13,000 shares applicants for 12,000 shares are allotted only 2,000 shares and applicants for 3,000 shares were sent letters of regret. Shares were allotted in full to the remaining applicants.
All the money due was duly received.
(a) Which value has been affected by rejecting the applications of the applicants who had applied for 3,000 shares. Suggest a better alternative for the same.
(b) Complete Journal entries to record the above transactions (including cash transactions) in the books of the company.
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 16

Question 17.
P and S were partners in a firm sharing profits in the ratio of 3 : 2. Their balance sheet as on 31.3.15 was as follows:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 17
On 1-4-2015, they admitted V as new partner on the following conditions:
(i) V will get l/8th share in the profits of the firm.
(ii) V’s loan will be converted into his capital.
(iii) The goodwill of the firm was valued at Rs 80,000 and V brought his share of goodwill premium in cash.
(iv) Provision for bad debts was to be made equal to 5% of the trade receivables.
(v) Inventory was to be depreciated by 5%.
(vi) Land was to be appreciated by 10%.
Prepare revaluation account, capital accounts of P and V and the balance sheet of the new firm as on 1-4-2015.
OR
The balance sheet of X, Y and Z who were sharing profits in the ratio of 5 : 3 : 2 as at March 31,2016:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 17.1
X retired on March 31,2015 and Y and Z decided to share profits in the ratio of 2:3 respectively. The other terms on retirement were as follows:
(i) Goodwill of the firm is to be valued at Rs 80,000.
(ii) Fixed assets are to be depreciated to Rs 57,500.
(iii) Make a provision for doubtful debts at 5% on debtors.
(iv) A liability for claim, included in creditors for Rs 10,000 is settled at Rs 8,000.
The amount to be paid to X by Y and Z in such a way that their capitals are proportionate to their profit sharing ratio and leave a balance of Rs 15,000 in the bank account.
Prepare profit and loss adjustment account and partners capital accounts.

PART -B
‘Analysis of Financial Statements’

Question 18.
M Ltd. is carrying on a mutual fund business. M Ltd. has invested Rs 25,00,000 in shares of Reliance Ltd. and Rs 10,00,000 in the bonds of Power Finance Corporation during the year. The company received Rs 4,00,000 as dividend and interest. Under which activity this dividend and interest will be shown while preparing cash flow statement?

Question 19.
While preparing cash flow statement the accountant of K Ltd added depreciation charged on machinery in the surplus of the year for calculating cash flow from operating activities. Was he correct in doing so? Give reason.

Question 20.
Under which major headings and sub headings will the following items be placed in the balance sheet of a company as per schedule III of the companies act 2013:
(i) Bank overdraft
(ii) Cash and cash equivalents
(iii) Securities premium
(iv) Negative balance of the statement of profit and loss
(v) Goodwill
(vi) Trademark
(vii) 5 years loan obtained from SBI
(viii) Investments

Question 21.
Prepare a comparative statement of profit and loss from the following:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 21

Question 22.
(a) The quick ratio of a company is 1.5:1. State with reason which of the following transactions would
(i) increase,
(ii) decrease or
(iii) Not change the ratio:
1. Paid rent Rs 3,000 in advance.
2. Trade receivables included a debtor who paid his entire amount due Rs 9,700.
(b) From the following information, compute proprietary ratio:
Long term borrowings Rs 2,00,000
Long term provisions Rs 1,00,000
Current liabilities Rs 50,000
Non current assets Rs 3,60,000
Current assets Rs 90,000

Question 23.
Following are the balance sheet of Kanha Ltd. as on 31st March 2015 and 2016:
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 23
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 23.1
Prepare cash flow statement after taking into account the following adjustment:
Tax paid during the year amounted to Rs 70,000.

Answers

Answer 1.
C cannot claim.

Answer 2.
First Mrs. A’s loan
Then B’ loan

Answer 3.
9 : 7 : 4

Answer 4.
Accountant is not correct

Answer 5.
No

Answer 6.
Journal
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 6

Answer 7.
Capital reserve Rs 1,00,000

Answer 8.
Difference between dissolution of partnership and dissolution of partnership firm.
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 8

Answer 9.
Rs 1,76,600

Answer 10.
(i) Providing employment opportunities
(ii) Development of backward areas.

Answer 11.
Rs 81,350

Answer 12.
Goodwill Rs 3,00,000

Answer 13.
Loss on realization Rs 9,000

Answer 14.
Profit on revaluation Rs 66,000
A’s capital Rs 3,13,000
B’s capital Rs 1,42,000
C’s capital Rs 21,000
Total of balance sheet Rs 6,04,000

Answer 15.
Loss on cancellation of debentures Rs 2,000.

Answer 16.
(i) Value of equality
(ii) Capital reserve Rs 7,000
OR
(a) Value of equality
(b) Calls in advance Rs 20,000

Answer 17.
Profit on revaluation Rs 11,800
Total of balance sheet Rs 3,88,300
OR
Loss on revaluation Rs 5,500
Y’s capital Rs 75,800
Z’s capital Rs 1,13,700
Payment to Rs 11,19,750

Answer 18.
Operating activities

Answer 19.
He was correct

Answer 20.
CBSE Sample Papers for Class 12 Accountancy Paper 6 20

Answer 21.
% change in revenue from operation 25%, % change in expenses 29.09%, % change in profit after tax 18.75%.

Answer 22.
(a) (i) Decrease (ii) No change
(b) 22.22%

Answer 23.
Cash from operating activities – Rs 30,000, cash from investing activities – Rs (7,60,000), cash from financing activities – Rs 7,60,000.

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