Anupras Alankar – अनुप्रास अलंकार, परिभाषा, भेद एवं उदाहरण – hindi, sanskrit

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अनुप्रास अलंकार : परिभाषा एवं उदाहरण

इस अलंकार में किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है। आवृत्ति का अर्थ है दुहराना जैसे–’तरनि-तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाये।” उपर्युक्त उदाहरणों में ‘त’ वर्ण की लगातार आवृत्ति है, इस कारण से इसमें अनुप्रास अलंकार की छटा है।

अनुप्रास के

अन्य उदाहरण :

  1. प्रसाद के काव्य-कानन की काकली कहकहे लगाती नजर आती है।
  2. चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।
  3. मुदित महीपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
  4. बंदऊँ गुरुपद पदुम परागा। सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
  5. सेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
  6. प्रतिभट कटक कटीले केते काटि-काटि कालिका-सी किलकि कलेऊ देत काल को।
  7. विमलवाणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत।
  8. लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल।
    लाली देखन मैं गई मैं भी हो गई लाल।।
  9. संसार की समर स्थली में धीरता धारण करो।

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