CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 3

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CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Paper 3

BoardCBSE
ClassIX
SubjectHindi A
Sample Paper SetPaper 3
CategoryCBSE Sample Papers

Students who are going to appear for CBSE Class 9 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme, as prescribed by the CBSE, is given here. Paper 3 of Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A is given below with free PDF download solutions.

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

निर्देश

  • इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैंक, ख, ग और घ।
  • चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

खंड {क} अपठित बोध [ 15 अंक ]

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

शहरीकरण के कारण सक्षम जल प्रबंधन, बढ़िया पेयजल और सैनिटेशन की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन शहरों के सामने यह एक गंभीर समस्या है। शहरों की बढ़ती आबादी और पानी की बढ़ती माँग से कई दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। जिन लोगों के पास पानी की समस्या से निपटने के लिए कारगर उपाय नहीं हैं, उनके लिए मुसीबतें हर समय मुंह खोले खड़ी हैं, कभी बीमारियों का संकट, तो कभी जल का अकाल, एक शहरी को आने वाले समय में ऐसी तमाम समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है। अगर सही ढंग से पानी का संरक्षण किया जाए और जितना हो सके पानी को बर्बाद करने से रोका जाए, तो इस समस्या का समाधान बेहद आसान हो जाएगा, लेकिन इसके लिए ज़रूरत है, जागरूकता की। एक ऐसी : जागरूकता की, जिसमें छोटे-से बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े भी पानी को बचाना अपना धर्म समझें।

(क) शहरीकरण के कारण किसकी आवश्यकता पड़ती है तथा शहरों के सामने कौन-सी गंभीर समस्या है?
(ख) किन लोगों को सदैव समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
(ग) पानी के संरक्षण द्वारा किस समस्या का समाधान किया जा सकता है?
(घ) ‘जागरूकता’ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय अलग करके लिखिए।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

न हाथ एक शस्त्र हो, न साथ एक अस्त्र हो,
न अन्न, नीर, वस्त्र हो, हटो नहीं, डटो वहीं,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
रहे समक्ष हिमशिखर, तुम्हारा प्रणं उठे निखर,
भले ही जाए तन बिखर, रुको नहीं, झुको नहीं,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
घटा घिरी अटूट हो, अधर में कालकूट हो,
वही अमृत का पूंट हो, जिए चलो, मरे चलो,

(क) प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से बताइए कि कवि किसे सम्बोधित कर रहा है? स्पष्ट कीजिए।
(ख) “घटा घिरी अटूट हो, अधर में कालकूट हो” पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

बढ़े चलो, बढ़े चलो।
गगन उगलता आग हो, छिड़ा मरण का राग हो,
लहू का अपने फाग हो, अड़ो वहीं, गड़ो वहीं,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
चलो नई मिसाल हो, जलो नई मशाल हो,
बढ़ो नया कमाल हो, रुको नहीं, झुको नहीं
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

(ग) कवि ने प्रस्तुत काव्यांश में किसका वर्णन किया है?
(घ) प्रस्तुत पंक्तियों द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहता है?
(ङ) ‘हिमशिखर’ में कौन-सा समास है?

खंड {ख} व्याकरण [ 15 अंक ]

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

(क) संहार’ शब्द में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग कीजिए।
(ख) “अधि’ उपसर्ग लगाकर दो शब्द लिखिए।
(ग) ‘खिलाड़ी’ शब्द में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग कीजिए।
(घ) “ऊ’ प्रत्यय लगाकर दो शब्द बनाइए।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित समस्त पद का विग्रह करते हुए उसका भेद बताइए।

(क) शरणागत
(ख) चौराहा
(ग) पीतांबर

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

(क) किसी ने उसे राह दिखाई थी। (निषेधवाचक वाक्य में बदलिए)
(ख) पूस की रात में नीलगाय हलकू का खेत चर गई। (प्रश्नवाचक वाक्य में बदलिए)
(ग) ओह! यह नाना की लड़की मैना है। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए)
(घ) कभी-कभी लगता है, जैसे सपने में सब देखा होगा। (अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए)

प्रश्न 6.
रेखांकित काव्य-पंक्तियों में निहित अलंकार का नाम बताइए

(क) “तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।”
(ख) चले धनुष से बाण, साथ ही शत्रु सैन्य के प्राण चलें
(ग) काली घटा का घमंड घटा
(घ) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के

खंड {ग} पाठ्यपुस्तक व पूरक पुस्तक [ 30 अंक ]

प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देता, तो लगता है जैसे बस कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। वृंदावन कभी कृष्ण की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या? मिथकों की दुनिया में इस सवाल का जवाब तलाश करने से पहले एक नज़र कमज़ोर काया वाले उसे व्यक्ति पर डाली जाए, जिसे हम सालिम अली के नाम से जानते हैं। उम्र को शती तक पहुँचने में थोड़े ही दिन तो बच रहे थे। संभव है, लंबी यात्राओं की थकान ने उनके शरीर को कमज़ोर कर दिया हो और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी उनकी मौत का कारण बनी हो, लेकिन अंतिम समय तक मौत उनकी आँखों से वह रोशनी छीनने में सफल नहीं हुई जो पक्षियों की तलाश और उनकी हिफ़ाज़त के प्रति समर्पित थी। सालिम की आँखों पर चढ़ी दूरबीन उनकी मौत के बाद ही तो उतरी थी।

(क) सालिम अली की मृत्यु का कारण क्या था?
(ख) सालिम अली जीवनभर किस बात के लिए समर्पित रहे?
(ग) वाटिका के माली के आदेश देने पर कैसा प्रतीत होता है?

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

(क) हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है, उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
(ख) लेखिका उर्दू-फ़ारसी नहीं सीख पाई, इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? मेरे बचपन के दिन’ पाठ के आधार पर वर्णन कीजिए।
(ग) कहानी के मुख्य पात्रों का संबंध भारतीयों की दुर्दशा से जोड़कर लेखक क्या कहना चाहता है? ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
(घ) “नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया । गया’ पाठ के आधार पर जनरल अउटरम के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरे लगभग 20 शब्दों में दीजिए

क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?–जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुआँ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली?

(क) हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ क्यों कहा गया है?
(ख) “हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का केंआ-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) रात्रि में कोकिला की आवाज़ कवि को किससे युक्त लग रही है?

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में दीजिए

(क) “चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा-पंक्ति में कवि की किस सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है? ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

(ख) बच्चे काम पर जा रहे हैं, यह एक भयानक प्रश्न क्यों है? कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।

(ग) कवयित्री ललद्यद ने समाज में प्रचलित किस सामाजिक बुराई का विरोध किया है?

(घ) “मोको कहाँ ढूँढे बंदे’-पंक्ति के आधार पर बताइए कि प्रभु प्राप्ति का उपाय क्या है?

प्रश्न 11.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा ज़माना था ……..” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है? ‘रीढ़ की हड्डी’ पाठ के आधार पर लिखिए।
अथवा
‘माटी वाली’ के चरित्र का वर्णन करते हुए बताइए कि ऐसे लोगों के प्रति आपके मन में कैसे भाव उत्पन्न होते हैं?

खंड {घ} लेखन [ 20 अंक ]

प्रश्न 12.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए

(क) प्राकृतिक आपदाएँ और प्रबंधन

संकेत बिंदु

  • प्रस्तावना
  • प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव
  • आपदा प्रबंधन की कार्यवाही
  • उपसंहार

(ख) विज्ञान से लाभ

संकेत बिंदु

  • प्रस्तावना
  • वैज्ञानिक आविष्कार
  • वैज्ञानिक प्रगति
  • संतुलित प्रयोग आवश्यक
  • उपसंहार

(ग) बढ़ते उद्योग सिकुड़ते वन

संकेत बिंदु

  • प्रस्तावना
  • वनों के लाभ
  • आवश्यकता पूर्ति के साधन
  • नगरीकरण के लाभ
  • उपसंहार

प्रश्न 13.
किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए, जिसमें इस बात का वर्णन किया गया हो कि सार्वजनिक समारोहों में राष्ट्रगान के प्रति समुचित सम्मान नहीं दर्शाया जाता, जो राष्ट्रीय मूल्यों को क्षति पहुँचाने के समान है।
अथवा
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किसी प्रदर्शनी का विवरण देते हुए अपने मित्र को इसे देखने के लिए निमंत्रित कीजिए।

प्रश्न 14.
एक मित्र के दुर्घटना में घायल होने पर उसका कुशल-मंगल पूछते हुए उसके साथ होने वाला संवाद 50 शब्दों में लिखिए।
अथवा
कुछ दोस्त वैष्णो देवी यात्रा के लिए घर से निकले, किंतु ट्रेन के छूट जाने पर उनके मध्य हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।

जवाब

उत्तर 1.
(क) शहरीकरण के कारण सक्षम जल प्रबंधन, शुद्ध पेयजल और सैनिटेशन (स्वच्छता) की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन शहरों के सामने यह एक गंभीर समस्या है। बढ़ती जनसंख्या और बढ़ती माँग ही शहरों की गंभीर समस्या है।

(ख) गद्यांश के अनुसार ऐसे लोग जिनके पास पानी की समस्या से निपटने के लिए प्रभावी उपाय नहीं हैं, उन्हें सदैव समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

(ग) पानी के संरक्षण से जल के अकाल जैसी समस्या का समाधान किया जा सकता है और इसके लिए जागरूकता की आवश्यकता है। जब व्यक्ति जागरूक होगा तभी वह पानी को बचाना अपना धर्म समझेगा, जिससे जल का संरक्षण आसानी से किया जा सकेगा।

(घ) ‘जागरूकता’ शब्द में ‘ता’ प्रत्यय है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘जल की समस्या व संरक्षण’ ही होगा।

उत्तर 2.
(क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि देशभक्तों व देशवासियों को संबोधित करते हुए कहता है कि मार्ग में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों तुम अपने मार्ग से हटो नहीं। बिना किसी रुकावट के सदैव बढ़ते चलो।

(ख) “घटा घिरी अटूट हो, अधर में कालकूट हो” पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों ना आ जाएँ, हमें अपने मार्ग पर बने रहना चाहिए।

(ग) काव्यांश में प्रयुक्त ‘बढ़-चलो, बढ़े चलो’ पंक्ति से पूर्ण रूप से स्पष्ट हो रहा है कि कवि ने इसमें आगे बढ़ने का वर्णन किया है।

(घ) प्रस्तुत पंक्तियों द्वारा कवि सकारात्मकता एवं आगे बढ़ने को संदेश देना चाहता है।

(ङ) ‘हिमशिखर’ में तत्पुरुष समास है, क्योंकि यहाँ कर्म कारक (को) विभक्ति का लोप है, इसलिए यहाँ तत्पुरुष समास है।

उत्तर 3.

(क) उपसर्ग-सम्, मूल शब्द-हार
(ख) अधिकार, अधिनायक
(ग) मूल शब्द-खेल, प्रत्यय-आड़ी
(घ) पेटू , चालू

उत्तर 4.

(क) शरण को आगत-तत्पुरुष समास यहाँ कर्म कारक की विभक्ति (को) का लोप होने से कर्म तत्पुरुष समास है।
(ख) चार राहों का समाहार-द्विगु समास यहाँ पूर्ववद (चार) संख्यावाचक है, इसलिए यहाँ द्विगु समास
(ग) पीला वस्त्र है जिसका अर्थात् कृष्ण-बहुव्रीहि समास यहाँ दोनों पद मिलकर एक विशेष (तीसरे) अर्थ का बोध दे रहें हैं, इसलिए यहाँ बहुव्रीहि समास है।

उत्तर 5.

(क) किसी ने उसे राह नहीं दिखाई थी।

(ख) क्या पूस की रात में नीलगाय हलकू का खेत चर गई?

(ग) विस्मयादिबोधक या विस्मयवाचक वाक्य।

विस्मयादिबोधक वाक्य यहाँ ‘ओह!’ विस्मय शब्द का प्रयोग हुआ है, इसलिए यह विस्मयादिबोधक वाक्य है।

(घ) संदेहवाचक वाक्य यहाँ संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि ‘कभी-कभी लगता है सपने में सब देखा होगा, इसलिए यह संदेह वाचक वाक्य है।

उत्तर 6.
(क) अनुप्रास अलंकार यहाँ ‘त वर्ण की आवृत्ति के कारण यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

(ख) अतिशयोक्ति अलंकार यहाँ धनुष से बाणों के चलने के साथ ही शत्रु सेना के प्राण निकल गए हैं साथ ही अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णित किया है, इसलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

(ग) यमक अलंकार यहाँ ‘घटा’ शब्द का प्रयोग दो बार किया गया है। प्रथम ‘घटा’ का अर्थ ‘बादलों के जमघट’ से है तथा दूसरी ‘घटा’ का अर्थ- ‘कम हुआ’ से है। इसलिए यहाँ यमक अलंकार है।

(घ) मानवीकरण अलंकार यहाँ ‘मेघ’ को मनुष्य के रूप में चित्रित किया गया है, इसलिए यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

उत्तर 7.
(क) सालिम अली कमज़ोर शरीर वाले व्यक्ति थे। लंबी यात्राओं पर जाने एवं यात्रा की थकान ने उनके शरीर को कमज़ोर बना दिया था तथा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी उनकी मृत्यु का कारण बनी।

(ख) सालिम अली जीवनभर पक्षियों की खोज और उनकी सुरक्षा के लिए समर्पित रहे। उन्हें पक्षियों से विशेष लगाव था। वे अंतिम समय तक पक्षियों को ही समर्पित रहे।

(ग) वाटिका के माली के आदेश देने पर ऐसा लगता है जैसे कुछ ही क्षणों में कृष्ण यहाँ आ जाएँगे और संगीत का चमत्कार वाटिका के पूरे वातावरण पर छा जाएगा।

उत्तर 8.
(क) प्रस्तुत पाठ के आधार पर प्रेमचंद के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं।
(i) प्रेमचंद ने अपने जीवन में महात्मा गांधी की भाँति साधारणता पर बल दिया और उन्होंने उसे अपने जीवन में अपनाया।
(ii) प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त प्रत्येक प्रकार की बुराई के विरुद्ध अपनी रचनाओं द्वारा संघर्ष किया और एक स्वस्थ समाज का संदेश दिया। व्यक्तिगत रूप से प्रेमचंद प्रत्येक प्रकार की, बुराई से दूरी बनाकर रखने वाले व्यक्ति थे।

(ख) लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई, क्योंकि उसकी माँ ने उसे हिंदी पढ़ना सिखाया। उसने पहली पुस्तक ‘पंचतंत्र’ पढ़ी। उसने संस्कृत भी पढ़ी, क्योंकि उसकी माँ थोड़ी-बहुत संस्कृत भी जानती थी। उर्दू और फ़ारसी भाषा सीखने में लेखिका को बहुत परेशानी होती थी और उसने कोशिश करने के बाद उर्दू-फ़ारसी सीखनी बंद कर दी।

(ग) इस पाठ के मुख्य पात्रों (हीरा और मोती) का संबंध भारतीयों की दुर्दशा से जोड़कर लेखक यह कहना चाहता है कि संसार में सरले, सद्गुणी तथा सहनशील व्यक्ति को अनादर ही होता है और अपनी सहनशीलता के कारण वह बार-बार शोषण का शिकार होता है।

(घ) इस पाठ में जनरल अउटरम का क्रूर रूप उभरकर सामने आया है। जनरल अउटम एक कठोर हृदय वाला व्यक्ति था उसने देवी मैना को गिरफ्तार कर, उसे जिंदा जला दिया और उसकी अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं की, जिससे जनरल अउटरम का संवेदनशून्य, व्यक्तित्व उभरकर सामने आता है, जिसे जितना भी धिक्कारें, वह कम ही है।

उत्तर 9.
(क) कवि अपराधी नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी है, इसलिए हथकड़ियों को अपना श्रृंगार मानता है, दंड नहीं। इसी कारण हथकड़ियों को ब्रिटिश राज का गहना कहा गया है।

(ख) इस पंक्ति का भाव यह है कि कवि से पशुओं जैसा कठोर कार्य कराया जा रहा है, फिर भी वह हार नहीं मान रहा। जेल की असहनीय यातनाएँ झेलता है और स्वाभिमानपूर्वक इस कार्य को कर रहा है। इससे ब्रिटिश सरकार की अकड़ (घमंड) कमजोर पड़ रही है। अंग्रेज़ों को बोध हो गया है कि अब अत्याचार करने से भी वे सफल नहीं हो सकते।

(ग) कोयल की आवाज़ कवि को क्रांतिकारी प्रेरणा से युक्त लग रही है।

उत्तर 10.
(क) “चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा” पंक्ति में कवि की नवीन एवं सूक्ष्म कल्पना का आभास मिलता है। पोखर के जल में जब सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं, तो उसका प्रतिबिंब गोल और लंबा-सा बन जाता है, जो कवि को चाँदी के गोल खंभे के समान दिखाई देता है।

(ख) बच्चों का काम पर जाना एक भयानक प्रश्न इसलिए है, क्योंकि छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने और खेलने-कूदने की आयु में काम पर जा रहे हैं। प्रत्येक कार्य की एक आयु निर्धारित होती है। छोटी आयु में बच्चे का काम पढ़ना और खेलना-कूदना है, ताकि वह अच्छा इंसान बन सके। यदि इस आय में बच्चा पढना और खेलना छोड़कर काम करने में लग जाएगा, तो उसका विकास किस प्रकार होगा?

(ग) कवयित्री ललद्यद ने समाज में प्रचलित भेदभाव का विरोध किया है। उनके अनुसार, मनुष्य को हिंदू-मुसलमान जैसे सांप्रदायिक भेदभाव में नहीं बाँटना चाहिए। मनुष्य को धार्मिक भेदभाव भुलाकर केवल सच्चे ज्ञान की प्राप्ति पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

(घ) कबीर के अनुसार, प्रभु स्वयं साधकों से कहते हैं कि मैं तो प्रत्येक मनुष्य की साँस में समाया हुआ हूँ। मुझे पाने के लिए किसी प्रकार के बाह्य आडंबरों की आवश्यकता नहीं है। सांसारिक आकर्षणों से अपने को दूर करनी चाहिए। योग, साधना एवं बाह्य पूजापाठ, कर्मकांडों को त्यागकर जागरूक मन से वैराग्य का भाव उत्पन्न करने से मुझे (ईश्वर) प्राप्त कर सकते हो।

उत्तर 11.
गोपाल प्रसाद चतुर तथा रूढ़िवादी व्यक्ति है। वह प्रत्येक बात में अपने पुराने समय की प्रशंसा करते हुए आज के समय की बराई करते हैं। उनका मानना है कि उनका समय बहुत अच्छा था। रामस्वरूप भी गोपाल प्रसाद की हाँ में हाँ मिलाते रहते हैं। दोनों का अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करना एक सीमा तक तो सही है, किंतु वर्तमान समय को बिलकुल व्यर्थ बताना सही नहीं है।

यह बात सही है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना समय बहुत अच्छा लगता है, किंतु अपने समय की प्रशंसा करते हुए आज के समय की बुराई करना तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि किसी भी समय में अच्छी और बुरी दोनों बातें होती हैं। अच्छे और बुरे व्यक्ति तो प्रत्येक काल में होते हैं।

इसलिए अपने समय को अच्छा बताना और बाद के समय को बुरा बताया यह कोई तर्कसंगत विचार नहीं है अच्छा और बुरा कोई काल नहीं होता जबकि अच्छा व कम अच्छा कहा जा सकता है।

अथवा

‘माटी वाली कहानी पढ़ने के पश्चात् हमारे सामने माटी वाली का चरित्र उभरकर पूर्ण रूप से सामने आ जाता है।

माटी वाली एक गरीब महिला है। वह माटाखान से माटी खोदकर घरों में पहुँचाने का कार्य करती है। वह कर्मठ और परिश्रमी है।

वह अपने लाचार पति का भी एकमात्र सहारा है। वह प्रतिदिन उसके लिए रोटियाँ ले जाती है और उसका ध्यान रखती है। इससे पता चलता है कि वह एक पति-परायण स्त्री भी है। उसका स्वभाव अत्यंत विनम्र है।

चालाकी से वह बहुत दूर रहती है, इसलिए उसके ग्राहक शीघ्र ही बन जाते हैं। शहर के सभी लोग उसे जानते-पहचानते हैं। यद्यपि वह बहुत परिश्रम का कार्य करती है, परंतु फिर भी बड़ी कठिनाई से अपने और अपने पति के जीविकोपार्जन हेतु कमा पाती है।

हमारे मन में ऐसे लोगों के प्रति दया और करुणा के भाव उत्पन्न होते हैं। हम ऐसे लोगों की यथासंभव सहायता करने को प्रयास करते हैं, जिससे उनकी कठिनाइयाँ थोड़ी कम हो। सकें।

उत्तर 12.

(क) प्राकृतिक आपदाएँ और प्रबंधन

प्रस्तावना आपदी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जीवन का सामान्य क्रम बिगड़ जाता है और मनुष्य एवं पर्यावरण के बचाव हेतु तत्काल बड़े स्तर पर सहायता आवश्यक होती है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दी गई आपदा की परिभाषा की व्याख्या करें, तो यह कहा जा सकता है। कि अचानक ही बड़े स्तर पर किसी अनहोनी या दुर्भाग्यपूर्ण घटना का घटित होना एवं उसके कारण सामान्य जन-जीवन का बुरी तरह से प्रभावित होना ही ‘आपदा’ है।

इस संसार में सभी जीव अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रहते हैं। केवल मनुष्य ही नहीं, वरन् जीव-जन्तु भी अपने बचाव के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। मूलतः गृह सभी प्राणियों का स्वभाव है, परंतु यह भी सत्य है। कि जीवित प्राणियों को कभी-न-कभी ऐसी परिस्थितियों का सामना करना ही पड़ता है, जिनमें उन्हें अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव आपदाएँ प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित, दोनों ही प्रकार की होती हैं। प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न आपदाएँ ‘प्राकृतिक आपदा’ की श्रेणी में आती हैं, जैसे- आँधी-तूफ़ान, चक्रवात, भूस्खलन, बाढ़, भूकंप आदि। इसी प्रकार मानवीय क्रियाकलापों द्वारा जनित आपदा, मानव-निर्मित या मानव-जनित आपदा कहलाती है। ऐसी आपदाएँ प्रायः असावधानी अथवा अज्ञानता के कारण घटती हैं। उदाहरण के लिए; आग लगना, हानिकारक रसायन का रिसाव होना आदि। भोपाल गैस दुर्घटना मानवीय आपदा का सबसे बड़ा उदाहरण है। दुर्घटना चाहे प्राकृतिक हो या मानव-जनित, यदि वह एक बड़े स्तर पर जान-माल की हानि पहुँचाती है, तो वह निश्चित रूप से ‘आपदा’ कहलाती है।

आपदा से केवल मनुष्यों को ही हानि नहीं होती, वरन् संपूर्ण परिवेश को हानि होती है। आपदाओं से बहुत-सी हानियाँ होती हैं, जिन्हें तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है-प्रत्यक्ष प्रभाव, अप्रत्यक्ष प्रभाव तथा गौण प्रभाव।

आपदा प्रबंधन की कार्यवाही आपदा प्रबंधन का तात्पर्य उस सतत प्रक्रिया से है, जिसके अंतर्गत किसी भी आपदा से निपटने के लिए समग्र रूप से तैयारी की जाती है। इसके मुख्य चरण हैं-पर्व में ही बचाव योजना बनाना, प्रबंधन करना, विभिन्न संस्थाओं के मध्य तारतम्य स्थापित करना तथा आपदा के समय प्रभावी ढंग से बचाव प्रक्रिया को क्रियान्वित कर देना। आपदा के बाद पुनर्वास के लिए कार्य करना भी आपदा प्रबंधन विभाग का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। आपदा प्रबंधन का सबसे पहला लक्ष्य होता है-प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत पहुँचाना, जिससे और अधिक हानि को रोका जा सके। आपदा प्रबंधन प्रणाली आपदा को घटने से रोक तो नहीं सकती, लेकिन आपदा आने से पूर्व लोगों को जागरूक करके तथा राहत कार्यों को सही समय पर क्रियान्वित करके आपदा के कारण होने वाले दुष्प्रभावों एवं हानियों को कम अवश्य कर सकती है।

इसलिए आपदा प्रबंधन महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक है। भारत के संदर्भ में देखा जाए, तो यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है, जिससे समुद्री आपदाओं की आशंका बनी ही रहती है। इस प्रकार यहाँ प्रायः । मानव-जनित आपदाओं के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाएँ भी अपना कहर बुरा प्रभाव ढाती हैं। उत्तराखंड त्रासंदी, जम्मू-कश्मीर बाढ़, पेलिन तूफ़ान, हुदहुद चक्रवाती तूफ़ान, नीलोफर चक्रवाती तूफ़ान आदि आपदाएँ एक के बाद एक घटित हो चुकी हैं। इसलिए भारत अब आपदा प्रबंधन प्रणाली से समझौता नहीं कर सकता। भारत को आपदा प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ करना होगा।

उपसंहार निष्कर्षस्वरूप कहा जा सकता है कि आपदा प्रबंधन अब बहुत ही महत्त्वपूर्ण विषय बन चुका है। विकसित देश तो आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रगति करके आर्थिक एवं सामाजिक हानि से बचने में सफल रहते हैं। अब भारत के लिए भी यह अपरिहार्य हो चुका है कि वह इस ओर पर्याप्त ध्यान दे। जिससे आपदा प्रबंधन के कारण हम विभिन्न आपदाओं का डटकर सामना कर सकेंगे। तथा उनके दुष्प्रभावों से बच सकेंगे। इससे देश की प्रगति में निश्चित रूप से सहायता मिलेगी।

(ख) विज्ञान से लाभ

प्रस्तावना आज का युग विज्ञान के चमत्कारों का युग है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांति उत्पन्न कर दी है। इस युग में विज्ञान की उन्नति ने संसार को विस्मित कर दिया है। विज्ञान ने ऐसे-ऐसे अद्भुत आविष्कार कर दिखाए हैं कि विश्व दाँतों तले अँगुली दबाए उन्हें देखता और उनके बारे में सोचता ही रह जाता है; उनकी चकाचौंध देखकर सभी स्तब्ध हैं। इन चमत्कारों ने मानव जीवन में आधारभूत परिवर्तन ला दिए हैं। विज्ञान की इस अद्भुत उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ ने कहा है।

“यह समय विज्ञान का, सब भाँति पूर्ण समर्थ,
खुल गए हैं गूढ़ संग्रति के अमित गुरु अर्थी।
वीरता तम को संभाले बुद्धि की पतवार,
आ गया है ज्योति की नव भूमि में संसार

वैज्ञानिक आविष्कार विज्ञान ने मानव को जो सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं उनका वर्णन सहज नहीं। जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप में हमें विज्ञान का महत्त्वपूर्ण योगदान प्राप्त है। विज्ञान ने हमारी कल्पनाओं को वास्तविकता में बदल दिया है। चंद्र अभियान तथा मंगल अभियान जैसे अभूतपूर्व कार्य विज्ञान की सहायता से ही संभव हो पाए हैं। अतः यह सत्य है कि विज्ञान ने असंभव को संभव कर दिखाया है। विज्ञान ने लोगों को जीवन की अनेकानेक सुविधाएँ प्रदान कर उनका जीवन सरल, सुखमय तथा आनंदयुक्त बना दिया है। बिजली के बल्ब, “पंखे, हीटर ग्रामोफ़ोन, टेलीविज़न, कंप्यूटर और अब इंटरनेट आदि न जाने कितने ही अद्भुत चमत्कार हैं, जिन्होंने मानव के अथक परिश्रम, बुद्धि, विवेक और कौशल को प्रमाणित कर यह सिद्ध कर दिखाया है कि मानव, सृष्टि की श्रेष्ठतम रचना है।

वैज्ञानिक प्रगति चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान के चमत्कारों ने आद्योपांत (प्रारंभ से अंत तक) परिवर्तन लो दिखाया है। शल्य चिकित्सा द्वारा असाध्य रोगों का निदान संभव है। अनेक प्रकार के वैक्सीन, टीकों आदि ने बहुत-सी भयंकर महामारियों; जैसे-प्लेग, टीबी आदि को जड़ से ही समाप्त कर दिया है। विज्ञान ने मनुष्य की एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा को अत्यंत सुगम बना दिया है। प्राचीन युग में लोग पैदल या बैलगाड़ी आदि पर दिनों, महीनों या वर्षों में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचते थे। अब यातायात के आधुनिकतम साधनों रेलगाड़ी, मोटर, वायुयान आदि द्वारा थोड़े समय में पहुँच जाते हैं। वायुयानों, हेलीकॉप्टरों द्वारा युद्ध के स्थान पर सैनिक अस्त्र-शस्त्र, भोजन सामग्री, पेट्रोल आदि सामान द्रुत गति से पहुँचाया जा सकता है।

इन साधनों द्वारा भूकंप या बाढ़ पीड़ित लोगों को भोजनादि की सहायता शीघ्र पहुँचाई जा सकती है। विज्ञान ने मनोरंजन के क्षेत्र में भी क्रांति ला दी है। फ़ोटो, चित्रपट, ग्रामोफ़ोन, रेडियो, टेलीविज़न आदि से मनुष्य का जीवन सरस, रोचक और मधुर हो उठा है।

संतुलित प्रयोग आवश्यक आज विज्ञान ने विश्व की दूरियों को सीमित कर दिया है। हम घर बैठे टेलीफ़ोन द्वारा देश-विदेश में स्थित अपने मित्रों व परिजनों से बातचीत कर सकते हैं मोबाइल एक ऐसी सुविधा है, जिसने प्रत्येक क्षण आपस में संबंध स्थापित करना सुलभ बना दिया है।

कंप्यूटर ने बड़े-बड़े आँकड़ों की गणना, आरक्षण आदि की व्यवस्था संभव कर दिखाई है, तो इंटरनेट के माध्यम से विश्व से संबंधित किसी भी जानकारी को आप घर बैठे कुछ ही क्षणों में प्राप्त कर सकते हैं। विज्ञान के इन सभी लाभों को देखते हुए हमें विज्ञान का संतुलित प्रयोग करना चाहिए। हमें केवल विज्ञान द्वारा प्रदान किए गए उपकरणों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए।

उपसंहार विज्ञान के कारण ही मनुष्य का जीवन सुखमय हो सका है तथा आज हम जो प्रगति एवं विकास की बहार देख रहे हैं, वह विज्ञान के बल पर ही संभव हुआ है। इस प्रकार विज्ञान मनुष्य के लिए सृजनात्मक ही सिद्ध हुआ है। स्पष्टतः विज्ञान ने मनुष्य को सुख-सुविधा की उन ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया है, जिसकी प्राचीनकालीन मानव ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। इस प्रकार विज्ञान के आविष्कार आज प्रत्येक मनुष्य की दैनिक आवश्यकता बन गए हैं।

(ग) बढ़ते उद्योग, सिकुड़ते वन

प्रस्तावना पेड़-पौधों के महत्त्व को कभी भी कमतर नहीं आँका जा सकता, क्योंकि पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। प्रकृति ने वनों के रूप में हमें एक ऐसी प्राकृतिक सौंदर्य उपलब्ध करवाया है, जो न केवल हमारी प्राकृतिक शोभा को बढ़ाता है, अपितु किसी भी देश के आर्थिक विकास व उसकी समृद्धि में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, किंतु वर्तमान में बढ़ रहे उद्योगों के कारण यह सौंदर्य (वन क्षेत्र) सिकुड़ता जा रहा है।

आज मानव ने अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए वनों का दोहन कर इनके अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। आज उद्योग के बढ़ने से वनों की तीव्रता से हो रही कटाई चिंता का विषय है।

वनों के लाभ वन हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं, किंतु सामान्य व्यक्ति इनके महत्त्व को समझ नहीं पाते। वे वनों को प्राकृतिक सीमा मात्र मानते हैं। दैनिक जीवन में वनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वनों के अभाव में पर्यावरण शुष्क हो जाता है और पर्यावरण का सौंदर्य नष्ट हो जाता है। वन स्वयं सौंदर्य की सृष्टि करते हैं। वनों से हमें विभिन्न प्रकार की लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं। अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में इनका प्रयोग किया जाता है। वन मिट्टी के क्षय (हास) को रोकने में सहायक होते हैं। वनों से वातावरण का तापक्रम, नमी और वायु प्रवाह नियमित होता है, जिससे जलवायु में संतुलन बना रहता है। इस प्रकार मनुष्य सहित संपूर्ण जीव-जगत वनों का ऋणी है।

आवश्यकता पूर्ति के साधन वन, मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन हैं। वन हमें रमणीक स्थान प्रदान करते हैं। गर्मी के दिनों में बहुत-से पर्यटक पहाड़ों पर जाकर वनों की शोभा देखते हैं। वनों से हमें विभिन्न प्रकार के फल प्राप्त होते हैं, जो मनुष्य का पोषण करते हैं। ऋषि-मुनि वनों में रहकर कंदमूल एवं | फलों पर ही अपना जीवन निर्वाह करते थे। वनों से हमें अनेक जड़ी-बूटियाँ प्राप्त होती हैं। वनों से प्राप्त जड़ी-बूटियों से अनेक असाध्य रोगों की औषधि प्राप्त होती है। इस प्रकार वन मनुष्य जीवन में मानव की प्रत्येक आवश्यकता पूर्ति के साधन हैं।

नगरीकरण के लाभ विकास एवं पर्यावरण एक-दूसरे के विरोधी नहीं हैं, अपितु एक-दूसरे के पूरक हैं। औद्योगिक युग में मानव के आवास योग्य भूमि की समस्या हमारे सामने आई, जिसके लिए वृक्षों एवं वनों को काटकर मनुष्य के रहने योग्य आवास, विशाल भवन, फैक्ट्रियाँ, कल-कारखाने विभिन्न प्रकार के नगरों का विस्तार होने लगा, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण पर दूषित प्रभाव पड़ा। विकास हमारे लिए आवश्यक है और इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग करते समय हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वैश्विक संगठनों द्वारा किए गए प्रत्येक प्रयास में वृक्षारोपण पर बल देना चाहिए।

उपसंहार वनों का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण योगदान है। वन हमारे जीवन के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अत्यंत उपयोगी हैं। इसलिए वनों का संरक्षण एवं संवर्द्धन बहुत \ आवश्यक है। पर्यावरण की रक्षा हेतु प्रतिवर्ष लाखों वृक्ष लगाए जाते हैं तथा वृक्षों को काटने पर प्रतिबंध भी लगा हुआ है। अतः मनुष्य को उद्योगों की स्थापना हेतु वनों को नष्ट नहीं करना चाहिए। इसलिए आज आवश्यक है कि सरकार वन संरक्षण नियमों का कठोरता से पालन कराकर वनरूपी प्राकृतिक संपदा की रक्षा करे तथा वनों के नष्ट होने से उत्पन्न दुष्प्रभावों को रोके।

उत्तर 13.
परीक्षा भवन
रुड़की।
सेवा में,
संपादक महोदय,
अमर उजाला,
रुड़की।

दिनांक 20 अगस्त, 20××

विषय लोगों में राष्ट्रगान के प्रति सम्मान की भावना का न होना।

महोदय,

मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र ‘अमर उजाला’ के माध्यम से सार्वजनिक समारोहों में राष्ट्रगान के प्रति समुचित सम्मान दर्शाने की ओर सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों एवं जनता का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। आशा है कि आप मेरे विचारों को अपने समाचार-पत्र में प्रकाशित करेंगे।

आजकल प्रायः देखा गया है कि सार्वजनिक समारोहों में राष्ट्रगान के अवसर पर उसके प्रति उचित सम्मान प्रकट नहीं किया जाता। लोग न सावधान की मुद्रा में खड़े होते हैं और न ही वार्तालाप करना बंद करते हैं। बहुत-से लोगों को राष्ट्रगान आरंभ होते ही कहीं जाने की जल्दी हो जाती है। ऐसे लोगों में न तों राष्ट्र और न ही राष्ट्रगान के प्रति सम्मान की भावना होती है। राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए न जाने कितने लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। आज जो व्यक्ति राष्ट्रगान के समय गंभीरता से खड़े नहीं रह सकते, वे राष्ट्र की गरिमा को चोट पहुँचा रहे हैं। सरकार को इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए और राष्ट्रगान की उपेक्षा करने वालों को दंडित करना चाहिए।

धन्यवाद!
भवदीय
क, ख, ग,
डाकखाना रोड, रुड़की।

अथवा

परीक्षा भवन
दिल्ली।

दिनांक 19 नवंबर, 20××

ए-30 सरोजिनी नगर
नई दिल्ली।

प्रिय मित्र गौरव,

यहाँ सब कुशलपूर्वक हैं, आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे। तुमने कई बार यहाँ आने के विषय में लिखा है, लेकिन तुम आते नहीं हो। इस बार तो तुम्हें आना ही पड़ेगा, क्योंकि दिल्ली में प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक प्रदर्शनी लगी हुई है, जो 10 नवंबर से 25 नवंबर तक चलेगी। यह प्रदर्शनी देखने योग्य है। इसमें भारत की भिन्न-भिन्न भाषाओं की एक लाख से अधिक पुस्तकें प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं। यहाँ सौ से अधिक प्रकाशकों ने अपने स्टॉल लगाए हैं। इस प्रदर्शनी में छोटी-बड़ी, लंबी-चौड़ी, भिन्न-भिन्न रंगों की जिल्दों वाली पुस्तकें हैं। शायद ही कोई विषय होगा, जिसकी पुस्तक यहाँ उपलब्ध न हो। लोग बहुत उत्साहपूर्वक प्रदर्शनी में से पुस्तकें खरीदते हैं। मैं जानता हूँ तुम्हें नई-नई पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक है। आशा करता हूँ, तुम पत्र पढ़ते ही यहाँ आने के लिए चल पड़ोगे। आंटी जी और अंकल जी को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र
क, ख, ग,

उत्तर 14.

मनोज (राकेश के माथे पर पट्टी देखकर) अरे राकेश! यह माथे पर क्या हुआ?

राकेश कुछ न पूछ यार! कल तो मरते-मरते बचा हूँ।

मनोज कोई दुर्घटना हो गई थी?

राकेश हाँ, कल रात मेरे पापा स्कूटर चला रहे थे, तब अँधेरे में गड्ढे का अनुमान नहीं लगा, तो हमारा स्कूटर उलट गया।

मनोज यह तो बहुत बुरा हुआ।

राकेश हेमने कंज्यूमर फोरम में लिखित शिकायत आवेदित कर दी है। देखते हैं, ये फोरम वाले भी कुछ करते हैं या कचहरियों जैसे थकाऊ हैं।

मनोज तुम्हारे पापा ने यह बहुत अच्छा किया। मेरे योग्य कोई काम हो, तो मुझे बताना।

राकेश हाँ, अवश्य बताऊँगा। धन्यवाद!

अथवा

डिंपल अरे! तुम सब कहाँ रह गए थे? मेरी आँखों के सामने से ट्रेन निकल गई।

स्वालिहा यार, ट्रैफिक के कारण हम समय पर नहीं पहुँच सके।

अविनाश ट्रैफिक का होना तो दूसरा कारण था, स्वालिहा। तुम्हारे कारण ही हमारी ट्रेन छूट गई।

डिंपल अरे, अब तो ट्रेन छूट गई, अब इन बातों से क्या मतलब? ये बताओ अब क्या करना है?

कैलाश अब क्या करना है? अपने-अपने घर वापिस जाओ।

स्वालिहा, डिंपल नहीं, नहीं वापिस घर नहीं जाना।

और कविता
आशीष ये क्या बात है, घर नहीं जाना? रात के 10 बजे और कहाँ जाओगे तुम? ट्रेन तो अब कोई नहीं मिलेगी।

कैलाश आशीष सही कह रहा है। सब अपने-अपने घर चलते हैं।

डिंपल, कविता नहीं, हम घर वापिस नहीं जाएँगे। आशीष, तुम बात करो किसी से कोई छोटी गाड़ी मिल जाएगी, वैष्णो देवी के लिए।

आशीष हाँ एक गाड़ी है 11 बजे की, लेकिन उसके लिए हमें पुरानी दिल्ली जाना होगा।

स्वालिहा चलो फिरे, इसमें सोचना क्या है?

सभी हाँ, हाँ, जल्दी चलो।

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