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अनुप्रास अलंकार : परिभाषा एवं उदाहरण
इस अलंकार में किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है। आवृत्ति का अर्थ है दुहराना जैसे–’तरनि-तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाये।” उपर्युक्त उदाहरणों में ‘त’ वर्ण की लगातार आवृत्ति है, इस कारण से इसमें अनुप्रास अलंकार की छटा है।
अनुप्रास के
अन्य उदाहरण :
- प्रसाद के काव्य-कानन की काकली कहकहे लगाती नजर आती है।
- चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।
- मुदित महीपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
- बंदऊँ गुरुपद पदुम परागा। सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
- सेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
- प्रतिभट कटक कटीले केते काटि-काटि कालिका-सी किलकि कलेऊ देत काल को।
- विमलवाणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत।
- लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल।
लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल।। - संसार की समर स्थली में धीरता धारण करो।